मानवता रहित समाज का घिनोना चहरा उजागर करती एक वृद्ध महिला जमुना देवी की मौत
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आज शिवपुरी में एक बुजुर्ग महिला की गांधी पार्क के समीप बनी एक कुटिया में विषम परिस्थितियों में मौत हो गयी ! सुनने में तो यह एक आम मृत्यु प्रतीत हो रही है परन्तु यदि आप इस बुजुर्ग महिला की पूरी कहानी सुनेंगे तो इस मृत्यु को आप एक हत्या ही करार देंगे ! एक हत्या जिसमे हत्यारे है हम और आप और मानवता रहित हमारा समाज ! शब्द कठोर है पर वास्तविकता को उजागर करते है ! आइये सुनाते है बुजुर्ग महिला की दर्दनाक मृत्यु की ऐसी कहानी जिसे जानने के बाद निश्चित ही यह सोचने को मजबूर हो जायेंगे कि क्या हमारे समाज के अन्दर मानवता की मौत हो चुकी है ?
शिवपुरी शहर में गांधी कॉलोनी के समीप रेलवे की सरकारी जमीन पर बनी एक कुटिया में जमुना देवी पत्नी स्वर्गीय श्री हरिशंकर शर्मा नामक एक लगभग 75 वर्षीय महिला निवास करती थी ! वैसे हरिशंकर जी की वह दूसरी पत्नी बतायी जाती है और उनकी पहली पत्नी का एक पुत्र भी था जो अंतिम दिनों में वृद्ध महिला से अलग अपनी पत्नी के साथ रहता था और एक बैंक एटीएम पर गार्ड की नौकरी करता था ! जिस वक़्त जमुना देवी की मृत्यु हुई उस समय उनकी शारीरिक स्थिति काफी खराब थी | एक पैर पूरी तरह से गल चुका था, शरीर पर जगह जगह घाव, घावों के ऊपर भिनभिनाती मक्खियाँ शरीर पर एक कपड़ा भी नहीं !
कल दिनांक 15 नवम्बर 2015 को अचानक से व्हाट्स एप्प और फेसबुक पर इस महिला के चित्र सहित एक सन्देश चर्चा में आया कि महिला की स्थिति खराब है और उसे शीघ्र ही उपचार की भी आवश्यकता है ! तब शहर के कुछ लोग सक्रीय हुए और तय किया गया कि सुबह 9.30 बजे उस महिला के पास जाकर सर्वप्रथम उस महिला का उपचार करवाया जाए तदुपरांत उसे शिवपुरी स्थित बृद्धाश्रम में आश्रय दिलवाया जाए ! सुबह जब लोग वृद्ध महिला के पास पहुंचे तो ज्ञात हुआ कि वृद्ध महिला की मृत्यु हो चुकी है ! पता करने पर मालूम हुआ कि महिला का एक पुत्र भी है जो कभी कभी उनसे मिलने आता रहता था ! आस पास के लोगों के द्वारा उसे सूचना भेजी गयी, कुछ समय पश्चात वह आया परन्तु धन की कमी के चलते अंतिम संस्कार करने में उस व्यक्ति ने असमर्थता जताई तब वहां उपस्थित लोगों ने धन संचय किया और अंतिम संस्कार का सामान जुटाया !
आस पास के लोगों के अनुसार जमुना देवी के पति कभी कटनी में किसी बैंक में कार्यरत थे वहां उनकी पहली पत्नी का निधन हो गया तब उन्होंने जमुना देवी के साथ विवाह कर लिया ! कुछ समय पश्चात हरिशंकर कटनी से अपनी नौकरी को छोड़ शिवपुरी आ गए और यहाँ की निजी शैक्षणिक संस्था गणेश आश्रम में कार्य करने लगे ! संपन्न और भरे पूरे परिवार में किन्ही कारणों से विघटन होता चला गया ! धीरे धीरे समय बीतता गया बुजुर्ग दंपत्ति का इकलौता बेटा अपनी पत्नी के साथ अलग रहने लगा ! बुजुर्ग दंपत्ति की आर्थिक स्थिति दिनों दिन बिगडती चली गयी धन अभाव में एक दिन हरिशंकर अपनी अर्धांगिनी को इस दुनिया में अकेला छोड़ गए !
