बिना कुछ कहे सब कुछ कहना ! वाह जेटली साहब !!


राजनीति के खेल में शुक्रवार का दिन वित्त मंत्री अरुण जेटली के नाम रहा | उन्होंने न केवल अपनी सरकार पर लग रहे असहिष्णुता के आरोपों को एक झटके से परे धकेल दिया, बल्कि 1975 में आपातकाल लगाकर नागरिकों के मौलिक अधिकार छीने जाने की घटना को हिटलर प्रेरित बताकर कांग्रेस को ही कटघरे में खड़ा कर दिया | 

विपक्षियों द्वारा समय समय पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हिटलर बताये जाने को लेकर जो आरोप लगाये जाते हैं, उसका माकूल जबाब आज श्री जेटली ने राज्य सभा में दिया | और मजे की बात यह कि प्रधानमंत्री स्वयं उनके बगल में बैठे हुए थे | उन्होंने आत्मविश्वास पूर्ण व सधे हुए शब्दों में बिना इंदिरा गांधी का नाम लिए उनकी तुलना एडोल्फ हिटलर से करके कांग्रेस को बगलें झांकने को मजबूर कर दिया | 

जेटली ने कहा कि जर्मनी में क्या हुआ था ? वहां एक गठबंधन सरकार थी, जिसे पूर्ण बहुमत नहीं था | सरकार ने कहा कि कम्यूनिस्ट देश में आग लगाने की साजिश कर रहे हैं अतः देश में आपातकाल लगाने की जरूरत है | 

और देश में आपातकाल लगाया गया, पर यह तो महज पहला कदम था | हिटलर को संविधान में संशोधन करने की सारी शक्तियों के लिए विशाल बहुमत की जरूरत थी, अतः उसने सभी विपक्षी सदस्यों को हिरासत में लिया । तीसरे चरण में समाचार पत्रों पर सेंसरशिप लगाया गया । चौथे चरण में एक 25 सूत्री आर्थिक कार्यक्रम की घोषणा कर कहा गया कि यह सब वह जर्मनी के हित में कर रहा है और उसके बाद सरकार के किसी काम को न्यायालय में चुनौती न दी जा सके, इसके लिए एक कानून बनाया, संविधान में भी संशोधन किया गया | उसके बाद एडॉल्फ हिटलर के सलाहकार थर्ड राइक रूडोल्फ हेस ने 25 फ़रवरी 1934 को एक अद्भुत भाषण दिया जिसका शीर्षक था “एडॉल्फ हिटलर की शपथ” । भाषण का समापन वाक्य था 'एडोल्फ हिटलर ही जर्मनी है और जर्मनी एडॉल्फ हिटलर है । 

इसके बाद वित्तमंत्री जेटली ने अपनी चिर परिचित मुस्कान के साथ आगे कहा कि अभी तक मैं केवल जर्मनी के बारे में बात कर रहा था, जो वहां 1933 में हुआ | किन्तु यह कोई जर्मनी का कोपीराईट नहीं था, दुनिया के अन्य भागों में भी इसका अनुशरण हुआ और लोकतांत्रिक संविधान का विध्वंश किया गया ।

उसी क्रम में भारत में भी आपातकाल लगा, सभी राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को हिरासत में लिया गया, एक 20 सूत्री आर्थिक कार्यक्रम की घोषणा हुई, मीडिया पर सेंसरशिप लगी, कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष देवकांत बरुआ ने 'इंदिरा ही भारत है और भारत इंदिरा है' का नारा लगाया | वास्तव में इंदिरा गांधी का तानाशाही शासन, हिटलर के क्रियाकलापों का प्रतिरूप ही था ।

उन्होंने मोरार जी देसाई को धन्यवाद दिया, जिन्होंने बाद में नागरिकों के मौलिक अधिकारों की स्वतंत्रता देने वाले अनुच्छेद 21 को संविधान का स्थायी हिस्सा बनाया जिससके चलते भविष्य में भी कोई राजनेता हिटलर की तानाशाही प्रवृत्तियों को दोहरा न पाए ।

उन्होंने 1970 का उल्लेख किया, जब संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटा दिया गया था । जिन लोगों ने यह किया, या इसका समर्थन किया वे ही आज एनडीए के भूमि अधिग्रहण कानून को अब गरीब किसानों के अधिकारों के खिलाफ बता रहे हैं ।

जेटली का अगला निशाना था देश में असहिष्णुता को लेकर किया जा रहा विधवा बिलाप । उन्होंने अनुच्छेद 356 के दुरुपयोग का जिक्र किया, जिसके अंतर्गत राज्यों की सरकारों को समय समय पर कांग्रेस द्वारा बर्खास्त किया गया था | उन्होंने जोर देकर कहा कि उनकी सरकार सहकारी संघवाद में विश्वास रखती है |

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