मणिपुर हो रहा घायल, पर मीडिया इन्द्राणी के पीछे पागल |


मणिपुर की गंभीर घटनाओं की ओर अविलम्ब ध्यान देने की आवश्यकता है | क्योंकि वहां भी अलगाववादी तत्व इस सीमावर्ती प्रदेश को शेष भारत से पृथक करने का षडयंत्र रच रहे हैं | किन्तु सर्वाधिक दुर्भाग्यपूर्ण तथ्य यह है कि राष्ट्रीय मीडिया का इस ओर ध्यान ही नहीं है | प्रस्तुत है एक रिपोर्ट -

मणिपुर के चूडाचंदनपुर में सोमवार शाम मंत्री फूंगजाफांग तोनसिंह सहित दो मंत्रियों, पाँच विधायकों और स्थानीय सासंद के घरों में आग लगा दी गई। राज्य विधानसभा में तीन विधेयक पारित होने के विरोध में तीन आदिवासी छात्र संगठन हिंसा पर उतर आए। व्यापक हिंसा के बाद शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया है।

विस में पारित विधेयक मणिपुरी नागरिक संरक्षण विधेयक 2015, मणिपुर भू-राजस्व व भू सुधार विधेयक, मणिपुर दुकान व प्रतिष्ठान विधेयक 2015 हैं। इन्हें सोमवार को ही विस में पारित किया गया है। छात्र संगठनों ने इनके खिलाफ 12 घंटे के बंद का आह्वान किया था।

घटना में अब तक तीन लोग मारे जा चुके हैं | पुलिस के अनुसार आग लगा रहे लोगों पर गोलियां चलाई गईं जिसमें दो लोगों की मौत हो गई है | जबकि आग लगाने की कोशिश में एक आदमी को ख़ुद आग लग गई. और उसकी मौत हो गई.

चूड़ाचंद्रपुर ज़िला कुकी बहुल इलाक़ा है | स्थानीय लोग सोमवार को ही पारित भूमि राजस्व विधेयक से बेहद ख़फ़ा हैं | इस अधिनियम के मुताबिक़, गैर आदिवासी लोग अब आदिवासियों की ज़मीन ख़रीद सकते हैं | इसके पहले आदिवासियों की ज़मीन क़ानूनी तौर पर नहीं ख़रीदी जा सकती थी |

मणिपुर में इनर लाइन परमिट भी एक मुद्दा काफ़ी दिनों से गर्माता रहा है | मणिपुर के लोग मांग करते रहे हैं कि नागालैंड, मिज़ोरम और अरुणाचल प्रदेश की तरह वहां भी इनर लाइन परमिट की व्यवस्था हो | हांलाकि सरकार ने इनर लाइन परमिट की मांग मानकर सोमवार को राज्य विधासनभा में इसे प्रस्तुत भी कर दिया है, व उस पर 1 सितम्बर को चर्चा भी प्रस्तावित है | 

इनर लाइन परमिट के तहत अन्य राज्य के लोगों को अब मणिपुर आने से पूर्व प्रदेश सरकार से परमिट लेना होगा |

इसके पूर्व ही राजस्थान के लोगों पर निरंतर हो रहे हमलों, अपहरण और धमकियों के मामले में राजस्थान सरकार ने केंद्र सरकार से हस्तक्षेप का आग्रह किया था। राजस्थान के गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया ने इस बारे में केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से बात कर शीघ्र आवश्यक कदम उठाने का आग्रह किया ।

पिछले डेढ़ माह में ही पांच हजार से ज्यादा राजस्थानी मणिपुर छोड़ चुके हैं। मणिपुर छोड़कर जयपुर आए व्यापारियों ने गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया से मिलकर राजस्थानियों पर हो रहे अत्याचारों की जानकारी दी। इसके बाद कटारिया ने तत्काल केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से फोन पर बात कर मणिपुर में राजस्थानी व्यापारियों की सुरक्षा का मुद्दा उठाया।

राजस्थानी व्यापारियों ने बताया कि गत 10 जुलाई से गैर मणिपुरी लोगों के खिलाफ मणिपुर में अभियान छिड़ा हुआ है। उग्रवादी संगठन राजस्थानियों को निशाना बना रहे हैं। हालात इतने खराब हैं कि व्यापारी दुकान तो खोलना दूर, घरों से भी नहीं निकल पा रहे हैं। गैर मणिपुरी लोग जिन घरों में रह रहे हैं, वहां मकान मालिकों को भी उनसे घर खाली कराने को कहा जा रहा है।

यही स्थिति शेष उत्तर भारतीयों का भी है | उनका घरों से निकलना भी दूभर हो गया है। उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के खुटहन क्षेत्र के चार गांवों के बीस परिवार कई माह से दहशत के साये में जी रहे हैं। उनके सामने खाने के लाले पड़ गए हैं। काफी लोग घर-कारोबार छोड़कर वापस लौट चुके हैं।

यहां के अंगुली, मुबारकपुर, नवाबगंज और बहरीपुर गांव के बीस लोगों का परिवार करीब 35 साल से मणिपुर और इम्फाल में रहकर कारोबार करता है। वहां पर उग्रवादी संगठन की नुमाइंदगी कर रहे तमाम अराजक तत्व पिछले दो महीने से उत्तर भारतीयों पर कहर बरपा रहे हैं।

इस अराजकता के चलते अस्सी फीसद लोग अब तक घर-कारोबार छोड़कर भाग आए हैं और बचे हुए लोग दहशत की जिदगी जी रहे हैं। जगह-जगह आगजनी, तोड़फोड़ और लोगों को मारा-पीटा जा रहा है। वे घर वालों से फोन पर बात तो कर रहे हैं लेकिन साथ में किसी अखबार में नाम न छपवाने की गुहार लगा रहे हैं।

उनका कहना है कि यहां पर उग्रवादियों के सामने सीआरपीएफ, पुलिस, सैनिक किसी की नहीं चलती। उनको पता चला कि उनके खिलाफ अखबारों में कहीं कुछ छपा है तो मार डालेंगे।

उग्रवादी संगठन बनवाना चाहता है इनरलाइन परमिट

उग्रवादी संगठन चाहता है कि उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान के लोग यदि मणिपुर में रहना चाहते हैं तो इनरलाइन परमिट बनवाएं। उसका प्रत्येक वर्ष नवीनीकरण कराते रहें और मणिपुर स्टेट में जमीन खरीदकर न तो घर बनवाएं और न ही परिवार रखें। बेटे-बेटी की शादी-विवाह यहां से बिल्कुल न करें। इस मामले को लेकर एक सितंबर कों असेंबली में चर्चा होने की संभावना है। बात नहीं बनी तो लोग घर-बार छोड़कर लौटने को मजबूर होंगे।

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