दोमुंहा नाग - डेविड हेडली


मुम्बई बम धमाके में गवाह बन चुके डेविड हेडली का मुखबिरी और डबल क्रोस का पुराना रिकोर्ड है। उसने ड्रग तस्कर के रूप में अपराध जगत में प्रवेश किया और 1988 में पकडे जाने पर अपने साथियों को फंसाकर खुद साफ़ बच निकला | 1997 में दुबारा पकडे जाने पर उसने एक बार फिर इसी ट्रिक से अपने आप को बचाया | 2005 के बाद वह लश्कर और आईएसआई के संपर्क में आया | आइये देखते हैं इस अपराधी की कहानी, जो कल दैनिक नया इंडिया में प्रकाशित हुई -

क्या आप जानते हैं कि डेविड हेडली का वास्तविक नाम दाउद गिलानी है। बाद में उसने अपनी माँ सेरिल हेडली का सरनेम अपनाया। उसके पिता पाक राजनयिक सैयद सलीम जीलानी थे। दाउद के पिता वाशिंगटन स्थित पाक दूतावास में थे। बाद में उन्होंने खबरें पढ़नी शुरु कर दी। उसकी मां सेरिल हेडली भी पाकिस्तानी दूतावास में नौकरी करती थी। जहां उसके पिता से उनकी मुलाकात हुई। वह 30 जून 1960 को पैदा हुआ और उसका पूरा परिवार लाहौर आ गया। अपनी विदेशी मां के कारण वह काफी गोरा चिट्ठा था। उसकी दोनों आंखों का रंग अलग था। उसे ‘गोरा’ कहकर बुलाया जाता था। उसके पिता चाहते थे कि उसकी मां इस्लामी रीति रिवाज को अपनाए। बुरका पहने, परदे में रहे, पर मां इसके लिए तैयार नहीं थी। वह बच्चों को उनके बाप के पास छोड़कर अमेरिका वापस लौट गई। बाद में उसका अपने पति से तलाक भी हो गया।

उसकी छोटी बहन का नाम सईदा है जबकि उसका सगा भाई डेनियल पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रह चुके युसूफ रजा जिलानी का प्रवक्ता रह चुका है। इस समय वह बीजिंग में प्रेस सलाहकार है। उसके पिता ने चार शादियां और की। जब 1971 का भारत-पाक युद्ध हुआ तो उसका स्कूल भी बमबारी का शिकार हुआ। इससे भारत के प्रति उसके मन में नफरत और बढ़ गई। उसकी अपनी सौतेली मां से नहीं पटी और वह अपनी असली मां के पास अमेरिका लौट गया जो कि उस समय फिलेडेल्फिया में बार चलाती थी। वह उसकी इस काम में मदद करने लगा। वह पढ़ाई भी पूरी नहीं कर पाया।

उसने पहली शादी की और कुछ समय बाद उसका तलाक हो गया। फिर वह वीडिया लायब्रेरी चलाने लगा जहां वह किराए पर कैसेट दिया करता था। इस दौरान वह नशीली ड्रग्स लेने लगा और उन्हें खरीदने के लिए खुद भी इस धंधे में लिप्त हो गया। वह इन्हें खरीदने के लिए पाकिस्तान जाने लगा। वहां उसकी मुलाकात अपने स्कूल के दोस्त तहव्वुर राणा से हुई जो कि तस्करी में उसकी मदद करने लगा। वह 1988 में तस्करी में पकड़ा गया और सजा से बचने के लिए उसने एजेंसी को अपने साथियों के बारे में जानकारी दी। वह तो बच गया पर चार लोग गिरफ्तार कर लिए गए। वह 1997 में दोबारा पकड़ा गया और उसने ड्रग्स इनफोर्समेंट एजेंसी से समझौता किया कि वह उनका मुखबिर बन जाएगा। उसने जो जानकारी दी उससे पांच लोग व ढाई किलो हीरोईन पकड़ गई।

उसने तीन शादियां कीं। इनमें लाहौर की रहने वाली शजिया जिलानी भी शामिल थी। उससे उसके चार बच्चे हैदर, ओसामा, सुम्मा व हाफसा हुए। जब 2005 में उनका झगड़ा हुआ तो उसकी बीवी ने न्यूयार्क पुलिस को बताया कि उसका पति लश्कर के साथ आतंकवादी प्रशिक्षण ले चुका है पर पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। उसकी पहली पत्नी पोर्शिया गिलानी ने भी उसके खिलाफ ऐसी ही शिकायत की थी। बाद में उसकी मोरक्को की मेडिकल छात्रा फैजा उथल्ला के साथ दोस्ती हो गई। उसने उस पर शादी का झांसा देकर संबध स्थापित करने का मामला दर्ज करवाया। पुलिस ने उसे बंद कर दिया पर लश्कर के सैन्य प्रमुख जकी उर रहमान लखवी व उसकी पत्नी शाजिया के पिता के हस्तक्षेप के कारण वह जेल से छूट गया। दाउद ने उथल्ला से अपनी शादी के बारे में शाजिया को कुछ नहीं बताया और हनीमून पर मुंबई चला आया। जब उसे यह पता चला कि दाउद तो शादीशुदा है तो उसने इस्लामाबाद स्थित अमेरिकी दूतावास को उसके जेहादी संबधों के बारे में जानकारी दी। बदले में उसे जवाब मिला कि तुम भाड़ में जाओ।

पाकिस्तान में वह लश्कर के संपर्क में आ चुका था, उसने उनके लिए भी काम करना शुरु कर दिया था वह डबल एजेंट बन चुका था। लश्कर की सलाह पर ही उसने अमेरिका जाकर अपना नया पासपोर्ट बनवाया जिसमें अपना नाम दाउद से डेविड और सरनेम बदल कर हेडली कर दिया। क्योंकि वहां ‘मां’ का नाम लिखवाया जा सकता है ।

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