पद्मनाभ स्वामी मंदिर का विशिष्ट अल्पसी महोत्सव अक्टूबर में

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दक्षिण भारत के सर्वाधिक प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है तिरुअनंतपुरम स्थित श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर | मंदिर का सर्वाधिक भव्य महोत्सव होता है अल्पसी महोत्सव | दिनांक 7 अक्टूबर को “होम कलशम” की स्थापना के साथ इस महोत्सव का प्रारम्भ हो जाएगा | इसके साथ ही “प्राकरशुद्धि”, “बिम्बशुद्धि” और “मन्नुनीरूकोरल” की रस्में भी संपन्न होंगी | महोत्सव का मुख्य आकर्षण है - 10 अक्टूबर से प्रारम्भ होने वाला तांत्रिक अनुष्ठान | बाद के दिनों में “तत्वहोमम”, “तत्व कलशम” और “ब्रह्म कलशम” के अनुष्ठान भी संपन्न होंगे । 

सिवेलिस – सिवेली अर्थात मंदिर परिसर के भीतर होने वाली देव परिक्रमा | इस दौरान देव प्रतिमाओं को स्वर्ण और चांदी की पालकियों में मंदिर परिसर में भ्रमण कराया जाता है | सिवेली के दिनांक और वाहन इस प्रकार हैं – 

13 अक्टूबर (सिंहासन वाहनम), 14 अक्टूबर (अनंत वाहनम), 15 अक्टूबर (कमल वाहनम), 16 अक्टूबर (पल्लकु वाहनम), 17 अक्टूबर (गरुड़ वाहनम), 18 अक्तूबर (इंद्र वाहनम), 19 अक्तूबर (पल्लकु वाहनम), 20 अक्टूबर (गरुड़ वाहनम), 21 अक्तूबर (गरुड़ वाहनम) और 22 अक्टूबर (गरुड़ वाहनम)। 

त्रावणकोर शाही परिवार के प्रमुख शाही तलवार हाथ में लिए इस दौरान जुलूस के साथ रहेंगे । 

वालियाकनिक्का अनुष्ठान 20 अक्टूबर को आयोजित किया जाएगा | 21 अक्टूबर को पल्लिवेत्ता पर्व के पश्चात 22 अक्टूबर को आरत्तु के साथ महोत्सव का समापन होगा। 

मंदिर प्रशासन समिति द्वारा कलशम और श्रीवेली उत्सवों के दौरान भक्तों को विशेष प्रसाद वितरित होगा । कलशम उत्सव 14 अक्टूबर से 21 अक्टूबर तक आयोजित किया जाएगा। 

श्री पदम गेट के पास मंडपम में प्रतिदिन संगीत समारोहों का आयोजन रहेगा | थुलाभारा मंडपम में भरतनाट्यम और मोहिनीयात्तम जैसी कलाओं का प्रदर्शन किया जाएगा

मंदिर का आदर्श नवीकरण अगले महीने से शुरू होगा । 

श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर में मुख्य विग्रह के नवीनीकरण का कार्य 2 सितंबर से पारंभ हो जाएगा। 
इसलिए मंदिर प्रबंधन ने 30 सितंबर तक दर्शन के समय में बदलाव किया है । 

"दर्शन 02 से 30 सितम्बर तक 11:30 से 5:00 तक दर्शनों पर रोक लगाई जाएगी," यह जानकारी मंदिर तंत्री थरानानाल्लूर परमेश्वरन नंबूदिरीपाद, कार्यकारी अधिकारी के.एन. सतीश और प्रशासन समिति के सदस्य सीए विजयकुमार ने उक्त जानकारी दी है । 

भगवान श्री पद्मनाभ की मूर्ति कदुसर्करा योगम से निर्मित है, जिसमें पृथ्वी, कषायं, अनाज, वृक्षों की लाख और कई प्रकार के मसालों का जटिल मिश्रण होता है । 

कनिपय्युर माकन कृष्णन नंबूदिरीपाद के नेतृत्व में एक दल भगवान के विग्रह निर्माण कार्य को करेगा । कदुसर्करा योग बनना भी एक श्रमसाध्य कार्य है, जिसे थेकुमंमधोम प्रदीप नंबूदिरी, रथीस नंबूदिरी, हरिकृष्णन नंबूदिरी और सुरेश भात्तथिरिपद की टोली द्वारा संपन्न किया जाएगा । 

नए पेरीयानाम्बी ने पदभार सम्हाला - 

मंदिर के मुख्य पुजारी (पेरीयानाम्बी) के रूप में अब नरसिम्हन कुमार रहेंगे | अभी तक मारुताम्पदी पद्मनाभन नंबूदिरीपाद इस दायित्व को सम्हाल रहे थे । 

कुमार अभी तक मंदिर के पंचागाव्यत्हू नाम्बी के रूप में सेवारत थे, यह कार्य अब वासुदेवन नारायण भट्तेरी द्वारा निर्वाह किया जाएगा। 

पेरीयानाम्बी के पदभार ग्रहण का समारोह गुरुवार दिनांक 22 अगस्त 2015 को प्रातःकाल संपन्न हुआ ।

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