इस्लामाबाद की लाल मस्जिद और अमेरिका के सैन बर्नार्डिनो में हुआ नरसंहार !



इस्लामाबाद की कट्टरपंथी लाल मस्जिद एक बार फिर चर्चा में है | अमरीकी अधिकारियों के अनुसार पिछले दिनों अमेरिका के सैन बर्नार्डिनो में हुए नरसंहार में जो पाकिस्तानी तश्फीन मलिक शामिल थी उसका संबंध इस लाल मस्जिद से था ।

बताया जाता है कि लंदन में हुई एक बैठक के दौरान अमेरिकी अधिकारियों ने यह जानकारी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के भाई शाहबाज शरीफ के साथ भी साझा की ।

हालांकि शनिवार को पाकिस्तानी प्रधानमंत्री कार्यालय प्रभारी ने इन खबरों से इनकार किया है | और यह स्वाभाविक भी है | क्योंकि अगर मलिक और मस्जिद के बीच संबंध, साबित होते हैं तो शरीफ सरकार को बड़ी शर्मिंदगी का सामना करना पडेगा ।

शरीफ की सरकार पिछले कई वर्षों से लाल मस्जिद के मौलवी मौलाना अब्दुल अजीज को सुरक्षा और सहायता मुहैया कराती रही है | जबकि इस मस्जिद की महिला शाखा ने खुले आम आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) के प्रति अपनी निष्ठा घोषित की थी, व इसका वीडियो भी सार्वजनिक हुआ था ।

ख़ास बात यह है कि सैन बर्नार्डिनो में हुए नरसंहार के बाद पुलिस मुठभेड़ में मारी गई तश्फीन मलिक व उसके पति सैयद रिजवान फारूक के सम्बन्ध लाल मस्जिद के इमाम मौलाना अब्दुल अजीज से थे, यह समाचार आजकल पाकिस्तानी मीडिया की सुर्ख़ियों में है । तश्फीन मलिक व मौलाना अब्दुल अजीज के साथ साथ चित्र भी सामने आये हैं ।

पाकिस्तान के एक राजनेता और मानवाधिकार कार्यकर्ता जिबरान नासिर का कहना है कि अदालतों द्वारा भी अनेकों बार इस विवादास्पद मौलवी को गिरफ्तार करने के आदेश जारी हुए हैं, किन्तु शरीफ के आंतरिक मामलों के मंत्री चौधरी निसार अली खान ने हमेशा उसे गिरफ्तारी से बचाया है ।

2014 में लाल मस्जिद की महिला शाखा “जामिया हफसा” ने अबू बक्र अल बगदादी के प्रति निष्ठा जताते हुए, उसे अपनी गतिविधियाँ पाकिस्तान से संचालित करने के लिए खुले आम आमंत्रित किया था । इतना ही नहीं तो अभी पिछले महीने ही 13 नवम्बर को लाल मस्जिद के मौलवी अब्दुल अजीज ने पवित्र कुरान और सुन्नत पर आधारित प्रणाली के समर्थन में आंदोलन प्रारम्भ करने के लिए एक रैली भी की थी । अजीज और उम्मे हसन के नेतृत्व में हुई मदरसा छात्रों की यह रैली, इस्लामाबाद के जी -6 सेक्टर से शुरू हुई और सेक्टर जी -7 इस्लामाबाद के जामिया हफसा पर समाप्त हुई । उम्मे हसन लाल मस्जिद के मौलवी मौलाना अब्दुल अजीज की पत्नी और जामिया हफसा की प्रमुख है। रैली में भाग लेने वालों ने मौलाना अब्दुल अजीज के पक्ष में और सरकार विरोधी नारे लगाए। उन्होंने कुरान और सुन्नत पर आधारित प्रणाली लागू करने की मांग भी की।

इस बात की पूरी संभावना जताई जा रही है कि सैन बर्नार्डिनो में मारी गई तश्फीन मलिक विवादास्पद मौलवी अजीज और उसकी पत्नी से प्रभावित रही हो और इन दोनों ने ही उसे प्रेरित भी किया हो । अनेक पाकिस्तानी अधिकारी भी निजी चर्चा में इस बात को मानते हैं कि चुनिंदा उग्रवादी समूहों को समर्थन देते रहना शरीफ सरकार को देर सबेर भारी पड़ सकता है।

लाल मस्जिद का अतीत -

लाल पत्थरों से निर्मित लाल मस्जिद का निर्माण 1965 में हुआ था । मौलाना मुहम्मद अब्दुल्ला मस्जिद के पहले इमाम नियुक्त हुए । मोहम्मद जिया-उल-हक और मौलाना मुहम्मद अब्दुल्ला का बहुत करीबी रिश्ता था। 1979 से 1989 के बीच अफगानिस्तान में सोवियत युद्ध के दौरान लाल मस्जिद ने अफगान मुजाहिदीन के साथ लड़ने के लिए मुजाहिदीन की भर्ती और प्रशिक्षण में एक प्रमुख भूमिका निभाई । इसके द्वारा संचालित मदरसों में कई हजार छात्र और छात्राएं रहते हैं । 

1998 में मौलाना मोहम्मद अब्दुल्ला की हत्या हो गई, उसके बाद से उसके बेटे अब्दुल अजीज और अब्दुल राशिद यह कट्टरपंथी मुहीम संभाले हुए हैं | 2005 में अब्दुल अजीज ने फतवा जारी किया था कि जिन पाकिस्तानी सैनिकों व अधिकारियों की मृत्यु तालिबान से लड़ते हुए हो, उन्हें इस्लामी पद्धति से दफन न किया जाए ।

इस्लामाबाद के मध्य में स्थित यह लाल मस्जिद 2007 में उस समय चर्चा में आई थी, जब मस्जिद में घुसे हुए भारी हथियारों से लैस चरमपंथियों और पाकिस्तानी सैनिकों के बीच संघर्ष हुआ था, जिसमें 100 से अधिक लोग मारे गए थे ।

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