एक 9 वर्षीय बच्ची के जीवट की दास्ताँ, उसके संघर्ष से पकड़ा गया बलात्कारी |

एक और “नन्ही निर्भया” रांची के मेदान्ता अस्पताल में जीवन और मौत की लड़ाई लड़ रही है | 9 वर्षीय इस अबोध बच्ची का नाम हम “गुड्डी” मान लेते हैं | झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले में 3 जुलाई को वह अपनी मां के साथ सोई हुई थी | एक गरीब लोहार की बेटी “गुड्डी” | गरीबी का यह आलम था कि घर में दरवाजा भी नहीं | अपराधी को मौक़ा मिल गया और “गुड्डी” को उसके बिस्तर पर से अपहरण कर लिया गया | 

अपहरण करने वाला अपना मुंह कपडे से ढके हुए था | गुड्डी ने जागते ही छूटने के लिए जी जान से कोशिश की, लेकिन असफल रही | अपहरण कर्ता का मकसद एक ही था, गुड्डी के साथ बलात्कार | उसने निर्दयता पूर्वक उस अबोध बच्ची के साथ दुस्कृत्य किया | लगातार छूटने को छटपटाती, संघर्ष करती “गुड्डी” ने बलात्कारी के बाएं हाथ को अपने दांतों से काट लिया | उसके इस संघर्ष के कारण ही बाद में अपराधी पहचाना जा सका |

लडखडाती हुई खून से लथपथ “गुड्डी” घर पहुंची | उसे प्राथमिक उपचार के लिए राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) में ले जाया गया | जहां मल निकासी के लिए उसकी क्षतिग्रस्त आंतों को बाईपास कर पेट में छेद कर एक बेग रखा गया | लेकिन उसकी गंभीर हालत को देखते हुए व संक्रमण से बचाव के लिए उपचार की अधिक ही आवश्यकता थी | महंगी सर्जरी की भी आवश्यकता थी | जबकि घर में तो दो जून रोटी के भी लाले पड़े हुए थे | किन्तु स्थानीय व राष्ट्रीय मीडिया में समाचार आने के बाद रांची के मेदान्ता अस्पताल ने उसका निःशुल्क उपचार किया | 

गुड्डी के मूलाधार, योनि व मलाशय गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हुए थे | वरिष्ठ सर्जनों ने 2 सितम्बर को उसकी सर्जरी की और उस गंभीर घटना के बाद 4 सितम्बर शुक्रवार को “गुड्डी” के चहरे पर पहली बार मुस्कुराहट दिखाई दी | डॉक्टरों को आशा है कि “गुड्डी” जल्द ही ठीक होकर अन्य लड़कियों के समान ही सामान्य जीवनजी सकेगी |

इस बहादुर लड़की की जीवनी शक्ति के बाद अब चर्चा करते हैं, उस अपराधी की | गुड्डी को शिकार बनाने के पांच दिन बाद ही वह पड़ोस के गांव में एक महिला के घर में घुसा, किन्तु तभी पीडिता का भाई जाग गया, और अपराधी अपनी पेंट छोड़कर भागने को विवश हुआ | पेंट में बरामद ड्राईविंग लाईसेंस के कारण वह पकड़ा गया | 42 वर्षीय उस व्यक्ति की कद काठी वही थी, जो गुड्डी ने वर्णित की थी, साथ ही उसके हाथ में गुड्डी द्वारा काटे जाने का चिन्ह भी था | 

जब गुड्डी के पिता को उस व्यक्ति के विषय में पता चला तो उसकी हैरानी की सीमा नहीं रही | क्योंकि अपराधी गुड्डी के पिता को “भाई साहब” कहने वाला शख्श था | यहाँ तक कि गुड्डी भी उसे “चाचा” कहकर पुकारती थी | दुःख से सिर हिलाते गुड्डी के पिता की प्रतिक्रिया थी – “उफ़ ये शराब – जो न करादे वह कम है” |

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