देश का प्रथम डिजिटल गांव,जहाँ 5 रुपए से ज्यादा का भुगतान नहीं होता कैश में



गांव का नाम सामने आते ही टूटी-फूटी सड़कें, खपरैल और घास-फूस से बने घर और रोजी रोटी के लिए खेतों में मेहनत करते किसान आदि की तस्वीरें दिमाग में उभरने लगती है, यहां रहने वाले लोगों के लिए आलीशान बंगला, महंगी कार, अच्छी शिक्षा और हर तरह की जरूरी सुख-सुविधाएं जो शहरों में रहने वाले लोगों को मिलती है एक सपने की तरह है ! परन्तु भारत में एक गाँव है अकोदरा, इस गांव में प्रवेश करने के बाद ऐसा कहीं से भी नहीं लगता कि यह गांव उन गांवों की तरह है जिनकी तस्वीर हमारे दिमाग में बनी हुई है ! आमतौर पर गांव में बदलाव की गति बहुत धीमी होती है परन्तु तकनीक बहुत कुछ बदल देती है, तकनीक लोगों के रहन-सहन से लेकर उनके देखने और सोचने का तरीका, सबकुछ बदल देती है !

डिजिटल इंडिया बनाने के बारे में कहा जाता है की इसमें सबसे बड़ी चुनौती हमारे गांवों को डिजिटाइज करने में आएगी, परन्तु इस आशंका को अहमदाबाद से 100 किमी दूर अकोदरा गांव ने गलत साबित किया है ! अकोदरा गांव में हुए बदलाव को देख तकनीक की ताकत का अंदाजा लगाया जा सकता है ! आज अकोदरा देश का पहला पूरी तरह से डिजिटल गांव है ! अकोदरा के सफल प्रयोग के बाद डिजिटल इंडिया का सपना और अधिक विश्वसनीय लगने लगा है ! 

अकोदरा आईसीआईसीआई बैंक का ड्रीम प्रोजेक्ट है ! इस गांव को डिजिटल बनाने पर बैंक अक्टूबर से काम कर रहा है ! खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अकोदरा को देश के पहले डिजिटल विलेज का खिताब दिया ! गुजरात के सरबरकांठा जिले में अकोदरा नाम के इसी गांव से मोदी ने गुजरात का मुख्यमंत्री रहते पहला पशुगृह 2011 में शुरू किया था ! आज इस गांव में लोग 5 रुपये से ज्यादा के ट्रांजेक्शन - मोबाइल या फिर कार्ड से करते हैं ! चाहे गांव का बाजार हो या मंडी अब लोगों ने नगद लेन देन पूरी तरह से बंद कर दिया है ! डिजिटल होने के बाद इस गांव का रुतबा सचमुच बदल चुका है ! 

इस गांव को डिजिटल बनाने में युवाओं का साथ मिला, तो सोच बदलना आसान हो गया ! कैश से डिजिटल पेमेंट तक का सफर तय करने में युवाओं का अहम योगदान रहा ! गांव के युवाओं की मदद से बैंक ने अन्य ग्रामीणों की सोच भी बदली और गांव में कैश में लेन-देन लगभग समाप्त हो गया ! गांववालों का मानना है कि डिजिटाइजेशन से उनकी बचत बढ़ी है ! अब यहाँ के लोग डिजिटल दुनिया में पैसे से पैसा बनाना सीख रहे हैं !

डिजिटल होने से अकोदरा गांव में लेन-देन के तरीके, निवेश और खरीदारी के तरीकों के साथ, लोगों के निजी जिंदगी में भी काफी कुछ बदला है ! गांव में आंगनबाड़ी से लेकर हायर सेकेंडरी तक यह बदलाव देखा जा सकता है ! गाँव के विद्यालयों में ब्लैकबोर्ड की जगह स्मार्ट बोर्ड ने ले ली है एवं यहाँ पढ़ाई टीवी के जरिये हो रही है और बस्ते में किताब नहीं टैबलेट हैं ! नई तकनीक से पढ़ाए जाने के कारण बच्चे भी पढ़ाई में ज्यादा उत्साहित हैं, विद्यालयों में विधार्थियों की उपस्थिति बढ़ी है ! 

डिजिटल होने के पश्चात गांव में ई-हेल्थ सेंटर खुला है जहां गांववालों के मेडिकल रिकॉर्ड बटन दबाते ही मिल जाता है ! टेलीमेडिसिन की सुविधा हो जाने के कारण यहां बैठे-बैठे दूसरे बड़े शहरों के डॉक्टरों की राय भी ली जा सकती है !

सिर्फ इतना ही नहीं इस बदलाव का असर यहां के सामाजिक जीवन पर भी दिख रहा है ! आसपास के गांव के लोग अब अपनी लड़कियों की शादी अकोदरा गांव में करना चाहते हैं ताकि शादी के बाद उनकी लड़कियों को मॉर्डन रहन-सहन और बेहतर सुविधाएं मिलें !

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