स्वीटजरलेंड में बनेगा काले धन संबंधी नया कानून, भारत को मिली उल्लेखनीय सफलता


भारत सरकार लगातार विदेशों में जमा काले धन को वापस लाने की दिशा में सचेष्ट है | पिछले दिनों सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा भी था कि "जितना मैं नरेंद्र मोदी जी को जानता हूँ, उसके अनुसार मुझे पक्का भरोसा है, कि जब तक वे विदेशों में जमा काला धन वापस नहीं ले आयेंगे, चैन से नहीं बैठेंगे" | उनके इसी भरोसे को प्रतिध्वनित करते हुए काले धन के खिलाफ जारी इस संघर्ष में भारत को कल एक महत्वपूर्ण सफलता मिली है | 

दो सितम्बर बुधवार को स्विस फेडरल काउंसिल ने अन्य देशों के साथ चोरी का डाटा संबंधी जानकारी साझा करने की अनुमति देने वाले एक बिल को मंजूरी दे दी ।

स्मरणीय है कि यह काउंसिल को स्विट्जरलैंड में सर्वोच्च कार्यकारी अधिकार प्राप्त हैं | काउंसिल द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि , संघीय परिषद ने "कर प्रशासनिक सहायता अधिनियम" (Tax Administrative Assistance Act) के संशोधन पर विचार-विमर्श की कार्यवाही शुरू की है | यही वह एक्ट है जो स्विट्जरलेंड में काला धन जमा करने को आसान बनाता है, तथा जमा धन की जानकारी अन्य देशों की सरकारों से साझा करने पर प्रतिबंध लगाता है | इससे सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में भारत भी एक है |

बयान के अनुसार, अब कोई भी देश अगर सामान्य प्रशासनिक सहायता चैनलों के माध्यम से या सार्वजनिक स्रोतों से "चोरी का डाटा" प्राप्त करने के लिए अनुरोध करता है तो उसका उत्तर देना संभव होगा ।

स्विट्जरलैंड में लंबे समय से ऐसे कानूनों प्रावधान थे, जिनके तहत "चोरी" संबंधी किसी भी लीक हुई जानकारी को मान्य नहीं किया जाता था । उनके इसी रुख के कारण भारतीयों द्वारा छिपाये गए काले धन की जांच में बाधा आ रही थी | एक अनुमान के अनुसार 600 से अधिक खातों में भारतीयों का काला धन स्विस बेंकों में जमा है ।

2006 में व्हिसिल व्लोअर हर्वे फ़ल्किनि ने एचएसबीसी में हजारों अवैध बैंक खाता धारकों के नाम लीक किये थे, उस सूची में काला धन छुपाने वाले 600 से अधिक भारतीयों के नाम भी शामिल थे | हर्वे पूर्व में एचएसबीसी में ही कार्यरत था । स्विस बैंकिंग इतिहास का यह सबसे बडा रहस्योद्घाटन माना गया था | फ़ल्किअनि ने एक लाख सत्ताईस हजार खातों में जमा कुल एक सौ अस्सी अरब यूरो का ब्यौरा सार्वजनिक किया था।

फ़ल्किअनि ने यह सूची फ्रांस सरकार को दी थी, जहां से यह भारत को प्राप्त हुई । व्हिसिल व्लोअर का कहना था कि भारत के 200 जीबी डेटा में से यह केवल 2 एमबी डाटा के खाते हैं । भारत सरकार ने बाद में फ़ल्किअनि से संपर्क कर उसकी 'मदद' की शर्तों पर चर्चा की थी।

दिलचस्प बात यह भी है कि खोजी पत्रकारों के अंतरराष्ट्रीय संघ (International Consortium of Investigative Journalists "ICIJ") ने भी जिनेवा, स्विट्जरलैंड के एचएसबीसी में 1,668 भारतीयों के बैंक खातों की पुष्टि की थी ।

स्विट्जरलैंड को अवैध रूप से कर चोरी कर धन जमा करने वालों का स्वर्ग कहा जाता है | वहां छुपाये गए भारतीय काले धन का पता लगाना, उसकी बसूली करना और प्रत्यावर्तन कराना भाजपा के नेतृत्व वाली राजग सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता का विषय है ।

आशा की जा रही है कि अब जल्द ही स्विस संसद स्विट्जरलैंड और भारत की सरकारों के बीच सूचनाओं के स्वचालित एक्सचेंज, Automatic Exchange of Information (AEOI) को सक्षम करने वाला एक मंच खड़ा करने की प्रक्रिया में तेजी लायेगी । और इसके साथ ही काले धन के खतरे से दोनों देशों की सरकारें संयुक्त रूप से निपटने के लिए प्रतिबद्ध होंगी |

स्विस राज्य सचिवालय में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय मामलों के प्रवक्ता ऐनी सेसर्द के अनुसार "AEOI के बारे में प्रक्रिया चालू हो चुकी हैं। यह विषय स्विस संसद में शरद कालीन सत्र में रखा जाएगा |" 

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