शिक्षा से वंचित उत्तर प्रदेश का एक गाँव “इचावला”

क्या आप कल्पना कर सकते है कि जहाँ एक और पूरे देश में शिक्षा को लेकर प्रचार प्रसार किया जा रहा है और दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश में एक ऐसा गाँव भी है जिसे अनपढ़ गाँव का तमगा हासिल है ! उत्तर प्रदेश में शिक्षा की बदतर स्थिति को दर्शाता इससे बड़ा उदाहरण क्या होगा ? 

उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले में इचावला गांव जहाँ 90 फीसदी लोग न तो पढ़ सकते हैं, न लिख सकते हैं। बाकी के 10 फीसदी लोगों को भी उर्दू में अपना नाम लिखने के अलावा कुछ नहीं आता है ! आपको जानकर ये भी हैरानी होगी कि इस गांव में किसी को चिट्ठी पढ़ाना हो या मोबाइल में कांटैक्ट्स ढू़ंढना हो तो दूसरे गांव जाना पड़ता है ! इतना ही नहीं यहां के लोगों ने मोबाइल में अपने रिश्तेदारों के नाम भी अजीबोगरीब तरीके से सेव कर रखे हैं ! जैसे मामा का फोन आया हो तो उसके लिए अलग चिन्ह है और अगर किसी और रिश्तेदार का फोन आया है तो उसके लिए अलग चिन्ह सेव किया गया है ! 

इस गांव की कुल जनसंख्या 1400 है और 700 पंजीकृत मतदाता हैं ! बिजनौर से 25 किमी दूर इस गांव में नाव से जाना पड़ता है ! गांव में कोई स्कूल नहीं है और सिर्फ दो बच्चे आठवीं कक्षा तक पढ़े हैं ! वो भी गांव से बाहर रहते हैं ताकि आगे की पढ़ाई कर सकें ! इससे ज्यादा शर्मनाक बात और क्या होगी कि इस गांव की लड़कियों ने तो कभी स्कूल का मुंह भी नहीं देखा ! लड़कियों को स्कूल न भेजने के बारे में गांववासी कहते है कि “लड़कियों को स्कूल भेजना नामुमकिन है। यहां सड़कें भी नहीं हैं। यहां के अधिकांश लोग मजदूर या किसान हैं” !

गाँव की दशा बेहद खराब है गांव के सभी घर कच्चे हैं, जिनमें से कई मॉनसून के दौरान गंगा में डूब जाते हैं ! बहुत ही कम लोगों के पास राशन कार्ड हैं ! इनमें से अधिकाँश लोगों राशन कार्ड बाढ़ के दौरान खो गए ! इस गांव के हालात पुराने जमाने की कबिलियाई जीवन की याद दिलाते हैं, जो देश और समाज से पूरी तरह कटे हुए हैं !

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