भारत की पहली महिला ब्लेड रनर किरण कनौजिया

निश्चित ही आप ब्लेड रनर नाम से मशहूर दक्षिण अफ्रीकी धावक ऑस्कर पिस्टोरियस को जानते होंगे परन्तु क्या आप जानते है भारत की पहली महिला ब्लेड रनर किरन कनौजिया को ? जी हाँ भारत की पहली महिला ब्लेड रनर हैं किरन कनौजिया ! किरण भारत में आयोजित कई मैराथन दौड में भाग ले चुकी हैं ! 2011 में हुए एक हादसे में उनको अपना एक पैर गवा चुकी किरण रनिंग के अलावा हैदराबाद में इंफोसिस कंपनी में काम करती हैं !

किरण के लिए असंभव शब्द की कोई अहमियत नहीं है ! न तो उन्होंने हारना सीखा है न ही रुकना ! भारत की पहली महिला ब्लेड रनर किरन कनौजिया ने अपनी हिम्मत और धैर्य के बूते देश में नाम कमाया और लोगों को कठिनाइयों से लड़कर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया ! 

किरन फरीदाबाद की रहने वाली हैं उन्होंने MCA किया है और वे हैदराबाद में इंफोसिस कंपनी में काम करती हैं ! वर्ष 2011 में जब वे अपने जन्मदिन मनाने के लिए हैदराबाद से अपने घर फरीदाबाद आ रहीं थीं तभी पलवल स्टेशन के पास दो बदमाशों ने उनके सामान को छीनने का प्रयास किया, किरन ने उनसे संघर्ष किया लेकिन इसी दौरान वे नीचे ट्रैक पर गिर गईं उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया जहां इलाज के दौरान डॉक्टर्स को उनकी एक टांग काटनी पड़ी !

ये काफी पीड़ा वाले क्षण थे लेकिन किरन ने हार नहीं मानी वो जिंदगी भर दया का पात्र नहीं बनना चाहतीं थी ! उन्होंने मन ही मन सोचा कि जो हुआ उसे वे अब नहीं बदल सकतीं लेकिन आने वाले भविष्य को वे खुद लिखेंगी अपनी कमजोरी को ही अपना हथियार बनाएंगी और देश ही नहीं दुनिया भर में हिम्मत का प्रतीक बन एक मिसाल कायम करेंगी !

हमेशा से ही फिटनेस के प्रति काफी सजग रही किरण ऐरोबिक्स किया करतीं थीं ! घटना के लगभग 6 महीने के अंतराल के बाद जब वह उठीं तो गिर पड़ीं और उन्हें फिर अस्पताल ले जाया गया जहां फिर उनका ऑपरेशन हुआ और डॉक्टर ने उन्हें कहा कि अब उन्हें दौड़ भाग से दूर रहने के लिए कहा ! इन शब्दों को किरन ने एक चुनौती के रूप में लिया उसके बाद जब वे अपने घर पहुंचीं तो वे पुराना सब भूल चुकीं थी और नए सिरे से अपनी जिंदगी को आगे बढ़ाना चाहतीं थीं ! चूंकि किरण घर की सबसे बड़ी बेटी थीं इसलिए परिवार के प्रति वे अपनी जिम्मेदारी को समझतीं थी वे वापस नौकरी करने गईं जहां उन्हें उनके साथियों ने पूरा सहयोग दिया ! उन्होंने नकली पैर का प्रयोग शुरू किया जिसमें शुरूआत में उन्हें दिक्कत भी आईं ! हैदराबाद में उन्हें अपने जैसे कई लोग मिले किरण दक्षिण रिहेबलिटेशन सेंटर गईं वहां उन्होंने देखा कि लोग रनिंग के लिए ब्लेड का प्रयोग कर रहे थे वहां के डॉक्टर्स ने उनका बहुत हौंसला बढ़ाया और उन्हें ब्लेड को प्रयोग करने के लिए कहा ! ब्लेड को लगाने के बाद किरन ने देखा कि वे अब आसानीं से भाग सकतीं थीं ! उसके बाद वहां के बाकी लोगों ने एक समूह बनाया और एक दूसरे को प्रोत्साहित करने लगे ये सब जब एक साथ मैराथन के लिए निकले तो इन्हें देखकर लोगों ने भी इनका बहुत हौंसला बढ़ाया ! उस 5 किलोमीटर के मैराथन ने उन सभी को बेहद उत्साहित किया !