बुजुर्ग महिला भीख मांगकर अपना गुजारा करने को मजबूर हो गयी ! धीरे धीरे बुजुर्ग महिला का स्वास्थ्य बिगड़ता चला गया एवं वह महिला चलने फिरने में भी असमर्थ हो गयी ! बीमारी के चलते जैसे तैसे अस्पताल के अकेले चक्कर लगाती महिला पर न तो किसी भी सामाजिक संगठन की नजर पड़ी न किसी जिम्मेदार नागरिक की ! सरकारी सेवाओं की जानकारी आखिर कौन उसे देता ! कभी कुछ लोग उसे कुछ पैसे दे देते थे जिससे वह अस्पताल आने जाने के लिए ऑटो पकड़ लेती थी ! धीरे धीरे ऑटो चालकों ने भी उस महिला को देख ऑटो रोकना भी बंद कर दिया, क्यूंकि कभी कभी जब महिला के पास पैसे नहीं होते थे तब वह उनसे निशुल्क अस्पताल आने जाने की गुहार लगाती थी !
कुछ समय बाद जब महिला के घाव गहरे होते चले गए और उन घावों में कीड़े पड़ना शुरू हुए तब डॉक्टरों ने भी मुंह फेरना शुरू कर दिया और करते भी क्योँ नहीं आखिर कौन खड़ा था उस बूढी औरत के साथ ? उचित उपचार न मिल पाने के कारण बुजुर्ग महिला के हालात बुरे होते चले गए ! आस पड़ोस के लोगों ने ही उसका ख्याल रखना शुरू किया और ऐसी विषम परिस्थितियों में उसके खाने पीने का जितना हो सकता था इंतजाम किया ! जमुना देवी के पड़ोस में रहने वाले मधुसूधन जी जैसे लोग धन्यवाद के पात्र है जो स्वयं उनके घर जाकर उन्हें भोजन इत्यादि सामग्री उपलब्ध कराते थे परन्तु डॉक्टरों के रूखे व्यवहार के कारण वह भी उपचार कराने में नाकामयाब रहते थे !
एक ब्राह्मण महिला को अंतिम समय में दिया वाल्मीकि समाज के लोगों ने कन्धा
जमुना देवी की मौत पर जहाँ उनके अपनों ने उनसे दूरी बना ली थी तब उनके आवास के पास रहने वाले वाल्मीकि समाज के लोगों ने उनकी अर्थी को न सिर्फ कन्धा दिया बल्कि अंतिम संस्कार तक की पूरी व्यवस्था भी संभाली जबकि जमुना देवी जिस समाज से थी उस समाज के लोगों के सक्रीय संगठनों के मुखियाओं ने उनकी सुध भी लेना ठीक न समझा ! एक गौर करने वाली बात यह भी है कि जिस स्थान पर महिला भीषण विषम परिस्थियों में लम्बे समय से जीवन यापन कर रही थी उससे महज चंद कदम दूर ही शिवपुरी नगर पालिका के cmo साहब रहते है एवं चंद कदम दूर ही मटका पार्क नाम से प्रसिद्ध वह पार्क है जिसके संरक्षक शिवपुरी जिले के कलेक्टर साहब है और तो और इस पार्क में बड़ी तादात में शहर के गणमान्य नागरिक सुबह शाम मोर्निंग और इवनिंग वाक के लिए जाते है और घुमते घुमते देश के बड़े बड़े मुद्दों पर गंभीर चिंतन करते है अपने सुझाव देते है, परन्तु अफ़सोस जमुनादेवी जैसे लोगों को देखकर भी अनदेखा कर देते है ! क्या यह नहीं है मानवता की हत्या ? अब आप ही तय कीजिये जमुना देवी की मौत हुई है या हत्या और कौन है हत्यारा ?
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समाचार समीक्षा
Hatya hui h or har wo log hatrare hn jo samajik hone ka theka liye bethe hn........
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