9 अगस्त 1942 भारत छोडो आन्दोलन और बैतूल की शहादत


आज 9 अगस्त है | आज ही के दिन 1942 में कांग्रेस ने “अंग्रेजो भारत छोडो” का स्वर गुंजाया था | इस एक नारे ने पूरे भारत में चेतना की अद्भुत लहर दौड़ दी | इस आन्दोलन में मध्यप्रदेश का बैतूल जिला बलिदान और शौर्य का अद्भुत उदाहरण बना | जहाँ आम व्यक्ति संघर्ष के मार्ग पर चला, वहीं दूसरी ओर अंग्रेज नृशंसता की भी पराकाष्ठा हुई |

महादेव तेली का बलिदान 

12 अगस्त को बैतूल जिले के प्रभात पट्टन में बाजार लगा हुआ था | आसपास के गाँवों से बड़ी संख्या में लोग बाजार में आये हुए थे | अति उत्साह में नौजवानों ने तय कर लिया कि आज पुलिस वालों को भी उनकी वर्दी के स्थान पर खादी के वस्त्र पहनाएंगे | फिर क्या था वही हुआ | आजादी के नारे गुंजाते हुए भीड़ ने पुलिस वालों की वर्दी फाड़ फेंकी और उन्हें खादी के वस्त्र पहना दिए | समाचार मिलते ही बड़ी संख्या में मुलताई से कुमुक आ पहुंची | और उन्होंने जुलूस पर गोली चला दी | स्वतंत्रता की वेदी पर एक और सपूत महादेव तेली का बलिदान हो गया |

वीरसा गोंड की शहादत –

बैतूल जिले के घोडा डोंगरी-शाहपुर क्षेत्र के गोंड वनवासी समाज के नायक विष्णू सरदार ने गाँव गाँव घूमकर समाज जागरण का कार्य किया | उनके प्रयत्नों से प्रेरित व संगठित होकर 19 अगस्त को एक बड़ा समूह घोडा-डोंगरी रेलवे स्टेशन के पास एकत्रित हुआ | इस आंदोलित समूह ने रेल की पटरियां उखाड़ फेंकी | रेलवे स्टेशन के पीछे स्थित लकड़ी के विशाल शासकीय डिपो को आग के हवाले कर दिया | पुलिस ने बदले की कार्यवाही करते हुए, बिना किसी पूर्व चेतावनी के गोलियां चला दीं, जिससे वीरासा गोंड की तो घटना स्थल पर ही मृत्यु हो गई, तथा जिर्रा गोंड की बाद में कारावास के दौरान | अंग्रेज हुकूमत ने उसके बाद वनवासी समाज पर अकथनीय अत्याचार किये |

नाहिया में पिता पुत्र का बलिदान –

बैतूल जिले के नाहिया गाँव के स्कूल रिकोर्ड में अगस्त माह में ही नाग पंचमी के दिन आग लगा दी गई | पुलिस अग्निकांड के आरोपियों को पकड़ने गाँव पहुंची | अधिकारियों ने पटेल के घर पर डेरा जमाया और पूरे गाँव को वहीं बुलवाया | केला किरार के दो बेटे खेत से काम निबटाकर भोजन को बैठे ही थे, कि तभी पुलिस के सिपाहियों ने उन्हें पटेल के घर पहुँचने का फरमान सुनाया | बड़े भाई उदय ने कहा, ठीक है, हम खाना खाकर पहुँचते हैं | बेलगाम सत्ता के नशे में चूर सिपाहियों ने इस जबाब को गुस्ताखी माना | और उसे गोली से भून दिया | छोटा भाई सदाराम बीच में आया तो उसे भी नहीं बख्सा | रोता बिलखता पिता केला किरार अपने जवान पुत्रों की लाश से लिपटकर चीत्कार कर सिपाहियों को कोसने लगा तो उसे भी निर्दयता पूर्वक मौत के घात उतार दिया गया | अपने ही घर पर निर्दयता पूर्वक क़त्ल कर दिए गए पिता पुत्र की शहादत देखकर पूरा इलाका थर्रा उठा |

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