शाहरुख खान और असहिष्णुता - एक व्यंग


सच है देश में असहिष्णुता बहुत बढ़ गई है | अब देखो न हमारे शाहरुख भाई से भी पूछताछ की हिम्मत हो गई प्रवर्तन निदेशालय की | और तो और फेमा के तहत नोटिस भी जारी किया जाने वाला है, और वह भी जल्दी ही | 

क्या हुआ जो उन्होंने अपने स्वामित्व की कम्पनी नाइट राइडर्स स्पोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड (केआरएसपीएल) के शेयरों को मॉरिशस की एक कंपनी को बेच दिए ? और इससे भी क्या फर्क पड़ता है कि वह कम्पनी भी जय मेहता साहब की ही थी, जो भारत में भी नाइट राइडर्स स्पोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के सह्मालिक हैं | अरे वोही जूही चावला जी के पतिदेव | जब कम्पनी उनकी है तो वे जिसको चाहें बेचें | चाहें तो शेयर ही क्या, खुद की पूरी कम्पनी खुद को ही बेचा बतादें, आपको क्या ? और फिर जब खुद को बेचेंगे, तो औरों के बराबर कीमत में क्यों बेचेंगे ? शेयरों की थोड़ी कीमत कम क्या लेली जय मेहता जी से, इनकी तो जान ही जल गई, गोया इनका माल हो | हद्द है कि नहीं ?

अब इन प्रवर्तन निदेशालय वालों को तो कोई काम है नहीं | लगे हैं उनके पीछे कि आपने फेमा कानूनों का उल्लंघन कर दिया | घनघोर असहिष्णुता है न ये तो | अरे एक जमाना वो था, जब 65 के भारत पाकिस्तान युद्ध में उनके नाना हुजूर यहाँ के बजीर थे, और उनके मामू जान पाकिस्तान के फ़ौजी जनरल | मजाल है किसी ने चूं भी की हो | इसे कहते हैं सहिष्णुता | बजा फरमाया मोहतरमा बरखादत्त बी ने कि यह देश शाहरुख भाई के लायक हैहीच नहीं !!

और इनकी हिमाकत तो देखो चले हैं उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी करने । घनघोर असहिष्णुता है यह तो | और ऊपर से पूछताछ के लिए बुलाने की जुर्रत की | शाहरुख भाई को 10 नवंबर की शाम बेलगार्ड इस्टेट स्थित एजेंसी के दफ्तर जाना पड़ा और विदेशी मुद्रा प्रबंधक अधिनियम (फेमा) के प्रावधानों के तहत जांच कर रहे जांचकर्ताओं के साथ तीन घंटे माथापच्ची करनी पडी । अब मामला कोई आज का तो है नहीं मामला है 2008-2009 का । इतने पुराने मामले उखाड़ने का क्या मतलब है ? उस समय हमारा राज था, जो मर्जी में आया किया | अब तुम्हारे राज में नहीं करेंगे कसम लेलो और पीछा छोडो |


एक टिप्पणी भेजें

एक टिप्पणी भेजें