दिल को बहलाने ग़ालिब ख़याल अच्छा है ?



बुराई और अच्छाई का पैमाना भी बड़ा विचित्र है | एक घटना जो दुर्भाग्य प्रतीत होती है, कई बार वही आगे चलकर भाग्योदय का कारण बन जाती है | आज के "नया इंडिया" समाचार पत्र में ऐसी ही एक दिलचस्प घटना का वर्णन पढ़ने को मिला | घटना भिवानी की और समय 1975 का आपातकाल | भिवानी अर्थात आपातकाल के सर्वाधिक बदनाम मुख्यमंत्रियों में एक बंशीलाल का गृह नगर | उनके साहिबजादे भिवानी के चौक में स्थित घंटाघर पर चढ़कर मौजमस्ती किया करते थे | घंटाघर जिन सेठ जी ने बनवाया था, उनको इससे आपत्ति होती थी | किस्मत के मारे सेठ जी ने थोड़े मुखर होकर साहिबजादे को टोकने की हिमाकत कर दी | बस फिर क्या था ? बंशीलाल जी का पारा सातवें आसमान पर पहुँच गया | उन्होंने सेठ जी की पूरी मार्केट पर बुलडोजर चलवा दिया | सेठ जी थोड़े चतुर निकले और उन्होंने मुम्बई से विशेष तौर पर बुलवाए गए एक फोटोग्राफर से पूरी घटना की रिकार्डिंग करवा ली, फिल्म बनवा ली | 

आपातकाल समाप्त हुआ | आपातकाल में हुई ज्यादतियों की जांच के लिए शाह आयोग बना | सेठ जी ने आयोग के सामने पूरी फिल्म प्रदर्शित कर दी | नतीजा यह हुआ कि सेठ जी को उनकी जमीन वापस मिली, और बंशीलाल जी को सजा भुगतनी पडी | लेकिन जो मुख्य बात हुई वह यह कि सेठ जी के वारे न्यारे हो गए | उनकी जो मार्केट तोडी गई थी, उसमें वर्षों से किरायेदार नाम मात्र के किराए पर जमे हुए थे | दुकानें टूटीं तो दुकाने भी खाली हो गईं, जो शायद वर्षों तक कोर्ट कचहरी का चक्कर लगाने के बाद सेठ जी की भावी पीढी भी खाली नहीं करवा पाती | सेठ जी की नई मार्केट बनी और लक्ष्मी मैया की कृपा से वे करोडपति से अरबपति बन गए |

अब अपने जगत मामा शिवराज जी को ही लो | आपातकाल में वरिष्ठ प्रचारक श्री सूर्यकांत जी केलकर गिरफ्तार हुए | उनकी डायरी में नाम लिखा होने के चलते, शिवराज जी को भी प्रशासन ने धर दबोचा और मीसाबंदी के रूप में जेल पहुंचा दिया | अब सभी जानने हैं कि वह इकलौती घटना शिवराज जी के भाग्योदय का कारण बन गई | आज अगर वे मध्यप्रदेश के हरदिल अजीज मुख्यमंत्री हैं, तो महज उस एक डायरी के कारण | पता नहीं बाद में शिवराज जी ने उस डायरी को प्राप्त कर अपने पूजन कक्ष में रखा या नहीं |

यह दूसरी बात है कि उस डायरी की कृपा से अकारण गिरफ्तार हुए शिवराज जी का तो भाग्योदय हुआ, किन्तु अनेक ऐसे लोग जिन्होंने आपातकाल के विरुद्ध संघर्ष किया, यातनाएं झेलीं, आज जूतियाँ चटकाते घूम रहे हैं | बुराई में अच्छाई छुपी हो सकती है, लेकिन साथ साथ यह भी जरूरी नहीं कि सद्कार्य का फल इस जन्म में मिले | 

मित्रगण क्या कहते हैं ? 

दिल को बहलाने ग़ालिब ख्याल अच्छा है |

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