हे भगवान् ! मोदी सरकार की इतनी उपलब्धियां ?

राजनीति क्या महज मनोरंजन का साधन है ? क्या लालू जी द्वारा बोली जाने वाली चुटकुलों वाली भाषा, या राहुल जी पर बनने वाले चुटकुले ही भारतीय राजनीति की पहचान हैं ? क्या नरेंद्र मोदी को भी हमने महज मनोरंजन के लिए देश का प्रधान मंत्री बनाया है ? अगर नहीं तो फिर देश की इन उपलब्धियों पर गौर कीजिए और गर्व से उन्नत मस्तक कर लीजिये –

1 - आज बराक ओबामा और चीन दोनों संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सीट के लिए भारत का समर्थन कर रहे हैं |

2 – जापान के साथ 5 वर्ष की समय सीमा में बुलेट ट्रेन बनाने हेतु 35 बिलियन डॉलर का उद्यम समझौता । 

3 – भारत की परमाणु ऊर्जा क्षमता बढाने के लिए आस्ट्रेलिया के साथ 500 टन यूरेनियम की आपूर्ति करने संबंधी करार पर हस्ताक्षर । 

4 – सत्या नडेला (माइक्रोसॉफ्ट), इंदिरा नूयी (पेप्सीको), शेरिल सैंडबर्ग (फेसबुक), जेफ बेजोस (अमेज़न), मार्क जुकरबर्ग (फेसबुक) ने समझ बढाने वाले उपक्रमों पर चर्चा की |

5 – इजराईल द्वारा संयुक्त शैक्षिक अनुसंधान कार्यक्रम के लिए5 मिलियन डॉलर की व्यवस्था | 

6 – शी और उनके चीनी सहयोगियों द्वारा 20 बिलियन डॉलर निवेश की संभावना |

7.- भारत की व्यवस्थित प्रगति के लिए फ्रांस द्वारा 2 बिलियन डॉलर का सहयोग |

8 – आगामी पांच वर्षों में एयरबस आउटसोर्सिंग निर्माण के लिए चार सौ मिलियन से दो बिलियन यूरो की व्यवस्था । 

9 – देल्ही चंडीगढ़ के बीच 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से ट्रेन चलाने के स्वप्न को शीघ्र साकार करने की योजना बनाने हेतु फ्रेंच राष्ट्रीय रेल द्वारा संयुक्त उपक्रम को सहमति । 

10 – आश्चर्यजनक ढंग से 42 वर्ष बाद भारतीय कार्यकारी अधिकारी कनाडा गए, किसी बैठक के लिए नहीं, बल्कि राजकीय यात्रा पर, एक द्विपक्षीय व्यवस्था बनाने में भारत सफल हुआ, जिसके कारण अगले 5 साल तक भारत के परमाणु रिएक्टरों के लिए कनाडा 3,000 मीट्रिक यूरेनियम की आपूर्ति करने के लिए सहमत हुआ । इससे भारत की बिजली समस्या को हल करने में अविश्वसनीय मदद मिलेगी । इतना ही नहीं तो कनाडा ने सभी भारतीय यात्रियों के लिए वीजा प्रविष्टि की भी पुष्टि की । 

11 – जापान और भारत के बीच दोनों देशों के हित में द्विपक्षीय सहयोग हेतु सहमति । 

12 – भाजपा सरकार ने सऊदी अरब को राजी किया गया कि वह कच्चे तेल के हर वितरण पर अधिशुल्क न ले | युवा पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस प्रकार देश के करोड़ों रुपये बचाए । 

13 – भारत भूटान में 4 पनबिजली बल स्टेशनों + बांधों का निर्माण करेगा (भारत को भविष्य में इन उद्यमों से हरित क्रांति हेतु आवश्यक ऊर्जा प्राप्त होगी)

14 – भारत नेपाल में अब तक का सबसे बड़ा बाँध निर्माण करने जा रहा है (चीन ने भी इसे पाने कि भरसक कोशिश की थी) – भविष्य में बिना परिश्रम के ही इस पनबिजली फोर्स स्टेशन से भारत की 83% कृषि उपज को जीवनी शक्ति प्राप्त हो जायेगी । जापान और वे के साथ 

