बस बहुत हुआ महोदय, अब और नहीं !


बस बहुत हुआ महोदय, अब और नहीं ! जीहाँ कुछ ऐसा ही सन्देश और संकेत दिया है मोदी सरकार ने भ्रष्ट नौकरशाहों को | दिनांक 16 सितम्बर बुधवार को भ्रष्ट या अप्रभावी शासकीय अधिकारियों / कर्मचारियों को पहचान कर उन्हें शासकीय सेवा से प्रथक करने संबंधी नए नियमों की आधार शिला रखी गई ।

देश की आम जनता की इच्छा का प्रतिनिधित्व करता है बुधवार को जारी यह परिपत्र | आम धारणा है कि जितना गली मोहल्लों में स्वच्छता अभियान आवश्यक है, उससे कहीं अधिक आवश्यक है, तंत्र की स्वच्छता | भ्रष्ट नेता और अधिकारी दीमक की तरह देश की जड़ों को खोखला कर रहे हैं | भ्रष्टाचार के खिलाफ महासमर के प्रारम्भिक चरण के रूप में सरकार ने इस परिपत्र में स्पष्ट किया है कि भले ही किसी नौकरशाह के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए पर्याप्त साक्ष्य न हों, किन्तु यदि उसके पास संदिग्ध दौलत या बेनामी संपत्ति है, तो उसे जनहित में शासकीय सेवा से पृथक किया जा सकता है ।

परिपत्र में 1996 में दिए गए सर्वोच्च न्यायालय के उस निर्णय को आधार बनाया गया है, जिसमें एक कर्मचारी को सेवा मुक्त किये जाने के निर्णय को यथावत रखा गया था | निर्णय में कहा गया था कि अगर किसी अधिकारी पर यह संदेह हो कि वह अपने मातहतों से पैसा लेकर बड़ी परिसंपत्तियों बना रहा है, संपत्ति की खरीद बिक्री में संलग्न है, तो उसे सेवा से पृथक किया जा सकता है ।

एक अन्य फैसले में एक सरकारी कर्मचारी को अशोभनीय आचरण के चलते दी गई अनिवार्य सेवानिवृत्ति को भी सर्वोच्च न्यायालय ने रखा था ।

इसके पूर्व department of personnel & training (DoPT) ने प्रत्येक विभाग को निर्देशित किया था कि वह 50-55 आयु वर्ग के और शासकीय सेवा में 30 वर्ष पूर्ण कर चुके प्रत्येक अधिकारी के प्रदर्शन की समीक्षा सुनिश्चित करे । यदि कोई अधिकारी भ्रष्ट या अप्रभावी माना जाता है, तो बुनियादी नियम 56 (जे) यह अधिकार देता है कि उसे अनिवार्य सेवा निवृत्ति दे दी जाये । 

बैसे इस नियम का प्रयोग पूर्व में भी किया जाता रहा है। लेकिन विगत दशकों में यह पहला अवसर है, जब एक व्यवस्थित तरीके से इन अधिकारों के प्रयोग हेतु ठोस प्रयास प्रारम्भ किया गया है । अब कोई भी विभाग इसे हल्के से नही ले सकेगा | विभागों को मासिक रूप से कैबिनेट सचिव पीके सिन्हा के समक्ष इस दिशा में किये गए कार्यों की रिपोर्ट प्रस्तुत करना होगी | 

क्या इस कदम के लिए सरकार को वधाई देना चाहिए ? कर्मचारी तो इसका विरोध करेंगे ही | किन्तु अगर जनमत जागृत रहा तो यह निर्णय कायम रहेगा और इसके अच्छे परिणाम देखने को मिलेंगे |

एक टिप्पणी भेजें

एक टिप्पणी भेजें