“डॉ. पंकज नारंग हत्याकांड” और बंगलादेशी घुसपैठ !

बांग्लादेशी घुसपैठ का स्वरुप प्रतिदिन वीभत्स होता जा रहा है ! इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है कि दिल्ली के विकासपुरी क्षेत्र में पेशे से डॉक्टर पंकज नारंग हत्याकांड का सम्बन्ध भी इस समस्या से हो ! वैसे तो देश के तमाम हिस्से बांग्लादेशी घुसपैठ की समस्या से ग्रस्त है और उन भागों में बांग्लादेशी घुसपैठियों ने बड़ी तादात में अपनी जडें मजबूत भी कर ली है | इतना ही नहीं तो उन्हें कई राजनैतिक पार्टियों का संरक्षण भी प्राप्त है ! 

वर्तमान में पश्चिम बंगाल या असम आदि सीमावर्ती क्षेत्र ही नहीं भारत के हर छोटे बड़े शहर में बांग्लादेशी घुसपैठ की खबरें आम हो रही है ! उदाहरण के तौर पर कुछ महीनों पहले मध्यप्रदेश जैसे सुरक्षित माने जाने वाले राज्य के ग्वालियर महानगर में एक बांग्लादेशी नागरिक को बिना किन्ही वैध दस्तावेजों के आपत्तिजनक सामान के साथ गिरफ्तार किया गया था ! 

दरअसल बांग्लादेशी घुसपैठ की समस्या भारत के लिए बेहद ही विकराल समस्या है ! भारत में आने के बाद बांग्लादेशी घुसपैठिये जिन स्थानों पर अपना डेरा डालते है वह स्थान आपराधिक गतिविधियों का गढ़ बन जाती है ! विशेषकर बांग्लादेशी घुसपैठिये झुग्गी झोपड़ियों में ही आश्रय लेते है, यह अत्यंत चिंतनीय विषय है ! यदि निष्पक्ष रूप से सरकार द्वारा अवैध झुग्गी झोपड़ियों का निरिक्षण किया जाये तो निश्चित रूप से इन झुग्गियों से बड़ी संख्या में बांग्लादेशी घुसपैठिये अवश्य मिलेंगे ! इन झुग्गियों से बांग्लादेशी घुसपैठिये ह्त्या, बलात्कार, ड्रग्स तस्करी जैसे अवैध अवैध कार्यों को अंजाम देते मिल जाएँ तो आश्चर्य नही होगा और इसकी प्रबल संभावना भी है !

बांग्लादेशी घुसपैठ के द्वारा भारतीय संसाधनों पर भी बोझ डाला जा रहा है ! यही नहीं घुसपैठिये भारतीय मजदूरों को उनके रोजगार एवं अधिकारों से भी वंचित कर रहे है ! एक अहम बात यह भी है कि कई आतंकी संगठन जैसे आईएसआईएस भी भारत में घुसपैठ करने के लिए बांग्लादेश को उचित स्थान मानते है !

बांग्लादेशी घुसपैठ की समस्या बड़ी विकराल होती जा रही है और भारत के लिए यह बेहद ही जटिल समस्या बनती जा रही है ! इस जटिलता को ध्यान में रखते हुए माननीय उच्चतम न्यायालय ने असम के संबंध में बांग्लादेशी घुसपैठ को बाहरी आक्रमण मानते हुए यह व्यवस्था दी है कि भारत का वैध नागरिक वही माना जाए जिसका नाम १९७७ की मतदाता सूची में हो ! १९७७ के बाद का मतदाता पहचान पत्र, आधार कार्ड, राशन कार्ड आदि सरकारी दस्तावेज मान्य न किये जाएँ ! इसी परिपेक्ष्य में भारत सरकार ने असम सरकार के साथ मिलकर राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर बनाने की शुरुवात की जो अभी असम तक ही सीमित है ! जबकि होना यह चाहिए कि यह रजिस्टर देशव्यापी स्तर पर बनाया जाए ! क्यूंकि बांग्लादेशी घुसपैठ आज केवल असम की ही समस्या नहीं है !

भले ही कुछ दिन पूर्व बांग्लादेश के साथ भारतीय प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने भारत बांग्लादेश सीमा समझौता किया, जो घुसपैठ रोकने के लिए निश्चित रूप से सराहनीय कदम है एवं इससे निसंदेह सीमा पर घुसपैठ पर नियंत्रण होगा ! परन्तु यही सब कुछ नहीं है इसके आगे भी कुछ ठोस निर्णय लेने की आवश्यकता है ! जैसे भारत में रह रहे अवैध बांग्लादेशियों को चिन्हित कर उन्हें भारत से खदेड़ना एवं बांग्लादेश में रह रहे अल्पसंख्यकों पर साम्पदायिक कारणों से हो रहे अमानवीय अत्याचारों का सख्ती के साथ विरोध ! इसके अलावा बांग्लादेशी घुसपैठियों का आर्थिक एवं सामाजिक बहिष्कार किया जाना भी बेहद आवश्यक है !

