बाजिब है केजरीवाल साहिब का भड़कना !


क्यों हैरत हुई ना, मेरी धारणा जानकर ? आईये मैं अपनी इस धारणा का विवेचन पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करता हूँ –

जरा भारत के इतिहास का स्मरण करें | मुग़ल काल में मुग़ल सल्तनत का साथ देने वाले हिन्दू राजा कहा करते थे – दिल्लीश्वरो वा जगदीश्वरो वा | अर्थात जो दिल्ली का अधिपति वो समस्त भूमंडल का स्वामी | आज के समय में हिन्दू राजाओं का स्थान सेक्यूलर ताकतों ने ले लिया है | भले ही संसद सारे भारत वर्ष का प्रतिनिधित्व करती हो, किन्तु दिल्ली की गादी पर तो केजरीवाल साहिब ही विराजमान हैं | अतः अगर वे मानते हैं कि उनकी जानकारी के बिना दिल्ली में पत्ता भी नहीं खड़कना चाहिए तो उसमें क्या गलत है ?

अब रहा सवाल नरेंद्र भाई मोदी पर नाराजगी जताने का, तो उसमें क्या गलत है भाई ? 47 वर्ष की आयु में अपनी विलासिता पूर्ण पश्चिमी जीवन शैली के चलते खों खों करने वाले केजरीवाल जी के जन्मजात बुजुर्ग होने में किसको संदेह होगा भला ? दूसरी तरफ साठ के पेटे में पहुंचे खाटी संघी मोदी पंद्रह पंद्रह घंटे काम करते हैं, और वो भी निरोग रहते हुए, तो वो तो आज के समय में धार के विपरीत तैरने वाले मनोरोगी ही कहलायेंगे न ? कहाँ 47 वर्षीय बुजुर्ग और कहाँ 62 वर्ष के बच्चे ? कोई मुकाबला ही नहीं है |

अब बात करें श्री राजेन्द्र कुमार जी व उन पर हुई कार्यवाही की –

वैश्विक भ्रष्टाचार विरोधी प्रहरी ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की भारत शाखा ने इस साल मई में रजिस्टर्ड पोस्ट से एक पत्र भेजा था, जिसमें उनके प्रधान सचिव और भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी राजेंद्र कुमार के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों का विस्तार से उल्लेख था । किन्तु मुख्यमंत्री कार्यालय ने एजेंसी को उस पत्र का कोई जबाब देने की जहमत नहीं उठाई । यह जानकारी किसी और ने नहीं बल्कि संस्था के कार्यकारी निदेशक आशुतोष शर्मा ने मीडिया को दी । इस सम्बन्ध में जब केजरीवाल के मीडिया सलाहकार श्री नागेन्द्र शर्मा से पूछा गया तो उन्होंने कोई भी प्रतिक्रिया देने से मना कर दिया।

स्मरणीय है कि ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने अपने पत्र की प्रतियां दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर नजीब जंग, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और मुख्य सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) को भी भेजी थी । अरे जब जिन केजरीवाल साहब से मुख्य रूप से शिकायत की गई, उन्होंने इसे कार्यवाही के लायक नहीं समझा, तो फिर दीगर लोगों की कैसे हिम्मत हुई, मामले में सीधी कार्यवाही करने की ?

आईआईटी खरगापुर में केजरीवाल साहब के साथ एक ही बेच में पढ़े श्री राजेन्द्र कुमार (आईएएस एजीएमयूटी काडर) पर भ्रष्टाचार के और आय से अधिक संपत्ति का आरोप लगाते हुए शर्म भी नहीं आई इस टुच्चे संगठन को ? भ्रष्टाचार का विरोध “आप” ने शुरू किया, उसे अंजाम तक पहुंचाने की जिम्मेदारी भी “आप” की ही है | बीच में टांग फंसाने वाली सीबीआई की जितनी निंदा की जाए कम है | यह सरासर केजरीवाल जी के अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन है | उनके खिलाफ राजनीति से प्रेरित कार्यवाही है । इसलिए मोदी कायर है, हिंसक मनोरोगी है ।

समूचा घटना चक्र -

* सीनियर नौकरशाह ने आशीष जोशी ने 12 जून को एसीबी से शिकायत की।* एसीबी ने कार्रवाई नहीं की तो 13 जुलाई को सीबीआई से शिकायत।

राजेंद्र कुमार पर आरोप

* मई 2002 से फरवरी 2005 तक शिक्षा सचिव रहे।* 2007 में आईटी सचिव बने।* कई कंपनियां बनाने का आरोप।* रिश्तेदारों को कंपनियों में निदेशक बनवाया।* बिना टेंडर इन कंपनियों को दिए काम।* एंडेवर सिस्टम्स नाम से बनाई कंपनी।* इसे सरकारी पैनल में डलवाया।* सरकारी ख़ज़ाने को नुक़सान पहुंचाया।

किन लोगों पर छापे

1- राजेंद्र कुमार, प्रधान सचिव, दिल्ली सरकार2- एके दुग्गल, पूर्व एमडी, इंटेलिजेंट इंडिया कम्युनिकेशन लिमिटेड3- जीके नंदा, पूर्व एमडी, इंटेलिजेंट इंडिया कम्युनिकेशन लिमिटेड4- आरएस कौशिक, इंटेलिजेंट इंडिया कम्युनिकेशन लिमिटेड5- संदीप कुमार, निदेशक, मेसर्स एंडेवर सिस्टम्स प्रा. लि.6- दिनेश कुमार गुप्ता, निदेशक, मेसर्स एंडेवर सिस्टम्स प्रा. लि.

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