उस दिन के बाद किरन ने धीरे-धीरे दौड़ने का अभ्यास शुरू किया ! किरण अब थोड़ा थोड़ा भागने लगीं अब चींजें उनके लिए थोड़ी आसान होने लगी ! हैदराबाद रनर्स ग्रुप के लोग भी उन्हें काफी सपोर्ट किया करते थे ! पहले वे 5 किलोमीटर भागीं कुछ समय बाद उन्होंने अपना लक्ष्य बढ़ाया और 10 किलोमीटर दौड़ लगाने लगीं ! उसके बाद उन्होंने अपना लक्ष्य 21 किलोमीटर कर दिया ! वे खुद से ही प्रतिस्पर्धा करने लगीं और खुद को और मजबूत बनाने लगीं ! सुबह उठकर अभ्यास करना अब किरण की दिनचर्या में शामिल हो चुका था और उन्हें काफी मजा आ रहा था !

किरन बताती हैं कि भले ही उन्होंने अपना एक पैर गंवाया लेकिन उसने उन्हें एक मजबूत इंसान बना दिया ! जिंदगी के प्रति उनका नजरिया अब काफी सकारात्मक हो गया है अब वे जिंदगी को ज्यादा खुल के जीना चाहतीं हैं और अब वे केवल अपने लिए ही नहीं बल्कि बाकी लोगों को प्रेरित करके उनकी जिंदगी में भी बदलाव लाना चाहतीं हैं !

आज किरन भारत की पहली महिला ब्लेड रनर हैं ! उन्होंने मुंबई, हैदराबाद, दिल्ली समेत कई शहरों में होने वाली मैराथन रेस में भाग लिया है ! वे बताती हैं कि इस पूरे सफर में उन्हें सबका सहयोग मिला चाहें वो उनके परिवार वाले हों, उनके मित्र हों या फिर वो लोग हों जो उन्हें कभी नहीं जानते थे लेकिन उन्हें भागता देखकर उनके पास आते हैं और उन्हें शुभकामनाएं देते हैं ! किरन अब अपने जैसे लोगों की मदद करती हैं वे उन्हें आगे बढ़ने की सीख देती हैं और उनका हौंसला बढ़ाती हैं !

किरण दौड़ने के अलावा परिवार का आर्थिक सहयोग करने हेतु नौकरी भी कर रहीं हैं और दोनों चीजों को वो बखूबी निभा भी रहीं हैं ! किरन बताती हैं कि जीत और हार केवल हमारे दिमाग में होती है अगर हम खुद पर भरोसा करेंगे और जिंदगी को सकारात्मक तरीके से जीने लगेंगे तो कोई चीज मुश्किल नहीं है ! हम लोगों को खुद पर भरोसा करना होगा अगर वे खुद पर भरोसा करेंगें तो दुनिया उन पर भरोसा करेगी और अपने अच्छे काम से वे बाकी लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बन जाएंगें !

किरन आने वाले समय में विदेशों में जाकर विभिन्न मैराथन रेस और पैराऑलंपिक्स में भाग लेना चाहती हैं और पदक जीतकर देश के लिए कुछ करना चाहती हैं ! किरन बताती हैं कि वे मध्यवर्गी परिवार से हैं और ब्लेड्स व ट्रेनिंग काफी महंगी होती हैं इसलिए वे स्पांसर्स की या फिर सरकार से आर्थिक मदद की उम्मीद करती हैं ताकि वे विदेशों में जाकर भी देश का नाम कमा सकें ! किरन मात्र एक महिला नहीं हैं वे एक उम्मीद हैं ! किरन लाखों लोगों को जिंदगी जीने का हौंसला दे रहीं हैं ! हार न मानने का दूसरा नाम हैं किरण कनौजिया !

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