दिल्ली की गद्दी सावधान

आज का एक समाचार विचारणीय है और सोचने को विवश करता है कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार और आज की भाजपा नीत सरकार में मौलिक अंतर क्या है ? भारतीय संसद ने बांग्ला देश के साथ उस समझौते को मंजूरी दे दी, जो 2011 से लंबित था | अब दोनों मुल्क कुछ भूभाग एक दूसरे को देंगे | जैसा कि हमेशा होता आया है, भारत के हिस्से मे कम जमीन आयेगी, बांग्लादेश को अधिक मिलेगी | इन इलाकों में बसे 50,000 लोगों को हक़ होगा कि वे चाहे भारत में रहें अथवा बांग्ला देश में | स्वाभाविक ही अधिकाँश भारत में ही आएंगे | शायद 50000 से कीं अधिक | 

पहले से ही घुसपैठ के कारण उत्पन्न जनसंख्या असंतुलन से जूझ रहा देश एक नए संकट में खुद होकर फंसने जा रहा है |  मजे की बात यह है कि 2011 में हुए उक्त समझौते का उस समय भाजपा ने कड़ा विरोध किया था और अब कल संसद ने जब इसे हरी झंडी दी तो माननीय प्रधान मंत्री महोदय ने कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया जी को सहयोग के लिए धन्यवाद दिया | कोई पूछे कि भाई चूंकि यह समझौता तो कांग्रेस काल का था, यातो देश से और सोनिया जी से माफी मांगो कि आपने अकारण इसे पांच साल लटकाया, या फिर सोनिया जी से धन्यवाद लो कि आपने उनके निर्णय को अमलीजामा पहनाया | आपने धन्यवाद दिया, बात कुछ हजम नहीं हुई | 

खैर पढ़िए वास्तविक समस्या को रेखांकित करती मेरी एक कविता -


दिल्ली की गद्दी सावधान
सुन ब्रह्मपुत्र की करुण पुकार |
बंगलादेशी मिला रहे
अमिय कुम्भ में विष की धार ||

दुख का विषय एक है आगे,भारतवासी बड़े अभागे,
गत चुनाव घुसपैठ समर्थक,
जीते, हम फिर भी ना जागे |

देश बांग्ला पिद्दी देखो,
पर जीत लिया है अखाडा,
कांग्रेस ओ भाजपा ने,
माँ का अंचल फाड़ा |

राष्ट्र वृक्ष पर चढ़ी बेल विष,
राजनीति परजीवी |
देश की रक्षा करने जागे,
यह समाज अब खुद ही |

तीन करोड़ बांगलादेशी
मतदाता सरकार चुने |
प्रजातंत्र के इस धसान में
भारतवासी कौन गिने ||

हंस के लिया है पाकिस्तान
लड़ के लेंगे हिंदुस्तान ||
नारा अब बेकार पुराना
छलबल है सबसे आसान ||

काश्मीर केशर की क्यारी
कुटे पिटे हिन्दू सब भागे |
बही कहानी आसामी की
कुछ वर्षों में देखें आगे ||

माँ के टुकडे होते जाएँ
हम सब देखें आँखे खोले |
तंत्र बड़ा या देश पूछता,
अपना मन खुद आप टटोले ||

भाजपा की हुई पराजय
बेशक जश्न मना लेंगे |
बांगला देशी बसा चुके हैं
पाकी भी अपना लेंगे ||

केरल में तो हम सब देखें
लीगी अब सरकार है |
काश्मीर में करे गिलानी
किसकी जयजयकार है ||

उत्तर दक्षिण पूरब हारे,
गुजरात बचा है किसके सहारे ?
कुछ तो सोच विचार करें मिलअब तो जागो मोहन प्यारे ||

जब तक हिन्दू वोट बटेंगे
राष्ट्रघात ही जीते रे |
क्षण क्षण कण कण बहता जाए
अमृत घट भी रीते रे ||

कामख्या का आँगन हमको
है प्राणों से प्यारा रे |
राष्ट्र पुरुष की नस नस में है
ब्रह्मपुत्र की धारा रे ||

इन पर आंच ना आने पाए
चाहे प्राण भले ही जाए |
रूद्र देवता जय जय काली
बच्चा बच्चा देश का गाये ||

याद करें फिर वरदाई को
भूषन कवि पर मान करें |
पाठ्य पुस्तकों में नव पीढी
राष्ट्र भक्ति का गान करे ||

एक टिप्पणी भेजें

एक टिप्पणी भेजें