डॉ. पंकज हत्याकांड पर नजर डालें तो इस हत्याकांड को रोड रेज का मामला बताया जा रहा है जबकि कुछ लोगों की नजर में यह साम्प्रदायिक हिंसा का परिणाम है ! क्यूंकि रोड रेज जैसी घटनाओं में भीड़ के रूप में एक दो व्यक्ति पर इतना क्रूर हमला नहीं किया जाता जिसमे एक की मौत हो जाती है और दूसरा गंभीर रूप से घायल होकर जिन्दगी और मौत से संघर्ष कर रहा होता है ! 

इसे असामाजिकता की पराकाष्ठा नहीं तो क्या कहेंगे कि एक मोटर साईकिल सवार को क्रिकेट खेलते बच्चों की गेंद लगे और इस पर आक्रोशित होकर बच्चों के अभिभावक की ह्त्या कर दी जाए ! इससे भी अधिक घृणास्पद तथ्य यह है कि तथाकथित सिक्यूलर दल इस पर चुप्पी साधे रहें | केजरीवाल हो चाहे राहुल गांधी, इस पीड़ित परिवार की सुध लेने भी नहीं गए !

 बांग्लादेशी घुसपैठ और इस अपराध का कोई सम्बन्ध है या नहीं इसकी जांच होना आवश्यक है ? क्या इस हत्याकांड में शामिल सभी अपराधियों की नागरिकता की जांच असम में उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए मानकों के आधार पर नहीं होनी चाहिए ?

इस विषय को लेकर सोशल मीडिया पर भी पर्याप्त चर्चा हुई | श्री @sunil agrawal की एक सारगर्भित फेसबुक पोस्ट इस प्रकार थी –

दिल्ली में डॉ नारंग की हत्या के बाद एक खबर/ अफवाह चली कि हत्यारे बांग्लादेशी हैं। दिल्ली की एक उच्च पुलिस अधिकारी मोनिका भरद्वाज का ट्वीट आया कि 9 हत्यारों में 5 हिन्दू हैं। वे UP के रहने वाले हैं, बांग्लादेशी नहीं हैं।

‪#‎मोनिकाभरद्वाज

लीजिये मैं आपको बांग्लादेशियों की घुसपैठ की सच्चाई बताता हूँ, बिल्कुल फर्स्ट हैण्ड जानकारी।

बचपन की एक घटना।

उड़ीशा के एक शहर सम्बलपुर के बड़ाबाजार में रहते हुए नगर पालिका के चुनाव आये तो हम थोड़े राजनैतिक हो गए। एइटिज़ की बात है। वार्ड नंबर 22 से श्री भानुप्रताप अग्रवाल और श्री बिहारीलाल अग्रवाल उम्मीदवार थे। हम बिहारु चाचा के पक्ष में थे। वोटर लिस्ट देख कर सबसे मिलने का प्लान चल रहा था। गणेश राइस मिल के मज़दूर बड़ी संख्या में थे, महत्वपूर्ण वोटर थे। उनका पता पूछ रहे थे। अर्जुन की पान दुकान पर बैठे थे तो अर्जुन ने बताया कि 8 नए मिस्त्री आये हैं गणेश राइस मिल में। दो ये रहे, मिल लो। चुनिया मीठा पान को शुनिया मीठा बोल कर मांगने वाले हमें स्थानीय तो नहीं लगे। नाम पुछा तो एक ने मुस्लिम नाम बताया, एक ने हिन्दू। वोटर लिस्ट में नाम था। ज्यादा इन्क्वायरी करने पर पता चला कि बांग्लादेशी हैं, सस्ते में मिल जाते हैं और आस पास के सभी 44-45 राइस मिलों में आठ दस आठ दस मिल जायेंगे। नाम भी अधिकांश ने हिन्दू रखे हुए हैं, मगर हैं मुसलमान।

अब मैडम जरा बताइये, वे हिन्दू हैं या नहीं? पैंट खोलकर तो आप देखिएगा नहीं। और रहने वाले कहाँ के कहियेगा उनको?

अरे मैडम, क्या कोई बांग्लादेशी यहाँ बांग्लादेश का एड्रेस दे कर रह रहा है?

चलिए मेरे साथ धुबरी, ग्वालपाड़ा, बॉन्गाईगांव, कोकराझार, दरांग, चिरांग,,,, कितने ही बांग्लादेशी दिखाता हूँ,, सबके पास ड्राइविंग लाइसेंस है, राशनकार्ड है।

एक गंभीर समस्या पर यूँ पर्दा मत डालिये। सच्चाई वह भी हो सकती है जो आप बोल रही है, मगर सच्चाई वह भी हो सकती है जो खबर/ अफवाह चल रही है।
पूरी छानबीन करके बताइये।

आपके लिए यह लॉ एंड आर्डर की समस्या है, हमारे लिए हमारे और देश के भविष्य और अस्तित्व का सवाल है।

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