“बगदाद” जिसे कभी बसाया था राजा भगदत्त ने !

बग़दाद जिसे हम आज इराक की राजधानी के रूप में जानते है दरअसल इसका नाम ६०० ईपू के बाबिल के राजा भगदत्त पर पडा है ! भगदत्त शब्द भग उपसर्ग लगाकर बना हुआ है !

पौराणिक काल के एक राजा का नाम भगदत्त था जिसका अर्थ है (भग) देवता से प्राप्त ! धीरे धीरे पुरानी फारसी, ईरानी और अवेस्ता में यह भग शब्द बग या बेग के रूप में परिवर्तित हो गया ! आगे चलकर बग या बेग बाद में रसूखदार लोगों की उपाधि भी हो गई !

मेसोपोटेमिया के उपजाऊ भाग में स्थित बगदाद अरब विश्व का एक प्रमुख नगर एवं इराक की राजधानी है ! हालांकि यह नगर 4,000 वर्ष पहले से ही अस्तित्व में रहा है ! नदी के किनारे स्थित यह शहर पश्चिमी यूरोप और सुदूर पूर्व के देशों के बीच, समुद्री मार्ग के आविष्कार के पहले कारवां मार्ग का प्रसिद्ध केंद्र था !

राजा भागदत्त जो प्राग्ज्योतिष (असम) देश के अधिपति नरकासुर के पुत्र और इंद्र के मित्र थे। वे अर्जुन के बहुत बड़े प्रशंसक थे, लेकिन कृष्ण के कट्टर प्रतिद्वंद्वी ! एक बार भौमासुर ने इंद्र के कवच और कुंडल छीन लिए इसपर कृष्ण ने क्रुद्ध होकर भौमासुर के सात पुत्रों का वध कर डाला ! भूमि ने कृष्ण से भगदत्त की रक्षा के लिए अभयदान माँगा ! भौमासुर की मृत्यु के पश्चात् भगदत्त प्राग्ज्योतिष के अधिपति बने !

महाभारत के कुरुक्षेत्र में भगदत्त ने चीन और किरात सैनिको के साथ कौरव सेना को अपना समर्थन दिया ओर कौरवों की और से लड़े और अपने विशालकाय हाथी के साथ उसने दर्शन सहित बहुत से योद्धओं का वध किया ! यही नहीं अपने 'सौप्तिक' नामक हाथी पर उसने भीम और घटोत्कछ को पराजित किया था !

भगदत्त के पास शक्ति अस्त्र और वैष्णव अस्त्र जैसे दिव्यास्त्र थे ! महाभारत युद्ध के 12वें दिन उसके वैष्णव अस्त्र को श्रीकृष्ण द्वारा विफल किया गया और फिर अर्जुन ने उसका वध किया ! 

भगदत्त का अर्जुन के साथ कई बार युद्ध हुआ ! जब इसका अंतिम युद्ध अर्जुन के साथ हुआ तब तक भगदत्त काफी वृद्ध हो चुका था ! अत्याधिक वृद्ध होने के कारण भगदत्त अपनी बड़ी हुई स्वेत पलकों को पट्टे से बाँध कर अर्जुन के सामने युद्ध में जमा रहा ! अर्जुन ने इसके पलकों के पट्टे को तोड़ कर इसका वध किया ! 

कृतज्ञ और वज्रदत्त नाम के इनके दो पुत्र थे ! कृतज्ञ का वध महाभारत में नकुल के द्वारा किया गया ! अतः भगदत्त की मृत्यु के पश्चात वज्रदत्त राजगद्दी का अधिकारी बना जिसे आगे चलकर अर्जुन ने युद्ध में पराजित किया !


नेपाल के एक शिलालेख में राजा हर्ष को भी भगदत्त कुलोत्पन्न बताया गया है।

एक टिप्पणी भेजें

एक टिप्पणी भेजें