क्या है जाट आन्दोलन की वास्तविक तथा-कथा ?


रोहतक सिविल लाइंस पुलिस स्टेशन में हरियाणा पुलिस द्वारा F.I.R. (नं 0101) के अनुसार हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस हुड्डा के प्रमुख सहयोगी और पूर्व राजनीतिक सलाहकार प्रोफेसर वीरेंद्र और अन्य के खिलाफ राजद्रोह का प्रकरण दर्ज किया गया है | साथ ही आईपीसी की धारा 109, 120 बी, 124A, 153 ए, 153B, 427 और सार्वजनिक संपत्ति को क्षति पहुंचाने से रोकथाम संबंधी अधिनियम 1984 कि धारा 3 के तहत तक प्रकरण कायम हुआ है ।

जाट आरक्षण आंदोलन की आड़ में हरियाणा में जो लूट, आगजनी और संपत्तियों की क्षति हुई, सबसे पहले एक ट्विटर पोस्ट द्वारा 20 फ़रवरी 2016 को उसमें हुड्डा की भूमिका को बेनकाब किया गया था । उसके अगले ही दिन फर्स्ट पोस्ट में इसी बाबत एक लेख भी प्रकाशित हुआ | 
समाचार एजेंसियों के अनुसार जाट आरक्षण दंगों में अब तक 19 लोगों की जान जा चुकी है। 

बुधवार को कैप्टेन पवन कुमार अंचल ने 14 फरवरी 2016 से लेकर 21 फरवरी 2016 के मध्य घटित अपराध के विरुद्ध शिकायत प्रस्तुत कर प्राथमिकी दर्ज कराई | 

कैप्टन अंचल ने प्रोफेसर वीरेंद्र और अन्य लोगों के खिलाफ विद्रोहात्मक गतिविधियों के लिए आपराधिक साजिश रचने और सार्वजनिक व निजी संपत्ति की तोड़फोड़, आगजनी व लूटपाट के लिए उकसाने का आरोप लगाया है, जिसमें निर्दोष लोगों की जान गईं व बड़े पैमाने पर आर्थिक क्षति का सामना करना पड़ा | 

स्मरणीय है कि जाट समुदाय के लिए आरक्षण की मांग के नाम पर 12 फरवरी से मय्यर (हिसार) में जाट समुदाय के एक वर्ग द्वारा रेलवे ट्रैक अवरुद्ध किये जाने के साथ यह आन्दोलन शुरू हुआ था ।

इसके दो दिन बाद सांपला रोहतक में दिल्ली रोहतक जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग को अवरुद्ध किया गया । इस के बाद इस आन्दोलन की आग झज्जर, सोनीपत, भिवानी, जींद, हिसार, फतेहाबाद, पानीपत, कैथल, पलवल, गुड़गांव, फरीदाबाद और हरियाणा के अन्य जिलों में फैल गई । आंदोलनकारियों और प्रदर्शनकारियों द्वारा कई स्थानों पर सड़क मार्ग और रेलवे पटरियों को अवरुद्ध किया गया।

इन विरोध प्रदर्शनों में अधिकाँश स्थानों पर हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नजदीकी लोगों व पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं की भूमिका रही । 18.2.16 से लेकर 21.2.16 तक रोहतक शहर में हिंसा का जो दौर चला, उसने मानवता को शर्मसार कर दिया | इस दौरान 500 से अधिक दुकानें, पेट्रोल पंप, स्कूल, शॉपिंग मॉल, कार शो रूम, बैंकों और जनता के घरों को आंदोलनकारियों द्वारा लूटा गया, तोड़फोड़ की गई और संगठित तरीके से आगजनी की घटनाएँ हुईं |

लूट, बर्बरता और आगजनी की इसी प्रकार की घटनाएं हरियाणा के अन्य शहरों में भी हुईं । बड़े पैमाने पर आगजनी, लूटपाट और बर्बरता के कारण कानून और व्यवस्था की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए अंततः मजबूरन अर्धसैनिक बलों और सेना को बुलाया गया ।

प्रदर्शनकारियों द्वारा की गई आगजनी के दौरान अनेक लोग घायल हुए, यहां तक ​​कि एक व्यक्ति को अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ा । बड़े पैमाने पर शासकीय और निजी संपत्ति क्षतिग्रस्त हुई । कानून और व्यवस्था की बिगड़ी हुई स्थिति को नियंत्रित करने के लिए की गई पुलिस और सैन्य कार्यवाही में जाट समुदाय के कई प्रदर्शनकारी भी मारे गए । 

मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, हाई प्रोफ़ाइल नेताओं के उकसावे से हरियाणा में जो तोड़फोड़ हुई उसमें सार्वजनिक और निजी संपत्ति को हुई क्षति का अनुमान लगभग 20,000 करोड़ रुपये से अधिक का है |

इतना ही नहीं तो मुनक नहर से दिल्ली को की जाने वाली पानी की आपूर्ति लाईन भी प्रदर्शनकारियों / शरारती तत्वों द्वारा क्षतिग्रस्त कर दी गई, जिसके कारण दिल्ली वासियों को भी गंभीर जल संकट का सामना करना पड़ा । योजनाबद्ध रूप से अराजकता फैलाने के उद्देश्य से किये गए इस आन्दोलन की तीव्रता और प्रसार मजबूत और संगठित था कि सरकारी मशीनरी पूरी तरह हक्की बक्की रह गई व रोहतक शहर और रोहतक जिले सहित हरियाणा के अन्य हिस्सों में सार्वजनिक संपत्ति को बचाने के सारे प्रयत्न धराशाई हो गए | 

ऑडियो सबूत

दर्ज की गई प्राथमिकी का आधार एक ऑडियो क्लिप है जो 21 फरवरी को सामने आई । इस क्लिप में प्रोफेसर वीरेन्द्र और कप्तान मान सिंह दलाल (सेवानिवृत्त) की उत्तेजना फैलाने वाली चर्चा है | प्रोफ़ेसर जहाँ सिरसा में आन्दोलन कमजोर होने पर असंतोष जताते हैं, वहीं देशवाल बेल्ट जिसमें रोहतक, जींद और सोनीपत के कुछ हिस्से शामिल हैं, वहां की सराहना करते साफ़ सुने जाते हैं ।

हरियाणा के स्थानीय समाचार चैनल पर प्रोफेसर वीरेंद्र पूर्व में ही स्वीकार कर चुके हैं कि टेप में उनकी ही आवाज है | किन्तु बाद में उन्होंने कहा कि उनके शब्दों को संदर्भ से बाहर जोड़ा गया है । उन्होंने यह भी दावा किया है कि जिस 'कप्तान' से वे चर्चा कर रहे थे, वे उसे नहीं जानते । लेकिन उनके दुर्भाग्य से खाप चौरासी के अध्यक्ष कैप्टन मान सिंह, दलाल ने स्वीकार किया कि वह इस क्लिप में प्रोफेसर वीरेंद्र के साथ वही बातचीत कर रहा था।

कांग्रेस ने भी मजबूर होकर 23 फरवरी को प्रोफेसर वीरेंद्र को कारण बताओ नोटिस जारी किया है । लेकिन इससे आन्दोलन में कांग्रेस की संदिग्ध भूमिका और ज्यादा स्पष्ट होकर सामने आई है | कौन मानेगा कि अकेले प्रोफ़ेसर वीरेन्द्र इतना बड़ा आन्दोलन खड़ा करने में सक्षम है | रही सही कसर दर्ज किए गए 535 मामलों में गिरफ्तार 127 लोगों ने पूरी कर दी है, जिनके सम्बन्ध हुड्डा से साफ़ दिखाई देते हैं |

यह भी ध्यान देने योग्य तथ्य है कि रोहतक हुड्डा का प्रभाव क्षेत्र माना जाता है, जहाँ सर्वाधिक व्यापक विनाश हुआ है | इसके अतिरिक्त हुड्डा पर पंचकुला में एक भूखंड के अवैध आवंटन को लेकर सीबीआई जांच भी चल रही है | नेशनल हेराल्ड को एक भूखंड के आवंटन में उनकी भूमिका भी जांच के दायरे में है | इन सभी तथ्यों का उल्लेख करते हुए उनके खिलाफ किसी भी समय F.I.R. दर्ज की जा सकती है ।

सबसे अधिक खतरनाक बात है जाट आन्दोलन में हुई हिंसा का सामाजिक प्रभाव | लगता है कि राजनेताओं ने जानबूझकर हरियाणा में जाटों और गैर जाट के बीच शत्रुता के बीजारोपण की दीर्घकालिक योजना बनाई थी । राजनीतिक रूप से प्रायोजित इस हिंसा का समय भी ध्यान देने योग्य है | हिंसा ठीक उस समय हुई है जबकि 07 से 09 मार्च तक भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) हरियाणा ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन करने जा रहा है | आन्दोलन का मुख्य उद्देश्य हरियाणा को गलत प्रकार से वैश्विक सुर्खियों में लाना भी हो सकता है । स्पष्ट ही राजनेताओं के लिए कुर्सी ही मुख्य है, उसके लिए वे देश हित को कुर्बान करने में एक सैकिंड नहीं लगाते |

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