सुबह सबेरे एक अटपटा समाचार –


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(आज से भोपाल में एक नया समाचार पत्र प्रकाशन प्रारम्भ हुआ है | प्रधान सम्पादक महोदय श्री उमेश त्रिवेदी जी ने इस समाचार पत्र को एक मिशन बताते हुए लिखा - 'अखबार के पन्नों में सूचनाओं की धुंध के बीच विचार और वैचारिकता की रोशनी धुंधलाने लगी है | हमारी कोशिश होगी कि विचारों की यह मशाल धुआं ना पकडे और रोशनी का आलम बना रहे |' समाचार पत्र की सफलता की हार्दिक शुभकामना के साथ प्रस्तुत है समाचार पत्र में प्रकाशित संपादक श्री गिरीश जी उपाध्याय का एक विचारपूर्ण लेख |'

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मध्यप्रदेश विधानसभा में मानसून सत्र के दूसरे दिन सदन की कार्यवाही शुरू होने के कुछ मिनिट बाक़ी थे | नेता प्रतिपक्ष सत्यदेव कटारे और कांग्रेस कि कुछ विधायक सदन में आ चुके थे | सामने सत्ता पक्ष की सीटों पर संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा और ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव आपस में बतिया रहे थे | कुछ महिला विधायकों का समूह चर्चा में मशगूल था |

इसी दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मुस्कुराते हुए सदन में प्रवेश किया | सत्तापक्ष के विधायक और मंत्री उनकी ओर बढे, लेकिन चौहान अपनी सीट की तरफ जाने के बजाय नेता प्रतिपक्ष की ओर चले गए |

मुख्यमंत्री को अपनी ओर आता देखकर कटारे अपनी सीट से उठ खड़े हुए और हाथ जोड़कर मुख्यमंत्री का अभिवादन किया | मुख्यमंत्री ने अभिवादन का उत्तर देते हुए कटारे के कंधे पर हाथ रखकर पूछा – कैसी तबियत है ...?

‘मैं ठीक हूँ, इलाज चल रहा है’ कटारे ने जबाब दिया | ‘अपनी सेहत का ध्यान रखिये, राजनीति तो चलती रहती है’ मुख्यमंत्री ने सलाह दी | कटारे ने मुस्कुराते हुए सलाह पर सर हिलाया |

इतने में सदन में अध्यक्ष के आने की घोषणा हुई और मुख्यमंत्री अपनी सीट की ओर चले गए | प्रश्नकाल शुरू होता, इससे पहले संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कुछ कहना चाहा. लेकिन अध्यक्ष ने टोक दिया | ‘पहले प्रश्नकाल हो जाने दीजिये’ | आसंदी के निर्देश को स्वीकार कर मिश्रा चुपचाप अपने स्थान पर बैठ गए | प्रश्नकाल पूरा हुआ तो नेता प्रतिपक्ष ने खड़े होकर आसंदी से गुजारिश की कि व्यापम का मामला बहुत गंभीर है और इस पर चर्चा होनी चाहिए | की छात्रों का भविष्य बर्बाद हुआ है | सैंकड़ों लोग जेलों में हैं | दोषियों को सजा मिलनी चाहिए और सरकार की जिम्मेदारी भी तय हो |

इससे पहले कि आसंदी से कोई व्यवस्था आती, मुख्यमंत्री खड़े हुए और कहा – ‘अध्यक्ष महोदय यह वास्तव में गंभीर मामला है | हमने पूरी इमानदारी से दोषियों को सजा दिलाने के प्रयास किये हैं | पहले इस मामले की जाँच हाईकोर्ट की निगरानी में चल रही थी, अब सुप्रीम कोर्ट ने हमारी सहमती के बाद मामला सीबीआई को दे दिया है | मैं नहीं समझता कि अब इस विषय पर सदन में चर्चा करना उचित होगा | वैसे यदि विपक्ष चाहे तो सरकार चर्चा के लिए पूरी तरह तैयार है |’

नेता प्रतिपक्ष ने मुख्यमंत्री के प्रस्ताव का स्वागत करते हुए कहा कि ‘अध्यक्ष महोदय, आप समय तय कर दें | चर्चा आज हो या किसी और दिन, हम राजी हैं |’

अध्यक्ष ने कहा कि चूंकि सत्ता पक्ष को इस विषय पर चर्चा से कोई एतराज नहीं है, और दोनों पक्षों की सहमती है, इसलिए मैं इस विषय पर दो दिन बाद चर्चा के लिए तीन घंटे का समय निर्धारित करता हूँ |

सदन ने अध्यक्ष की इस व्यवस्था का मेजें थपथपाकर स्वागत किया | अध्यक्ष ने कार्यसूची का अगला विषय लेते हुए कार्यवाही आगे बढ़ा दी |

वैधानिक चेतावनी – पाठक इस खबर को सच न समझें | मानसून सत्र के दूसरे दिन ऐसा कुछ नहीं हुआ | यह सिर्फ एक आदर्शवादी कल्पना है कि सदन की कार्यवाही किस तरह चलनी चाहिए | लेकिन अब आदर्श बचे ही कहाँ हैं ? अंततः आपके लिए खबर यही है कि सदन में वही सब हुआ जिससे ‘खबर’ बनती है | आपके इस सवाल का भी कोई मतलब नहीं है कि आंधी, तूफ़ान एवं भारी वर्षा से फसलों की बर्बादी और किसानों को मुआवजा न मिलने को लेकर जो चर्चा तय थी, वह क्यों नहीं हो सकी ?

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