विवादास्पद मुद्दों के समाधान का एक ही उपाय - जनमतसंग्रह

भारत रक्षा मंच के रा. सयोजक श्री सूर्यकान्त केलकर जी भारत के गृह राज्य मंत्री श्री किरण रिजुजु के साथ

श्री सूर्यकांत केलकर | आयु 70 से कुछ अधिक ही है | लेकिन इस आयु में भी गजब की ऊर्जा है उनमें | उनके जिला प्रचारक काल में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से मेरा प्रथम संपर्क आया | आजकल सूर्यकांत जी भारत रक्षा मंच नामक एक संगठन के प्रमुख हैं | यूं तो भारत रक्षा मंच का गठन बांगलादेशी घुसपैठ के कारण उत्पन्न संकट के प्रति जन जागृति के उद्देश्य को लेकर हुआ, किन्तु पिछले दिनों मंच ने एक चार सूत्री प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार के पास भेजा |

इस प्रस्ताव के अंतिम बिंदु ने मेरा ध्यान खींचा, जिसमें कहा गया था कि जिन विवादित बिन्दुओं को लेकर देश में लगातार आन्दोलन होते रहे हैं, किन्तु उनका समाधान आज तक नहीं हो सका है, उनका निराकरण जनमतसंग्रह के माध्यम से कराया जाए | वे चार बिंदु हैं –

अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण 

गौहत्या बंदी 

समान नागरिक संहिता और 

कश्मीर को अन्य राज्यों के समान ही भारतीय गणराज्य का एक राज्य घोषित करना |

भारत में कहने को तो प्रजातंत्र है | प्रजातंत्र अर्थात बहुमत का सम्मान | किन्तु वस्तुतः देखने में क्या आ रहा है ? गिने चुने सांसद संसद के कामकाज को ठप्प कर देते हैं | शोरशराबा नारेबाजी को तो बहुमत का प्रदर्शन नहीं कहा जा सकता | हमारी बात मानो, अन्यथा हम संसद नहीं चलने देंगे | मजा यह कि पूर्ण बहुमत से चुनी सरकार बेबस सी यह तमाशा देखती रहती है | और देशहितैषी कार्य भी अटके रह जाते हैं |

ऐसे में भारत रक्षा मंच का सुझाव निश्चित तौर पर गौर करने लायक है | जिन बिन्दुओं पर संसद कोई निर्णय नहीं कर पाए, न्यायालय भी समुचित क़ानून के अभाव में जिनपर कोई निर्णय न दे पाए, उन्हें जनता की अदालत में भेजा जाना चाहिए | प्रजातंत्र में जनता का निर्णय ही अंतिम होता है | एक बार यह हो गया तो फिर संसद को बंधक बनाने की मनोवृत्ति पर भी अंकुश लगेगा और देश में वास्तविक प्रजातंत्र की स्थापना हो सकेगी | हो सकता है कि एक बार इन बिन्दुओं पर जनमत संग्रह हो जाने के बाद भविष्य में किसी अन्य विषय पर जनमत संग्रह की आवश्यकता ही न पड़े | तो मोदी जी यह ब्रह्मास्त्र एक बार चला ही लो | राम मंदिर, गौरक्षा, समान नागरिक संहिता और कश्मीर समस्या पर दो टूक जनमत संग्रह करा ही लो |

जब जनमत संग्रह होगा तो उन बिन्दुओं पर गंभीर बहस भी होगी, जनचेतना भी जागृत होगी तथा सबसे बड़ी बात स्थाई विवाद के विषय सदा सर्वदा के लिए समाप्त हो जायेंगे |

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