शिवपुरी निवासी एक शिवभक्त की शिवस्तुति !

आगरा मुंबई राजमार्ग पर ग्वालियर से १०० किलोमीटर दक्षिण मैं स्थित है शिवपुरी जिसे पूर्व मैं सीपरी कहा जाता था | इसकी प्राकृतिक छटा और शिव मंदिरों की अनमोल धरोहर के कारण सिंधिया राजवंश के स्वर्गीय महाराजा माधवराव प्रथम ने इसे स्टेट काल मैं अपनी ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाकर विकसित किया एवं शिवपुरी नाम दिया | 

माधवराव जी के सौतेले भाई बलबंत राव जी ने भी राजस्थान के कुछ सम्पन्न परिवारों को यहाँ बसाया, उनमें से ही एक परिवार है बंगले वाला परिवार | इस परिवार ने शहर के मध्य नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण करवाया | परिवार के मुखिया के बड़े बेटे श्री मदनलाल गोयल बचपन से ही भाव प्रवण शिव भक्त थे | बड़े घर के बेटे होने के बाद भी उन्हें अपने इष्ट देव के सम्मुख नृत्य करते हुए उनकी स्तुति करने मैं कभी संकोच नहीं हुआ | 

उनके द्वारा लिखी गई स्तुति जब भक्तगण समवेत स्वर मैं शिवरात्रि या श्रावण मास मैं गायन करते तो भक्ति की मानो गंगा ही बहने लगती | "तुम तो जगत के नाथ हो, सब पर दया का हाथ हो " गाते समय रुंधे कंठ व बहते प्रेमाश्रु मैंने कई अवसरों पर देखे हैं | अपने शिवभक्त मित्रों के साथ स्वर्गीय श्री मदनलाल जी गोयल द्वारा विरचित शिवस्तुति साझा कर रहा हूँ - 

झांकी उमा महेश की आठों प्रहर किया करू,
नयनों के पात्र मैं सुधा भर भर के मैं पिया करू |
तुम तो जगत के नाथ हो, सब पर दया का हाथ हो,
मैं ही निराश हो प्रभु दर दर पे क्यूँ फिरा करू || झांकी ....||
चंचल चलायमान मन, खींचते उधर व्यसन,
विराट नाथ - मैं हूँ कण, डर डर के क्यूँ जिया करू || झांकी ....||
जयित जय महेश है, जयित जय नंदिकेश है,
जयित जय उमेश है, प्रेम से मैं जपा करू || झांकी ....||
वेकल हूँ नाथ आप बिन चैन नहीं है रात दिन,
दास तो सब्र कर भी ले, दिल का उपाय क्या करू || झांकी ....||

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