प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की आकस्मिक संयुक्त अरब अमीरात यात्रा के निहितार्थ !

यूं तो विगत एक वर्ष में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अनेक विदेश यात्राएं हुई हैं, किन्तु संयुक्त अरब अमीरात की उनकी यात्रा जिस तुरत फुरत अंदाज में घोषित हुई है, उसने कई अटकलों को जन्म दे दिया है | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस यात्रा को न केवल भारत में बल्कि दुबई में सरकार और यहां तक ​​कि आयोजकों को भी हतप्रभ कर दिया है ।

इस यात्रा का निर्णय स्वयं प्रधानमंत्री ने लिया है, और इस बाबत अधिकारियों को विगत बुधवार को अवगत कराया गया । अब विदेश मंत्रालय और साउथ ब्लॉक के अधिकारी सुरक्षा सहित अन्य व्यवस्था बनाने में जुटे हुए हैं ।

इस यात्रा में श्री मोदी निवेश व सुरक्षा सहयोग पर जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करेंगे तथा कुछ बड़ी घोषणाएं भी होने की संभावनाएं जताई जा रही हैं । अधिकारियों के अनुसार वे इस यात्रा के दौरान अबू धाबी और दुबई जायेंगे | आगामी 16 – 17 अगस्त को वे अबू धाबी के युवराज शेख मोहम्मद बिन जायद, और दुबई के शासक और संयुक्त अरब अमीरात के प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम से भेंट करेंगे | "व्यापार, विनिवेश, ऊर्जा और वहां रहने वाले भारतीय समुदाय पर इस यात्रा के दौरान मुख्य रूप से ध्यान केंद्रित किया जाएगा" | किन्तु सबसे महत्वपूर्ण विषय जिस पर देश विदेश की निगाह रहेगी वह है आतंकवाद विरोधी सहयोग समझौते ।

श्री मोदी इस दौरान दुबई स्पोर्ट्स सिटी में भारतीयों की एक विशाल सभा को भी संबोधित करेंगे।

प्रारम्भिक तैयारी के लिए विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के साथ विदेश सचिव एस जयशंकर और सचिव अनिल वाधवा रविवार को संयुक्त अरब अमीरात के लिए रवाना हो गए हैं । कठिनाई यह है कि अभी वर्त्तमान में संयुक्त अरब अमीरात का भारत में कोई राजदूत नहीं है | नव नियुक्त राजदूत के सितंबर में दिल्ली पहुंचने की संभावना है ।

भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच द्विपक्षीय निवेश संवर्धन और आतंकवाद विरोधी सहयोग पर करार मार्च 2013 से लंबित है | उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की यात्रा आखिरी समय में रद्द कर दी गई थी । विशेषज्ञों का मानना है कि श्री मोदी की यह यात्रा उनकी पूर्व घोषित इसराइल यात्रा के पूर्व अरब दुनिया के साथ भी संतुलन साधने की कवायद है ।


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