महाराष्ट्र सरकार का घिनौना सर्कुलर |



महाराष्ट्र सरकार द्वारा जारी नवीन सर्कुलर के अनुसार अब महाराष्ट्र में केंद्र या राज्य सरकार के विरुद्ध अपमानजनक, असंतोषजनक अथवा हिंसा भड़काने वाली भाषा बोलने, या लिखने वालों पर भारतीय दंड संहिता की देशद्रोह वाली धारा लगाई जा सकेगी ।

भारतीय दंड संहिता की धारा 124A की व्याख्या करते हुए 27 अगस्त को जारी इस कठोर फरमान द्वारा महाराष्ट्र सरकार ने पुलिस को अधिकार दिए हैं कि वह केंद्र या राज्य सरकार के विरुद्ध अपमानजनक, असंतोष पैदा करने वाले, हिंसा के लिए उकसाने वाले शब्दों के प्रयोग करने वालों पर कार्यवाही कर सकती है ।

इस सरकारी आदेश में जनप्रतिनिधियों को भी सरकार माना गया है | इतना ही नहीं तो केंद्र और राज्य सरकार के मंत्रियों, सांसद विधायकों, जिला परिषद अध्यक्ष, शहर के मेयर, आदि को भी सरकार के दायरे में रखा है । अर्थात इन सबको सरकार माना गया है | इनमें से किसी के भी खिलाफ कुछ लिखना, आलोचना करना खतरे से खाली नहीं है | संक्षेप में इनके प्रति द्रोह राष्ट्र के प्रति द्रोह की श्रेणी में माना जाएगा | आपातकाल में तो केवल इंदिरा इज इण्डिया, इण्डिया इज इंदिरा का नारा बुलंद किया गया था | अब तो तो ये सब जन प्रतिनिधि ही भारत हैं |

स्मरणीय है कि कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी मामले में बंबई उच्च न्यायालय को दिए गए आश्वासन के परिपालन के नाम पर यह कारगुजारी महाराष्ट्र सरकार ने की है | असीम त्रिवेदी को 2012 में एक कार्टून बनाने के अपराध में पूर्ववर्ती सरकार द्वारा गिरफ्तार किया गया था | उस घटना पर व्यापक प्रतिक्रया देशव्यापी भी हुई थी | अफसोसजनक बात है कि उस समय अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात करने वालों ने ही आज यह दुष्कृत्य किया है |

सरकार की ओर से स्पष्टीकरण देते हुए अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) केपी बख्शी ने कहा कि इस परिपत्र द्वारा उच्च न्यायालय में दिए आश्वासन के परिपालन में भारतीय दंड संहिता की धारा 124 की स्पष्ट व्याख्या की गई है । सरकार ने यह कदम इसलिए उठाया है कि विभिन्न पुलिस स्टेशनों के बीच भ्रम की स्थिति न उत्पन्न हो ।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि धारा 124-ए का उपयोग राजनैतिक विरोधियों के खिलाफ नहीं किया जाएगा । लेकिन यह वायदा तो इंदिरा जी ने भी मीसा काला क़ानून बनाते समय किया था |

महाराष्ट्र में जारी सरकारी सर्कुलर के अनुरूप दिशा निर्देशों में पुलिस से ध्यान में रखने को कहा गया है कि बोले या लिखे गए शब्दों से, या संकेतों या प्रत्यक्ष बयान से या दूसरी तरह से कोई भी व्यक्ति अगर केंद्र या राज्य सरकार के खिलाफ विद्वेष या घृणा फैलाता है या इसकी कोशिश करता है, असंतोष एवं हिंसा भड़काता है तो उसके खिलाफ आईपीसी की देशद्रोह से सबंधित धारा लगायी जा सकती है।
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