भारत का एक गाँव जहाँ पुरुष पश्चाताप स्वरूप महिलाओं के हाथों से पिटते हैं !



भारत देश विचित्र परम्पराओं और अजीबोगरीब मान्यताओं वाला देश है ! यहां कदम-कदम पर निभाई जानेवाली रस्मों में कहीं उल्लास तो कहीं आस्था का रंग तो कहीं परंपरा का चोला देखने को मिलता है ! आस्था की इस कड़ी में आज हम आपको भारत के आदिवासी अंचल की एक अनूठी रस्म से अवगत कराने जा रहे है ! इस विशेष और अनूठी रस्म में जहाँ आस्था और विश्वास है वही कुछ हंसी-ठिठौली भी है ! 

मध्यप्रदेश स्थित देवास जिले के पुंजापुरा गांव में गणगौर उत्सव के समय एक अत्यंत अनूठी रस्म का निर्वाहन किया जाता है ! इस गांव में नौ दिवसीय गणगौर उत्सव मनाया जाता है और फिर अंतिम दिन निभाई जाती है एक अनूठी रस्म ! जिसमें गणगौर पूजा के साथ चलने वाले उत्सव के समापन अवसर पर युवतियों के द्वारा युवकों की पिटाई की जाती है !

दरअसल, इस रस्म के तहत एक चिकने, ऊंचे खंभे के ऊपर गुड़ की पोटली बांध दी जाती है ! खंभे के आसपास महिलाओं के हाथ में तामेश्वर (बेशरम), अकाव, इमली आदि पेड़ों की लकड़ी होती है ! युवकों की टोली जब खंभे पर बंधे गुड़ को निकालने जाती है तब महिलाएं इनकी पिटाई करती हैं और युवक अपने आपको बचाने के लिए हाथ में लकड़ी की गेंडी लिए हुए रहते हैं ! महिलाएं पिटाई करती रहती हैं और पुरुष खुद को बचाते हुए गुड़ की पोटली नीचे उतारने की कोशिश में जुटे रहते हैं !

महिलाओं की पिटाई से बचते-बचाते यह युवक आखिरकार गुड की इस पोटली को उतार तो लेते हैं, लेकिन यह प्रकिया करीब सात बार दोहराई जाती है ! सातों बार महिलाएं युवकों की धुनाई करती रहती हैं ! बाद में युवकों की टोली खंभे को उखाडऩे जाती है तब भी उन्हें मार खाना पड़ती है। ! फिर गड्ढे को ढंकते समय भी यही रस्म दोहराई जाती है ! रस्म समाप्ति के बाद महिला-पुरुष सामूहिक रूप से नाच-गाना करते हैं और महिलाएं गणगौर माता से अपना सुहाग अक्षत रखने की प्रार्थना करती हैं ! माता की मूर्ती को घर-घर घुमाकर गोद भराई की रस्म निभाई जाती है ! 

यह है मान्यता

गाँव वासियों का मानना है कि वर्ष भर पुरुष महिलाओं को प्रताडि़त करते हैं ! उसके बाद भी महिलाएं अपने सुहाग की रक्षा के लिए गणगौर पूजन करती हैं, इसलिए इस दिन गांव के पुरुष पश्चाताप स्वरूप महिलाओं के हाथों से पिटते हैं ! महिलाएं भी इस मौके का फायदा उठाने से नहीं चूकतीं और हंसी-ठिठौली के बीच पुरुषों की खासी धुनाई करती हैं ! गणगौर माता को खुश करने के लिए किए जाने वाले इस आयोजन में आसपास के गांवों के कई लोग शरीक होते हैं ! गांव के पुरुषों का मानना है यह रस्म हमें याद दिलाती है कि महिलाएं भी देवी हैं और उन पर अत्याचार करके हम अपना ही नुकसान कर रहे हैं, अतः अपनी गलतियों पर स्वयं को सजा देने के लिए हम इस रिवाज को निभाते हैं !

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