युवाओं को सीख देने से पहले ........सद्गुरू श्री जग्गी वासुदेव

क्या युवा जिस जीवन पथ पर चल रहे हैं, वह ठीक है ? 

आमतौर पर पुरानी पीढ़ी के वयस्क यह सोचते हैं, कि युवाओं का मार्ग ठीक नहीं है । हर पीढ़ी यही सोचती है। आपके पिता ने आपके बारे में ऐसा ही सोचा, आपके दादा ने आपके पिता के बारे में ऐसा ही सोचा, और उनके पिता ने भी उनके बारे में यही धारणा बनाई, इसलिए इसमें नया कुछ नहीं है । अतः ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है, बस इतना समझ लेना चाहिए कि युवा इस समय स्वयं का निर्माण कर रहे हैं । यदि आपके पास वस्तुतः उनके लिए कुछ जीवनोपयोगी है, तो वह उनको अर्पित कर दें । जरूरी नहीं है कि वे इसे आपकी इच्छानुसार ग्रहण करें, वे इसे अपने अनुसार स्वीकार कर लेंगे ।

युवा का अर्थ ही यह है कि वे अभी निर्माण की प्रक्रिया में हैं । वे अभी पूरी तरह कुछ बन नहीं गए हैं। बनते जा रहे हैं | जो लोग कुछ बन गए हैं, उनकी तुलना में बड़ा बनने की उनमें संभावना कहीं अधिक है । तुम कुछ कुछ में फंस चुके हो, जबकि वे अभी भी समझ-बूझ रहे हैं । क्योंकि वे चारों ओर देख रहे हैं, इसलिए आपको लगता है कि वे बड़ी गड़बड़ कर रहे हैं । आपके माता-पिता को भी आपके बारे में ऐसा ही लगता था । इसका अर्थ यह नहीं है कि जो लोग बड़े हो गए हैं उन्हें अपने चारों ओर नहीं देखना चाहिए ।

सचाई तो यह है कि पिछली पीढ़ियों, विशेष रूप से पिछली दो-तीन पीढी, युवाओं के सम्मुख यह प्रदर्शित करने में नाकाम रही हैं कि आपके जीवन मूल्य आखिर हैं क्या, क्योंकि स्वयं आपके पास भी वे नहीं हैं । क्योंकि आपका आचरण व्यवहार भी किसी जीवन आदर्श से अनुप्राणित नहीं है | आप पश्चिमी रंग में रंगे हुए हैं, आपके पास जो भी कुछ है, सब कुछ पश्चिमी है । यहाँ तक कि आपकी शर्ट, आपकी हेयर स्टाइल, यहाँ तक कि आपकी सोच भी पश्चिमी हो चुकी है । क्योंकि आप यह मानने लगे हैं कि पाश्चात्य होना कोई बड़ी बहादुरी का काम है । आज के युवा आपसे भी कुछ कदम आगे जा रहे हैं, क्योंकि हमेशा ही अगली पीढ़ी पिछली पीढी से कहीं अधिक हिम्मती होती है । 

आपमें भारतीयता क्या है? सिवाय इसके कि आप अभी भारतीय खाना खा रहे हों, उन्होंने जंक फूड पसंद करना शुरू कर दिया है। आप अभी भी सांभर खा रहे हैं, उन्हें मैकडॉनल्ड्स पसंद है। इसके अलावा आपमें और उनमें बड़ा अंतर क्या है?

इसलिए पहले तो आपको स्वयं अपनी संस्कृति में डूबकर उसमें से जो वास्तव में मूल्यवान है, उसे स्वयं समझना होगा । अमेरिका में बसे दूसरी पीढ़ी के भारतीय युवाओं में से कुछ अब वापस आ रहे हैं, क्योंकि उनको भारतीय जीवन दर्शन का महत्व समझ में आने लगा है । आप युवाओं को बदलने की चेष्टा में समय मत खपाओ, उन्हें अपने सांस्कृतिक जीवन मूल्य से अवगत कराओ | लेकिन पहले आपको स्वयं उन जीवन मूल्यों को समझना और उन्हें जीवन में उतारना होगा | फिर इससे कोई फर्क नहीं पडेगा कि वे "डोसा खाते हैं अथवा पिज्जा" ।

यह इसलिए भी आवश्यक है, क्योंकि युवा जीवनी शक्ति से भरपूर हैं, वे आपसे कहीं अधिक आदर्शोन्मुख हैं, आपसे कहीं अधिक संकल्पित हैं । यदि दुनिया को युवा संचालित करेंगे तो यह दुनिया अधिक श्रेष्ठ होगी। उनमें मानवता की उच्च ऊर्जा विद्यमान है, उनमें क्षमता है, गतिशीलता है । दुनिया में जो कुछ भी रचनात्मक होता है, वह युवाओं द्वारा होता है। अगर विनाश भी होता है तो वह भी युवाओं द्वारा ही किया जाता है।
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