पठानकोट हमला - कोंधते सवाल


आज तीन दिन बाद भी यह नहीं कहा जा सकता कि पठानकोट एयरबेस पर हुआ हमला समाप्त हो गया है | हालांकि छः हमलावरों के मारे जाने की पुष्टि हुई है | हमारे प्रशिक्षित सैन्य जवानों की शहादत ने देश को खून के आंसू रुलाये हैं | सोशल मीडिया पर जो ट्रेंड है, वह देश के मूड को प्रतिबिंबित करता है | ऐसे में आवश्यक हो जाता हा कि देश का नेतृत्व स्थिति की गंभीरता को देखते हुए गंभीर चिंतन करे |

स्पष्ट ही ये आत्मघाती हमलावर अत्यंत घातक और बेहतर प्रशिक्षण प्राप्त लोग थे | शायद 26/11 के मुंबई हमलावरों से कहीं अधिक । तभी तो वे हमारे सैन्य बल के साथ 60 घंटे से भी अधिक समय तक भिड़ते रहे, जूझते रहे | उन्होंने आक्रमण का समय भी चुना रात्रि के साढ़े तीन बजे का, जिस समय गश्ती दलों की सतर्कता सबसे कम होती है | वे दो और चार की दो टुकड़ियों में बंटकर परिसर में घुसे | शुरूआती हमला, बाद में घुसे चार आतंकियों ने किया | उस समय शेष बचे दो ज्यादा भीतर घुसकर अधिक सांघातिक नुक्सान पहुंचाने की फ़िराक में रहे | यह तो हमारे सैन्य तंत्र की कुशलता व सूझबूझ है कि वे अपनी योजना में ज्यादा सफल नहीं हो पाए | उनके पास ग्रेनेड लांचर के अतिरिक्त पर्याप्त हथियार और गोला बारूद भी था। जरा सोचिये कि छठे हमलावर को मारने के लिए एक पूरी इमारत को उड़ाना पड़ा | 

अब सवाल उठता है कि क्या हमलावर ये हथियार अपने साथ पाकिस्तान से लेकर आये ? कोई भी समझदार व्यक्ति यह मानने को तैयार नहीं होगा | निश्चय ही उन्हें गोला बारूद व हथियार यहाँ भारत में आने के बाद ही प्राप्त हुए | यह स्पष्ट तौर पर भारत में विद्यमान स्लीपर सेल का प्रमाण है | इसमें वह रैकेट भी सम्मिलित हो सकता है, जो वर्षों से नशीले पदार्थों की तस्करी अथवा नकली करेंसी के धंधे में संलग्न है | इसे खोजा जाना, हतोत्साहित करना व समाप्त किया जाना नितांत आवश्यक है | 

हमेशा की तरह पाकिस्तान हमलावरों के पाकिस्तानी होने को स्वीकार नहीं करेगा, जैसा कि उसने 26/11 के मुंबई हमलों के बाद किया था तथा सुरक्षा बलों द्वारा मारे गए नौ लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के आतंकवादियों के शवों को स्वीकार करने से भी मना कर दिया था। जबकि दसवें आतंकवादी अजमल कसाब को जिंदा पकड़ा गया था, जिसे बाद में 2013 में पुणे की जेल में फांसी पर लटका दिया गया था और उसके शरीर को जेल परिसर में ही दफनाया गया था।

यह भी महत्वपूर्ण है कि किसी भी आतंकवादी संगठन ने अभी तक इस घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। योजनाबद्ध रूप से यूनाइटेड जिहाद काउंसिल (UJC) के प्रवक्ता सैयद सदाकत हुसैन ने एयर बेस हमले की जिम्मेदारी ली है, जिसका मूल मकसद स्पष्ट तौर पर इसे कश्मीरी रंग देना भर है । UJC, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में स्थित एक दर्जन से अधिक पाकिस्तान पोषित आतंकवादी समूहों का एक गठबंधन है | 

सबसे अधिक आवश्यक है राजनेताओं की आत्मनिंदा की मनोवृत्ति | टीवी चैनलों पर चल रही बहस सुनकर तो ऐसा लगता है, मानो हमारा दुश्मन नंबर एक आतंकी अथवा पाकिस्तान नहीं हमारे अपने देश की सरकार है | फेसबुक पर एक मित्र श्री अशोक व्यास ने माकूल प्रतिक्रया दी -

हज़ारों हज़ार लानतें विकृत सोच वाले उन अकल के अंधों को जो पठानकोट के 7 जाँबाज़ों की शहादत को सरकार की असफ़लता के रूप में एन्जॉय व सेलिब्रेट कर रहे हैं।

श्री उमेश कुंवर की प्रतिक्रिया भी ध्यान देने योग्य है - 
पठानकोट मे आतंकवादी हमले के पीछे यदि देखा जाए तो सिर्फ और सिर्फ एक कारण है वह है ड्रग । भारत मे ड्रग तस्करी के पीछे डी-कम्पनी है । पंजाब मे राज्य सरकार के कुछ नेता और पुलिस का गठजोड़ ड्रग तस्करी को संचालित करता है । इस आतंकवादी कार्यवाही को पाकिस्तान के किसी आतंकी गुट और डी-कम्पनी ने मिलकर अंजाम दिया है ।

मैंने जानबूझकर नेताओं के स्थान पर आम नागरिकों की प्रतिक्रिया पर ध्यान केन्द्रित किया है, क्योंकि वह नेताओं से कहीं अधिक निस्वार्थ, निष्पक्ष और निश्चित तौर पर बहुत अधिक राष्ट्रभक्त है |
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