साध्वी प्रज्ञा प्रकरण पर उपजे जनरोष से घबराए दिग्विजय सिंह जी ने किया संघ पर फूहड़ वार |


इंदौर का एक डॉक्टर आनंद राय आज सुर्ख़ियों में है | दिग्विजय सिंह जी उस पर ब्लॉग लिख रहे हैं | क्यों ? क्योंकि उसने दिग्विजय सिंह जी के चिर शत्रु आरएसएस पर निशाना साधा है | और निशाना भी ऐसा बैसा नहीं, स्वयं को संघ स्वयंसेवक बताते हुए संघ की तीखी आलोचना की है | स्वयं को 2005 से संघ से जुडा बताने वाले इन आनंद राय का कथन है कि “"संघ आतंकवादी अभियुक्त प्रज्ञाभारती के साथ तो खड़ा हो सकता है, जिसने सार्वजनिक रूप से संगठन को बदनाम किया, किन्तु मेरे साथ नहीं | जबकि मैंने व्यापम घोटाले को उजागर किया |” 

स्मरणीय है कि आज ही साध्वी प्रज्ञा जी का जन्मदिन होने के कारण सोशल मीडिया पर उनके जन्म दिन अभिनन्दन के साथ साथ, उन्हें फंसाने में दिग्विजय सिंह जी की भूमिका को लेकर तीखी आलोचना हो रही है | आज दिन भर से भारत में #Justice4SadhviPragya ट्विटर ट्रेंड छाया हुआ है | उसके जबाब के रूप में शाम होते होते दिग्विजय सिंह जी ने यह चाल चली है |

अपने blog में जिस आनंद राय को वे संघ से जुडा हुआ बता रहे हैं, हकीकत में वह अपने छात्र जीवन से ही कांग्रेस मानसिकता का रहा था व उसके दिग्विजय सिंह जी से नजदीकी सम्बन्ध रहे थे | मेडीकल कोलेज में भी वह एनएसयूआई का छात्र नेता था | 

किन्तु 2003 में भाजपा सरकार बनने के बाद उसने भाजपा से नजदीकी बढ़ाना शुरू कर दी और इंदौर में भाजपा चिकित्सा प्रकोष्ठ का पदाधिकारी बन गया | संघ से उसका सम्बन्ध महज इतना है कि वह संघ शिक्षा वर्गों में बीमार स्वयंसेवकों के इलाज के लिए पहुँच जाया करता था | उसने स्वयं कभी कोई प्राथमिक शिक्षा वर्ग भी नहीं किया, जो सक्रिय संघ स्वयंसेवक की प्राथमिक पहचान होती है |

आज जिस प्रकार वह अपना इंदौर से धार ट्रांसफर हो जाने के बाद दिग्विजय सिंह जी के शब्दों को अपना बताकर संघ को कोस रहा है, उससे स्पष्ट प्रमाणित होता है कि वह प्रारंभ से ही दिग्विजय सिंह जी का हस्तक था, तथा यह सम्पूर्ण प्रकरण एक राजनैतिक षडयंत्र है | 

पाठक स्वयं विचार करें कि ये शब्द किसके हो सकते हैं, दिग्विजय सिंह के अथवा तथाकथित स्वयसेवक आनंद राय के - "क्या यह घातक घोटाला अनुच्छेद 370 या समान नागरिक संहिता की तुलना में कम महत्वपूर्ण है?"

दिग्विजय सिंह जी व आनंदराय के संबंधों का इससे बड़ा प्रमाण क्या होगा कि मध्यप्रदेश से जिन गिने चुने लोगों को राजा साहब ने अपने बेटे की शादी में आमंत्रित किया, उनमें श्री आनंद राय भी सम्मिलित थे | आनंद राय संघ के स्वयसेवक कभी नहीं थे, जो थोड़ी बहुत नजदीकी उन्होंने बढाई भी, वह दिग्विजयसिंह जी की योजना से ही | 

हाँ इस घटना से एक बात जरूर प्रमाणित होती है कि भाजपा को अपने पराये की पहचान नहीं है | न जाने दिग्विजय सिंह जी के कितने चेले चपाटे भाजपा की छत्रछाया में फलफूल रहे होंगे, और जब भी कठिन समय आएगा, अपनी औकात बताएँगे, जैसे कि आज राय साहब ने अपनी असलियत प्रदर्शित की है |