सौर ऊर्जा को महिला सशक्तीकरण का आधार बनाने जा रही है मोदी सरकार |


सौर चरखा खादी क्षेत्र में एक क्रांति लाने जा रहा है | इसे आम के आम और गुठली के दाम की संज्ञा दी जा सकती है | एक ओर तो इसके माध्यम से खादी के उत्पादन में वृद्धि तो दूसरी ओर महिला सशक्तिकरण | 
पिछले गुरुवार को भारत सरकार के राज्यमंत्री श्री गिरिराज सिंह ने केंद्रीय खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) के कार्यालय का दो दिवसीय दौरा किया।
इस दौरान श्री सिंह ने सीईओ और आयुक्त अरुण कुमार झा, अन्य वरिष्ठ अधिकारियों तथा महाराष्ट्र राज्य की खादी संस्थाओं के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा की | श्री सिंह ने इस अवसर पर जानकारी दी कि प्रत्येक संसदीय क्षेत्र में एक लाख महिलाओं को सामाजिक सुरक्षा योजना के तहत रोजगार प्रदान करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा गया है | इसका उद्देश्य खादी का उत्पादन बढाकर उसकी बिक्री भी छब्बीस हजार करोड़ से बढाकर एक लाख करोड़ करना है |
मंत्री महोदय ने कहा कि "मजदूरी कम होने के कारण जहां एक ओर खादी उत्पादन से जुड़े लोगों की संख्या में वृद्धि नहीं होती, वहीं कारीगरों का पलायन और कम उत्पादकता की समस्या भी रहती है" । सौर चरखा की मदद से बुनकरों पर काम का बोझ कम होगा, साथ ही उत्पादकता भी बढ़ेगी | इसके माध्यम से प्रत्येक मजदूर को आसानी से 5,000 / से लेकर 8,000 / रु की आमदनी भी होगी ।
उन्होंने कहा कि कपड़ा मिल में एक व्यक्ति को 25,000 स्पिंडल के साथ रोजगार के लिए पूंजी लागत, 60 लाख के आसपास होती है, जबकि सौर चरखा के मामले में Rs.60,000 / से 70,000 / -की आवश्यकता होगी । 


बैठक के दौरान मंत्री ने उन फैशन डिजाइनरों से भी चर्चा की जो युवाओं के बीच खादी को लोकप्रिय बनाने के लिए व्यावहारिक सुझाव के साथ वहां आये थे ।

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