डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम - प्रेरणा का निर्झर


बिहार के गोपालगंज जिले में मांझागढ़ प्रखंड का छोटा सा गाँव है भटवलिया | इसी गाँव का 17 वर्षीय नौजवान पंकज कुमार आजकल अत्यंत सदमें में और दुखी है | विगत 11 वर्षों से उसके लिखने पढ़ने का सम्पूर्ण व्यय भार उठाने वाले, उसके प्यारे चाचा जो उसे छोड़ कर दूसरी दुनिया में चले गए हैं | क्या आप जानते हैं, कि जिनके जाने से पंकज का सुख चैन छिन सा गया है, उसके वे प्यारे चाचा कौन थे ?

उसके वे चाचा थे हमारे पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम साहब | जब पंकज महज 7 वर्ष का था, तब उसकी भेंट कलाम साहब से उनके शासकीय आवास पर हुई थी | पत्र पत्रिकाओं में पढ़कर उस ग्रामीण बालक को लगा कि राष्ट्रपति महोदय बच्चों से बहुत प्यार करते हैं | उसने राष्ट्रपति भवन के पते पर पत्र द्वारा अपने विचार लिखना प्रारम्भ किया | उसे यथोचित प्रत्युत्तर भी मिला और प्रोत्साहन भी | हिम्मत कर एक दिन वह राष्ट्रपति महोदय से मिलने राष्ट्रपति भवन जा पहुंचा | राष्ट्रपति महोदय से उस दिन उसकी भेंट नहीं हो पाई, तो वह आगंतुक रजिस्टर में अपना नाम पता लिखकर निराश लौट आया | 

उसकी व उसके परिवार की हैरानी की सीमा नहीं रही, जब गोपालगंज के कलेक्टर के माध्यम से उन्हें पुनः राष्ट्रपति भवन आने का आमन्त्रण मिला | 7 अगस्त 2004 का वह दिन पंकज कभी नहीं भूल सकता, जब उसकी तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल कलाम साहब से भेंट हुई | उस छोटे से बच्चे के विज्ञान व बाढ़ से सम्बंधित प्रश्नों ने राष्ट्रपति महोदय को अभिभूत कर दिया | वे उस नन्हे बालक की प्रतिभा देखकर चमत्कृत हुए | उम्र सात वर्ष की, और सोच इतनी ऊंची | उन्हें लगा कि अगर सही मार्गदर्शन मिले तो यह नन्हा बालक आगे चलकर देश का श्रेष्ठ वैज्ञानिक बन सकता है | शुभकामना के साथ उन्होंने पंकज की पढाई लिखाई का सम्पूर्ण खर्चा उठाना प्रारम्भ कर दिया | तब से लगातार पंकज की पढाई का सम्पूर्ण व्यय उनके माध्यम से प्राप्त होता रहा |

यह तो एक पंकज का विवरण हमें ज्ञात हो गया | किन्तु उनके माध्यम से न जाने कितने पंकज खिले होंगे |

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