15 - .जापान के साथ विस्तृत सहयोग से देल्ही मुम्बई निवेश कोरीडोर हेतु 30 बिलियन डॉलर निवेश की सहमति प्राप्त हुई है |

16 – वियतनाम के साथ भी एक महत्वपूर्ण सहयोग सहमति बनी है, जिसके अनुसार ONGC में तेल की खोज की जायेगी | यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि संप्रग सरकार ने चीन के विरोध के कारण दक्षिण चीन सागर की इस योजना पर जोर नहीं दिया था |

17 - अमरीका द्वारा बहिष्कार के बावजूद ईरान से तेल आयात का विस्तार । ईरान ने भारतीय रुपये में भुगतान को सहमति देकर एक ओर तो हमारी विदेशी मुद्रा बचाई और दूसरी ओर भविष्य की अस्थिरता से भी भारत को सुरक्षित किया । इसके अतिरिक्त भारत को ईरान में अपने लिए "चवहर" बंदरगाह का निर्माण करने का भी अवसर मिला, जिसमें हम अपनी समुद्री नौकायें खडी कर सकते हैं 

18 - नमो ने अपनी क्षमता से टोनी एबट को इस बात के लिए राजी कर लिया कि अब ऑस्ट्रेलिया हमारी ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए कोयला और यूरेनियम की उल्लेखनीय आपूर्ति करेगा।

19 – कुछ बातों पर गौर कीजिए | संप्रग सरकार पूर्व में "हंबनटोटा बंदरगाह" के विस्तार योजना में नीचा देख चुकी थी किन्तु अब श्रीलंका में चीन के प्रति झुकाव रखने वाले राजपक्षे राष्ट्रपति चुनाव हार चुके हैं | साथ ही सी आई ए की ताजा रिपोर्ट पर भी ध्यान दीजिये जिसमें इस बात का खुलासा हुआ है कि किस प्रकार रॉ के प्रयत्नों से श्रीलंका में शक्ति संतुलन प्रभावित हुआ | श्री लंका अब चीनी पकड़ से बाहर आकर भारतीय उद्यम निर्देशकों के लिए अपने द्वार खोल चुका है । 

20 – व्यापार में कमी का भय दिखाकर नमो ने चीन की संभावित दुस्साहस पूर्ण गतिविधि पर अंकुश लगा दिया है | शत्रुतापूर्ण डंपिंग पर सख्ती से रोक लगाई जा रही है, अतः चीन को अब ईमानदारी के साथ भारत से व्यवसायिक सम्बन्ध रखने होंगे । यही कारण है कि चीन 20 अरब डॉलर अर्थात लगभग 14 हजार करोड़ रुपये के निवेश को सहमत (विवश) हुआ है | 

21 – जहां तक सुरक्षा का प्रश्न है, अजित डोवाल को समूह में जोड़ना नमो का एक बहुत अच्छा कदम है | जहाँ एक ओर पेंटागन, इजरायल और जापान के साथ विकसित होते सम्बन्ध और दूसरी ओर आतंक की नाव रोकने के लिए बोले गए आत्म विश्वास से भरे ये शब्द - "पाकिस्तान की तरफ से मुम्बई जैसा एक भी हमला हुआ और पाकिस्तान बलूचिस्तान खो बैठेगा” | कौन भारतीय ऐसा होगा जो आतंकवाद रोकने के लिए इतने कड़े शब्द नहीं सुनना चाहेगा ? हम पहल नहीं करेंगे, लेकिन अगर हम पर प्रहार हुआ तो हम चुप नहीं बैठने वाले | ईंट का जबाब पत्थर से देंगे | आतंकवाद रोकने की यही सबसे सही नीति है, जिस पर बहुत देर के बाद, अब चला जा रहा है |

