जूते भी खाए, अब प्याज भी खायेंगे |



समय पर निर्णय न लेना कितना भारी पड़ता है, यह कोई मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार से पूछे | सर्वोच्च न्यायालय का ताजा निर्णय तो यही दर्शाता है | यूं तो मध्यप्रदेश सरकार ने दो दिन पूर्व ही उच्च न्यायालय के सम्मुख व्यापम घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की मांग प्रस्तुत कर दी थी | किन्तु यह उसने तब किया जब सर्वोच्च न्यायालय के सम्मुख मामला विचारार्थ पहुँच गया | और जैसा कि पूर्व अनुमान था, सर्वोच्च न्यायालय ने मामले से जुड़े सभी केस की जांच सीबीआई को सौंपने का भी आदेश दे दिया। साथ ही दो हफ़्तों में जांच रिपोर्ट सोंपने का निर्देश भी |

भ्रष्टाचार तो जन सामान्य जैसे तैसे सहता ही रहता है, मान लेता है कि यह तो शिष्टाचार बन गया है, किन्तु जिस प्रकार पीड़ितों ने आत्महत्याएं कीं, अथवा अतिशय तनाव के कारण वे हृदयाघात के शिकार हुए, अथवा कुछ की हत्यायें हुईं, उनके कारण यह आम धारणा बन गई कि दाल में कुछ काला है, मामला उतना भर नहीं है, जितना दिखाई दे रहा है |

इसके साथ साथ मामले में जिन लोगों ने रिश्वत दी, वे विगत दो ढाई वर्षों से जेल में बंद हैं | न तो उनकी जमानत हो पा रही और न ही मुक़दमा प्रारम्भ हो रहा है | इसके कारण भी बड़े पैमाने पर असंतोष भड़का | लोगों ने इसे आपातकाल जैसा मान लिया | दोषियों को या तो सजा मिले या जमानत, यह सामान्य बात है | बिना दोष सिद्ध हुए किसी निर्दोष को जेल में क्यूं रखा जा रहा है, यह यक्ष प्रश्न सबके दिमाग को मथ रहा है | सवाल यह भी कि अगर रिश्वत देने वाले ढाई हजार नौजवान व उनके अभिभावक जेल की हवा खा रहे हैं तो रिश्वत लेने वाले उनकी तुलना में नगण्य संख्या में क़ानून के दायरे में आये हैं |

ऊपर से तुर्रा यह कि केंद्र में बैठे मोदी महाशय की नाराजी की खबर भी आ रही है | कहा जा रहा है कि मध्यप्रदेश के पूर्व प्रभारी अनंत कुमार जिनके शिवराज जी से अच्छे सम्बन्ध बताये जाते हैं, अब उन्हें इन नए तेवरों से अवगत करायेंगे | अब शिवराज जी भी सोच रहे होंगे कि काश सीबीआई से जाँच का निर्णय प्रारम्भ में ही ले लिया गया होता ?

साथ ही कपिल सिब्बल ने सर्वोच्च न्यायालय के सम्मुख मध्यप्रदेश के गवर्नर रामनरेश यादव को हटाने की मांग को लेकर भी दलीलें रखीं। उन्‍होंने कहा- एमपी के गवर्नर रामनरेश यादव के खिलाफ FIR दर्ज हो चुकी थी। लेकिन मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था। ऐसा करना गलत था क्योंकि व्यापमं के सीईओ ने अपने बयान में कहा था कि गवर्नर की इस केस में भूमिका रही है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में भी केंद्र सरकार और अन्य को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है ।

उधर मध्‍यप्रदेश के मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक प्रेस कॉफ्रेंस में आशा जताई कि जांच के बाद संदेह के सारे बादल छटेंगे | उन्होंने इसे स्वयं के लिए अग्नि परीक्षा के समान बताया और कहा कि मामले की हर तरीके से जांच की जानी चाहिए |

व्यापम घोटाले को लेकर कैसे कैसे मजाक सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, उनसे जनमत का अंदाज सहज लगाया जा सकता है –

रवीश कुमार शिवराज जी से – शिवराज जी व्यापम घोटाले में किसका हाथ है ?
शिवराज जी – यह तो नहीं मालूम, पर यह पता है कि जो भी इस मामले में पूछताछ करता है, वह मर जाता है | तो आप क्या पूछ रहे थे ?
रवीश कुमार – जी कुछ नहीं , मैं तो यह पूछ रहा था कि भाभी जी पकौड़े किस तेल में बनाती है ?
अन्त में एक अहम बिंदु कि अगर जाँच अर्जुनसिंह जी के समय से लेकर आज तक की हुई तो कौन फंसेगा से ज्यादा यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन बचेगा ?
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