नेताजी सुभाष के खजाने की लूट पर नेहरू सरकार कठघरे में |


नेताजी सुभाषचंद्र बोस के परिवार की जासूसी कराने के खुलासे के बाद अब आजाद हिंद फौज की रकम को लेकर एक सनसनीखेज नयी जानकारी सामने आयी है | एक अंगरेजी वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार, आजाद हिंद फौज के लिए नेताजी ने काफी रकम एकत्र की थी, जिसमें नकदी के अलावा 100 किलो सोना और जेवर भी शामिल थे | यह वो सोना था जिसे भारत की मां-बहनों ने आजादी की लड़ाई के लिए नेताजी को दान में दिया था. अब सीक्रेट फाइलों से ये पता चला है कि उस खजाने को जब लूटा जा रहा था, तब भारत की नेहरू सरकार चुपचाप देख रही थी.लेकिन, 1945 में नेताजी की मौत के बाद इस धन को गायब कर दिया गया | लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि तत्कालीन नेहरू सरकार को इस बारे में जानकारी थी, लेकिन सरकार ने इस पर आंखें मूंद ली | वेबसाइट ने गोपनीय दस्तावेजों के आधार पर दावा किया है कि तत्कालीन जवाहरलाल नेहरू सरकार को इस बारे में तोक्यो से तीन बार चेतावनी जारी की गयी थी, किन्तु सरकार ने जिस शख्स पर खजाना लूटने का आरोप था, उसे ही बाद में सरकारी नौकरी से नवाजा |

इस मामले से जुड़ी फाइलें प्रधानमंत्री दफ्तर के पास है. करीब एक दशक से सरकार इन्हें सार्वजनिक करने से इनकार कर रही है | बताया जाता है कि इनमें लिखा है - 29 जनवरी, 1945 को बोस को उनके 48वें जन्मदिन पर रंगून में उनके वजन के बराबर सोने से तोला गया था | उस सप्ताह दो करोड़ रुपये से ज्यादा का दान इकट्ठा किया गया था, जिसमें 80 किलो सोना भी शामिल था | लेकिन, ब्रिटिश सेना के बर्मा में बढ़ते कदमों के चलते 24 अप्रैल को नेताजी 63.5 किलो खजाना छोड़ कर बैंकॉक चले गये | 15 अगस्त, 1945 को जापान ने मित्र राष्ट्रों के सामने समर्पण कर दिया | 

1945 में विमान हादसे में नेताजी सुभाषचंद्र बोस की मौत अब तक एक रहस्य है, लेकिन इससे बड़ा रहस्य यह है कि नेताजी ने आजाद हिंद फौज के बैंक के लिए जो खजाना जुटाया था, उसे उनके करीबियों ने ही लूटा और सारी जानकारी होने के बावजूद केंद्र की जवाहर लाल नेहरू सरकार आंख मूंदे बैठी रही |1952 में चार पैकेट में आजाद हिंद फौज का 11 किलो सोना वापस आ सका. ये ताइवान हादसे के बाद जमा किया गया था. जले हुए बैग में ये खजाना आज भी राष्ट्रीय म्यूजियम दिल्ली में पिछले 62 साल से पड़ा है. इस पूरे मामले के सामने आने के बाद इसे आजाद भारत में सरकार का पहला गड़बड़झाला माना जा रहा है.

दस्तावेजों के मुताबिक नेताजी के करीबी ए अय्यर और एम रामामूर्ति ही खजाना लूटने के आरोपी हैं | इनमें से अय्यर को 1953 में पंचवर्षीय आयोग में सलाहकार नियुक्त किया गया।
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