स्वयं अनपढ़ परन्तु फिर भी गाँव में खोल दिया अनोखा विद्यालय

झारखंड के धनबाद में पूर्वी सिंहभूम के डुमरिया प्रखंड मुख्यालय से सात किमी की दूरी पर भागाबांदी गांव में एक अनोखा विद्यालय है ! सुदूर इलाके का यह स्कूल नतीजों के मामले में भी किसी नामी प्राइवेट स्कूल की टक्कर का ही है !

वर्ष 2009 से मैट्रिक परीक्षा में शत-प्रतिशत रिजल्ट दे रहा है ! इस विद्यालय का एक भी विद्यार्थी परीक्षा में अनुतीर्ण नहीं होता ! फीस भी अनोखी ही है, मात्र एक रुपया और एक मुट्ठी चावल ! इस अनोखे विद्यालय में पहले आस पास के इलाके के बच्चे पढ़ते थे, परन्तु आज आलम यह है कि राज्य के अलावा ओड़िसा और पश्चिम बंगाल के बच्चे भी यहां पढ़ने आ रहे हैं !

ऐसे बन गया विद्यालय 

स्कूल के संचालक हैं आम्पा मुर्म ! बिल्कुल अंगूठा छाप यानी अनपढ़ ! वर्ष 1992 में किसी काम से प्रखंड कार्यालय गए थे ! वहां आवेदन लिखने का कहा गया ! पर अनपढ़ होने के कारण लिख नहीं पाए ! तब बाबूओं ने बेइज्जत कर उन्हें वहाँ से भगा दिया ! तब ही उन्होंने निर्णय लिया कि अनपढ़ होने की जो तकलीफ उन्हें झेलनी पड़ी वह इलाके के दूसरे बच्चों को नहीं झेलनी पड़े, इसी उद्देश्य से विंदु चांदन आवासीय विद्यालय खोला !

यहां बेहद गरीब बच्चों को ही दाखिला मिलता है ! दस शिक्षकों की टीम है जो बिना वेतन के उन्हें पढ़ाती है ! विद्यालय का खर्च जनसहयोग से चलता है ! पूर्व सांसद स्वर्गीय सुनील महतो ने दो कमरे का पक्का भवन बनवाया था ! यहां के विद्यार्थी कठोर अनुशासित जीवन जीते हैं ! विद्यार्थियों की बढ़ती संख्या के कारण कमरो की कमी खलती है, परन्तु विद्यालय के संस्थापक को भरोसा है कि इसका हल भी निकाल लिया जाएगा !

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