केरल में एक बार फिर संघ स्वयंसेवक की हत्या !


केरल के कन्नूर जिले के पप्पीनीसेरी में एक बार फिर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक स्वयंसेवक की हत्या का मामला सामने आया है। मंगलवार सुबह कुछ बदमाशों ने 27 साल के सुजीत को उसके घरवालों के सामने ही मौत के घाट उतार दिया। 

15 लोगों की भीड़ कल देर रात करीब साढ़े 11 बजे सुजीत के घर में घुसी और उसके बुजुर्ग माता-पिता की आंखों के सामने उसकी हत्या कर दी। सुजीत के बुजुर्ग माता-पिता और एक भाई ने हमलावरों को रोकने की कोशिश की और इस दौरान वे भी गंभीर रूप से घायल हो गए ।

भारतीय जनता पार्टी के स्थानीय नेताओं ने आरोप लगाया है कि यह हमला सीपीआई(एम) के कार्यकर्ताओं ने प्लान कर के किया है। इस घटना के बाद जिले में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। 

फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है और अब तक की कार्रवाई में 8 लोगों को हिरासत में ले चुकी है। 

स्मरणीय है कि कुन्नूर जिले में ही दिसम्बर, 2013 में बीजेपी नेता विनोद कुमार की हत्या कर दी गई थी और दो बीजेपी नेता बूरी तरह से घायल हो गए थे। 

विगत रविवार को भी सीपीआई(एम) और बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच भिड़ंत में अजानुर ग्राम पंचायत में तीन लोगों की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हो गए थे।

सुजीत कुमार की जघन्य ह्त्या को चार दिन बीत चुके हैं | कोई शोर नहीं, कोई प्रतिक्रिया नहीं ! एक स्वयंसेवक ने अपनी पीड़ा इन शब्दों में व्यक्त की -
यह हैं केरल के कुन्नूर में संघ के मण्डल कार्यवाह सुजीत जी जिनकी कम्युनिस्ट कार्यकर्ताओं ने हत्या कर दी। कोई हंगामा नहीं, प्रेश्याओ से तो मुझे कभी कोई अपेक्षा भी नहीं, कहीं किसी और से यहां तक की सोसल साइट्स पर भी कोई विशेष नहीं। किन्तु मेरी शिकायत नेतृत्व से है !तुलना करें रोहित वेमुल्ला की आत्महत्या और कन्हैया की गिरफ्तारी से ।उनका कार्यकर्ता से लेकर नेता तक सड़क पर था और है ।और हम लोग भी जाने अनजाने उन्हें हीरो बना रहे हैं ।जबकि हमारे वास्तविक नायक/ हीरो यह हैं । नमन इस कार्यकर्ता को ! गत बीस माह में मोदी सरकार की सबसे बडी कीमत संघ के स्वयंसेवक चुका रहे है। सीखो कोंग्रेस और कम्युनिस्टों से आक्रमण और बचाव, नहीं तो समाप्त होने की गति बढ़ेगी ही रुकेगी नहीं.... सुजीत जी के बलिदान को नमन... इनकी नृशंस हत्या तुरंत राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय समाचार बन सकती है यदि गृह मंत्री इनके घर पहुँच जाए और प्रधानमन्त्री तुरंत इसपर एक उच्च स्तरीय समिति का गठन करे... किन्तु प्रधानमन्त्री को रोहिथ वेमुल्ला में भारत माँ का लाल दिख जाता है, संघ के स्वयंसेवको में नहीं, संघ के स्वयंसेवक तो कटने मरने के लिए ही है। या फिर चुनावो में कांग्रेस, सपा, बसपा और भी न जाने कहाँ कहाँ से आये किरण बेदीयो, साबिर अलियो, अनवरो के चुनावी बस्ते उठाने के लिए.... 

सावधान मोदी जी ! निराशा का यह आगाज ठीक उसी प्रकार से है, जैसे कि अटलजी के शासनकाल में संघ प्रचारकों का अपहरण कर बंगलादेश में की गई ह्त्या के बाद उपजा था | अगर समय रहते नहीं चेते तो समझ लीजिये कि ये निःस्वार्थ कार्यकर्ता बंधुआ मजदूर नहीं हैं ! इनका महज चुप होकर घर बैठना भर आपको और आपकी सरकार को बहुत भारी पड़ जाएगा |

एक टिप्पणी भेजें

एक टिप्पणी भेजें