बिहार विधानसभा चुनाव - पूर्वानुमान |
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2010 में संपन्न बिहार विधानसभा चुनावों
की स्थिति
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Party
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Seats contested
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Seats won
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Seat change
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Efficiency
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Vote share
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Swing
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||||||
141
|
115
|
27
|
81.56%
|
22.61%
|
2.15%
|
|||||||
102
|
91
|
36
|
89.22%
|
16.46%
|
.81%
|
|||||||
168
|
22
|
32
|
13.10%
|
18.84%
|
-4.61%
|
|||||||
75
|
3
|
7
|
4%
|
6.75%
|
-4.35%
|
|||||||
243
|
4
|
5
|
1.65%
|
8.38%
|
2.29%
|
|||||||
56
|
1
|
2
|
1.79%
|
1.69%
|
-.40%
|
|||||||
41
|
1
|
1
|
2.44%
|
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1342
|
6
|
4
|
?
|
|||||||||
Total
|
243
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उपरोक्त विवरण को देखकर स्पष्ट है कि विगत चुनाव में जनता दल यू भाजपा के साथ चुनाव मैदान में उतरी थी, तथा नीतीश जी के नेतृत्व में उनके कुल 141 प्रत्यासी लडे व 115 विजई हुए थे | दूसरी ओर राष्ट्रीय जनता दल के 168 में से केवल 22 जीत पाए थे | कांग्रेस ने सभी सीटों पर अपने प्रत्यासी उतारे पर सफल हुए मात्र 4 | एक बात अवश्य है कि बहु कोणीय संघर्ष का लाभ जनता दल यू भाजपा गठबंधन को हुआ था |
2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के चलते 243 सीटों में से 174 पर भाजपा गठबंधन आगे था जबकि राष्ट्रीय जनता दल 30, जनता दल (यू) 18, कांग्रेस 13, राष्ट्रवादी कांग्रेस 4 सीटों पर आगे थीं अर्थात केवल 69 सीटों पर वर्तमान भाजपा विरोधी गठबंधन के उम्मीदवार आगे थे।
अब नातो बहुकोणीय संघर्ष है, और नाही लोकसभा जैसी प्रचंड मोदी लहर | इसके बावजूद भाजपा का पलड़ा भारी है | क्यों ?
इस बार नीतीश जी की पार्टी महज 100 सीटों पर चुनाव मैदान में होगी | तो लालूजी की पार्टी भी 100 सीटों पर संघर्ष करेंगे | कांग्रेस केवल 40 सीटों पर जोर आजमाएगी | इस प्रकार पिछली बार का त्रिकोणीय चुनावी मुकाबला इस बार रोचक सीधा संघर्ष होगा | भाजपा विरुद्ध शेष सब |
देखना यह है कि इसका लाभ किसे होगा | मुस्लिम वोट निश्चित रूप से भाजपा के विरुद्ध जायेंगे | लेकिन उनके इस ध्रुवीकरण की सहज प्रतिक्रिया भी शेष समाज में होना असंभव नहीं है | और यही इस चुनाव का निर्णायक बिंदु है |
आगामी विधान सभा में जनता दल यू के विधायक तो कम होना तय हो ही चुका है | उनकी संख्या 115 थी, और इस बार वे लड ही महज 100 सीटों पर रहे हैं | और स्वाभाविक ही वे उन सीटों पर ही लड़ेंगे, जिन पर वे पिछली बार सफल हुए थे | एंटी इनकम्बेंसी फेक्टर उनकी संभावना को निश्चित रूप से धूमिल भी करेगा | कांग्रेस बिहार में पहले ही संगठन शून्य है, अतः उसकी संख्या भी बढ़ने के आसार नगण्य हैं | आरजेडी अपने नायक लालू प्रसाद जी की सारी नेकनामी को पल्ले में बांधे कितनी सफल होगी, इस पर भी बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह है |
यादव, कुर्मी, भूमिहार (पिछड़े - महा पिछड़े) पासवान, मल्लाह, बेंठा (दलित-महादलित) में बंटा बिहार का हिन्दू समाज भी एकजुट हो सकता है यह मानने को सिक्यूलर तबका भले ही आज तैयार न हो, किन्तु चुनाव परिणाम इस वस्तुस्थिति को उन्हें समझा ही देंगे | कोई आश्चर्य नहीं कि भाजपा का विजय रथ सरपट दौड़ता दिखाई दे | सारी कवायद के बाद भी “शेष सब“ मिलकर 243 सदस्यीय विधानसभा में 100 सीटें ले जा पाए तो बड़ी बात होगी | इस आंकलन को सहेज कर रखिये, चुनाव के बाद आलोचना या प्रशंसा के लिए |
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