चम्बल के बीहड़ों में अपने अजीबो गरीबो शौकों से चर्चित रहे यह “दस्यु” !

मध्यप्रदेश स्थित चम्बल के बीहड़ों में कहर बरपाने कई दस्यु गिरोह के कई सरगना अपने अजीबोगरीब शौक के कारण दंत कथाओं के पात्रों की तरह हमेशा चर्चित रहे हैं !

चम्बल के बीहड़ों में अधिकाश दस्यु गिरोह पूरे संभाग के जिले के जंगलों में सक्रिय रहे ! भारत की आजादी से पूर्व कुख्यात दस्यु सरगना टुन्डा अपने साथियों के साथ एक आकर्षक जलप्रपात पर रहता था अतः इस स्थान को उसके नाम से टुन्डा भरवा खो के नाम से जाना जाने लगा ! शिवपुरी के पास स्थित यह स्थल अब प्रसिद्ध पर्यटक स्थल बन गया है !

पचास से साठ के दशक में शिवपुरी के जंगलों में कुख्यात दस्यु अमृतलाल अपने गिरोह के साथ सक्रिय था ! बताया जाता है कि अमृतलाल ने ही लोगों का अपहरण करके उनसे फिरौती वसूलने की शुरुआत की थी जिस प्रथा को आज के डकैत गिरोह भी आगे बढ़ा रहे हैं !

कुख्यात दस्यु सरदार अमृतलाल के बारे में क्षेत्र के बुजुर्ग बताते है कि अमृतलाल उस जमाने में भी एक से सवा लाख रुपए की फिरौती लेने की सनक से ग्रस्त था, पचास से साठ के दशक में यह बहुत ही बडी रकम होती थी !

समय बीतता गया और क्षेत्र में नए नए दस्यु पैदा होते रहे ! इन जंगलों में दस्यु सरदार माधौसिंह ने दस्तक दी और बड़ी वारदातों को अंजाम दिया ! माधौसिंह के बारे में प्रचलित है कि माधौसिंह को निशानेबाजी और अपह्रतों से गाना सुनने का अजीब शौक था ! माधौसिंह एक कुशल निशानेबाज था ! यह दस्यु सरगना जब किसी अपह्रत को मुक्त करता था तो उसे मुक्त करने से पूर्व उससे गाना सुनने की फरमाइश करता था ! यही नहीं गाना सुनाने वाले को कुछ रुपए इनाम के रूप में भी देता था !

इस क्षेत्र में दस्यु मोहरसिंह का गिरोह भी सक्रिय हुआ करता था ! दस्यु मोहरसिंह का गिरोह अपने विशाल आकार और अपनी लम्बी लम्बी मूँछों के कारण चर्चित रहा ! बाद में रमेश सिकरवार और हरीसिंह नाम के डकैत दल इस क्षेत्र में सक्रिय रहे !

मोहरसिंह गिरोह के सदस्य हरीसिंह को लोंगों की नाक काटने की अजीब बीमारी थी ! जब भी हरिसिंह किसी से लड़ता तो सबसे पहले अपने विरोधी की नाक ही काटता था !

इस क्षेत्र के जंगलों में दयाराम, रामबाबू गडरिया, हजरत रावत, कमल सिंह जैसे खूँखार दस्यु गिरोह भी सक्रिय रहे, इन गिरोह में से सबसे ज्यादा खतरनाक इनामी एवं चर्चित दयाराम रामबाबू गडरिया गिरोह था ! रामबाबू और दयाराम को देशी घी खाने और अपहृतों को खिलाने का शौक था ! रामबाबू और दयाराम और इनके गिरोह के सदस्य घी के इतने दीवाने थे कि अपनी बंदूकों की सफाई भी तेल की जगह घी से किया करते थे ! 

इस गिरोह में रामबाबू सबसे ज्यादा क्रोधी और सनकी था ! रामबाबू की बन्दूक बात बात पर अपहृतों पर उठ जाती थी ! जब किसी अपहृत की फिरौती समय पर नहीं पहुँच पाती तो रामबाबू उसे गोली मारने को सबसे ज्यादा उतावला रहता था ! दयाराम और रामबाबू के बारे में कहा जाता है कि उन्हें एक हजार एवं पाँच सौ रुपए के नोटों और सोने के आभूषण से लगाव था और वे अपने साथ हमेशा बड़ी राशि रखते थे !

इसी बीहड़ में एक समय डाकू निर्भय गुर्जर का नाम गूंजता था ! वह लड़की और शराब का काफी शौकीन था ! उसके साथ उसकी दो प्रेमिकाएं सरला और नीलम हमेशा रहती थीं ! उसे खुश करने के लिए प्रेमिकाएं हमेशा जींस और टी-शर्ट पहनती थीं ! 8 नवंबर 2005 को पुलिस मुठभेड़ में वह मारा गया !

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