22 – चीन के दबाब में अब तक भारत चीन सीमा पर और पूर्वोत्तर में सड़क मार्ग निर्माण नहीं कर पाया था, यूपीए सरकार के कार्यकाल में एशियाई विकास बैंक भी हमें सबसिडी नहीं देता था, और सभी दस्तावेज पर्यावरण मंत्रालय के नियंत्रण में रखे गए, उसी दौरान हुए “जयन्ती टेक्स” स्केंडल का भी स्मरण कीजिए | किसी ने भी इन सबका हमारी सेना पर क्या प्रभाव पड़ेगा, इस बात का ज़रा भी विचार नहीं किया |

23 – भारत जिस प्रकार यमन के युद्धक्षेत्र में फंसे हुए अपने 4,500 से अधिक भारतीयों को और 41 से अधिक देशों के नागरिकों को बचाकर वापस लाया, उसने अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत को जबरदस्त प्रसिद्धि दी | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस प्रकार सऊदी अरब के नए शासक सलमान के साथ बातचीत कर उन्हें भारतीय वायुसेना के विमानों को उड़ान भरने के लिए अनुमति देने को सहमत किया, वह उनके असामान्य कौशल को प्रदर्शित करता है, क्योंकि सऊदी अरब और यमन के बीच युद्ध होने के बाद यमन ने अपने आकाश को नो फ्लाई जॉन घोषित किया हुआ था | अगर इस पूरे घटनाचक्र पर नजर दौडाई जाए तो हैरत होती है | महज कुछ घंटों में यह सब हो गया, किसने योजना बनाई ? किसने क्रियान्वित की ? अजीत डोभाल, सुषमा स्वराज और जनरल वी के सिंह, एक व्यक्ति नहीं, सामूहिक उत्तरदायित्व, एक सूत्र में बंधे हुए | और यही वह सूत्र है, जिसने असंभव को संभव बना दिया । और आनंद से देखिये हमारी राजनैतिक बिरादरी को, बजाय सुषमा जी की कार्यकुशलता की सराहना करने, बेबात का बतंगड़ बनाकर उनसे त्यागपत्र माँगा गया |

24 – भारतीय वायुसेना की प्रतिरोध क्षमता दिन पर दिन कमजोर हो रही थी, संप्रग सरकार सैन्य अधिकारियों द्वारा दिए जाने वाले फीडबेक को हँसी में उड़ा रही थी | नमो ने इस स्थिति की गंभीरता को समझा और त्वरित निर्णय लेकर फ्रांस से पुनः बात्चीत्कर 36 राफेल जेट विमान खरीदने का निर्णय ले लिया | कोई कमीशन नही, कोई बिचौलिया नहीं, इसलिए कीमत भी बाजिब |

25 – अभी तक हम केवल रूस या अमेरिका से परमाणु रिएक्टरों की खरीद कर रहे थे और वे भी हमसे इस प्रकार का व्यवहार करते थे मानो हम पर दया कर रहे हों | हम पर बंधन लगाया जाता था कि कि हम किसी अन्य उपयोग के लिए परमाणु रिएक्टर का उपयोग नहीं कर सकते | वे हमें जरूरतमंद मानते थे और इसलिए किसी दानदाता जैसा व्यवहार करते थे | इस स्थिति को समझकर नरेंद्र मोदी ने फ्रांस के साथ सम्बन्ध विकसित किये और अब स्थिति यह है कि फ्रांस एक भारतीय संस्था के साथ मिलकर परमाणु रिएक्टरों को भारत में ही बनाएगा और हमें देगा । यह है मेक इन इंडिया का प्रभाव और उपयोगिता | 

26 - 26 जनवरी के अवसर पर हुई बराक ओबामा की भारत यात्रा के दौरान नमो ने उन्हें इस बात के लिए तैयार कर लिया कि संयुक्त राज्य अमेरिका अपने परमाणु ईंधन के सिद्धांत को शिथिल कर प्रस्तावित 16 परमाणु शक्ति संयंत्र के उपक्रमों के लिए कोई रूकावट नहीं बनेगा ।

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