क्या संभव है, बिजली का मुफ्त उत्पादन ?


एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं, मनोज भार्गव | उनकी एक महत्वाकांक्षी परियोजना का विज्ञापन प्रचारित हो रहा है 'नि: शुल्क बिजली आ रही है' | कल से टेलीवीजन समाचार चैनलों पर भी इस परियोजना की जानकारी देने वाली एक लघु फिल्म प्रसारित की जा रही है ।

अनूठे मनोज भार्गव !

मनोज भार्गव की जीवन यात्रा एक लंबी कहानी है। लखनऊ में जन्मे भार्गव 1960 के दशक में अपने माता पिता के साथ फिलाडेल्फिया गए जहाँ उनकी प्रारम्भिक स्कूली शिक्षा हुई | प्रिंसटन में स्नातक शिक्षा के बाद वे भारत लौटे । दिल्ली के हंसलोक आश्रम में 12 साल बिताने के बाद, अपनी पैतृक प्लास्टिक कंपनी में माता पिता की मदद करने के लिए अमेरिका लौट गए। रसायन और प्लास्टिक पर काम करते करते उन्होंने स्वयं को शोध के एक नये अंतरिक्ष में प्रवेश करते पाया।

उनका मानना है कि प्रथ्वी अपने आप में ऊर्जा का अक्षय भण्डार है | तो अपनी आवश्यकता की बिजली उससे पैदा क्यूं नहीं की जा सकती | भार्गव ने दुनिया की मदद करने का निर्णय लिया और $ 4 अरब डॉलर की पूंजी के साथ अपरंपरागत' ऊर्जा के क्षेत्र में प्रवेश किया |

बिजनेस स्टैंडर्ड के अनुसार भार्गव की नवीनतम परियोजना अगले साल मार्च तक 'मुफ्त बिजली' की अपनी 10,000 इकाइयों का निर्माण भारत के ग्रामीण अंचल में करने जा रहे हैं । भार्गव का ध्यान तीन चीजों पर है: जल, ऊर्जा और स्वास्थ्य।

यह परियोजना 'टर्बाइन चलाने और बिजली उत्पन्न करने के लिए पृथ्वी की सतह के नीचे पृथ्वी के केंद्र की गर्मी का उपयोग करने का उपक्रम है | पृथ्वी की असीम ऊर्जा का दोहन कितना सफल होगा, यह देखने की बात है । अगर सफल हुआ तो चमत्कार ही होगा | अपनी जीवन भर की पूंजी लगाकर मनोज भार्गव ने यह अनूठा प्रकल्प प्रारम्भ किया है, उनको हार्दिक शुभकामना |

परियोजना को प्रचारित करने वाली लघुफिल्म को समाचार चैनलों पर देखा जा सकता है –




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