पाकिस्तान हमारा भाई है - सरसंघचालक श्री मोहन भागवत



मुझे संघ का अखंड भारत वाला दृष्टिकोण कभी पल्ले नहीं पड़ा | मुझे लगता रहा कि जब भारत में रह रहे 12 प्रतिशत मुसलमान शेष समाज के साथ समरस नहीं हो पा रहे, उनमें अगर पाकिस्तान की संख्या भी जुडी तो कुल आवादी में वे हो जायेंगे कमसेकम 25 से 30 प्रतिशत, फिर तो समस्या और बढ़ेगी | कल 04 सितम्बर को सरसंघचालक जी का बयान पढ़कर और भी हैरत हुई |
सरसंघचालक श्री मोहन भागवत जी ने कहा कि पाकिस्तान का गठन भारत राष्ट्रपुरुष से ही हुआ है, इस नाते से वह हमारा बंधू है, और उसके साथ हमारे सम्बन्ध मधुर होना चाहिए | उन्होंने इस दिशा में नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा विगत 14 माह में किये गए प्रयत्नों की सराहना करते हुए सरकार की 'दिशा, मंशा और प्रतिबद्धता' का समर्थन भी किया।

संघ के संयुक्त महासचिव श्री दत्तात्रेय होसबोले ने इसकी जानकारी देते हुए पाकिस्तान के साथ संबंधों को लेकर संघ का रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि परिवार में भाईयों के बीच भी मतभेद हो जाते हैं, किन्तु फिर उन्हें सुधारकर आगे बढ़ा जाता है, उसी प्रकार भारत और पाकिस्तान के बीच की कटुता को भी कम किया जाना चाहिए ।

उनसे जब यह पूछा गया कि पाकिस्तान द्वारा लगातार भड़काऊ कार्यवाही की जा रही हैं, उनके साथ भाईचारे के सम्बन्ध कैसे रखे जा सकते हैं, श्री होसबोले ने उत्तर दिया कि 'भारत के इतिहास में कौरवों और पांडवों जैसे भाईयों का भी उल्लेख है । हमारा प्रयास धर्म संस्थापना का होना चाहिए ।

(मुझे तो यही समझ में आया कि वह भूभाग जो आज पाकिस्तान कहा जाता है, वह भारत राष्ट्र पुरुष के ही शरीर का अंग है | हम उन्हें अपना बंधू मान भी लेते हैं, किन्तु वहां के लोग हमें कब और कैसे अपना भाई मानेंगे, यह समय के गर्भ में है, इंतज़ार करते हैं उस समय का)
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व उसके समविचारी संगठनों की दिल्ली में संपन्न हुई त्रिदिवसीय समन्वय बैठक में भारत के जनसांख्यिकीय संतुलन में हो रहे परिवर्तन पर चिंता व्यक्त की गई | हाल ही में जारी हुए धार्मिक जनगणना के आंकड़ों का अध्ययन करने के लिए एक समिति का गठन किया गया, जो नवम्बर में होने वाली रांची बैठक में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी ।
(यहाँ फिर दिमाग में प्रश्न कोंधा, कि जब पाकिस्तान के निवासियों को बंधू मानना है, तो यहाँ के मुसलमानों को लेकर इतनी चिंता क्यों ? एक भाई का कुनबा बढ़ता है तो पटाखे तो दूसरा भाई भी फोड़ता है न ?)
बैठक के समापन दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वे जो कुछ भी कर पा रहे हैं, उसके पीछे संघ द्वारा दिए गए संस्कार ही हैं ।

उन्होंने कहा कि विगत 14 माह के अल्प काल में ही उनकी सरकार ने देश के आमजन के हित में बहुत कुछ किया है, लेकिन बहुत कुछ किया जाना अभी शेष है | हमारा प्रयत्न देश के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचना है | उन्होंने स्वयंसेवकों से आग्रह किया कि वे देश भर के लोगों को उनकी उपलब्धियों की जानकारी संप्रेषित करने में मदद करें । 

आमतौर पर संघ में इस बात पर सहमति थी कि विगत 14 महीने में जो कुछ किया गया है उसकी दिशा सही है, साथ ही उसमें समर्पण और प्रतिबद्धता दिखाई देती है | किन्तु हमें और आगे बढ़ना है। हर किसी को शत प्रतिशत संतुष्ट किया जाना संभव नहीं होता ।

श्री होसबोले ने विपक्ष द्वारा लगाए जा रहे इन आरोपों का स्पष्ट तौर पर खंडन किया कि संघ की बैठक में वरिष्ठ मंत्रियों द्वारा भाग लेने का अर्थ यह है कि संघ रिमोट कंट्रोल द्वारा सरकार को संचालित कर रहा है ।

आरएसएस की बैठक में मोदी सरकार के प्रदर्शन की समीक्षा करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि "संघ कोई अवैध संगठन नहीं हैं। हम भी देश के नागरिक हैं। आम जनता के समान ही एक स्वयंसेवक को भी मंत्रियों से पूछने अधिकार है ।

स्मरणीय है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने एक ट्वीट में लिखा था कि "मोदी जी की सरकार असहिष्णु और अराजक तत्वों द्वारा नियंत्रित है ।

बैठक में सरकार को सुझाव दिया गया कि शिक्षा का भारतीयकरण किया जाए, वहीं कई प्रतिनिधियों ने लोगों को बेहतर रोजगार और चिकित्सा सुविधाएं प्राप्त करने में मदद करने वाला आर्थिक मॉडल कैसा हो, इस पर अपने विचार रखे | 

श्री होसबोले ने राम मंदिर का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में लंबित होने का उल्लेख भी किया, तथा उसके निर्णय तक सरकार की समय-सारणी के अनुसार इंतजार करने की बात कही |

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