लाहौर का आत्मघाती विस्फोट - पकिस्तान पा रहा है अपने किये की सजा |

पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की राजधानी लाहौर आम तौर पर पाकिस्तान के अन्य भागों की तुलना में अधिक शांतिपूर्ण मानी जाती रही है । किन्तु आजकल वहां सडकों पर सन्नाटा है | रविवार को ईसाईयों पर हुए हमले के बाद पंजाब सरकार सभी सार्वजनिक पार्कों को बंद करने का का आदेश दिया। लाहौर के मुख्य बाजार भी बंद हैं । लगता है आतंकियों का स्वर्ग पाकिस्तान अब स्वयं के किये की सजा पा रहा है |

ईस्टर के मौके पर लाहौर में पाकिस्तानी ईसाई समुदाय को लक्ष कर जो आत्मघाती बम विस्फोट हुआ, उसमें मरने वालों की संख्या 72 हो चुकी है | 300 से अधिक लोग घायल हुए हैं | माना जा रहा है कि मरने वालों की संख्या और बढ़ सकती है | मारे गए लोगों के परिजनों ने अपने रिश्तेदारों को दफन करना शुरू कर दिया है | पाकिस्तान सरकार ने तीन दिवसीय राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है ।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार बच्चों और महिलाओं के खून से बना तालाब और चारों ओर रोते बिलखते लोग एक बड़ा ही कारुणिक द्रश्य था | लोग घबराकर इस प्रकार भाग रहे थे मानो सारी दुनिया ख़तम होने वाली हो | विस्फोट के समय धुल का एक बड़ा गुबार उठा, और उसके बाद जमीन पर चारों ओर इंसानी शरीरों के चिथड़े बिखर गए | जब विस्फोट हुआ तब आग की लपटें और उड़ते हुए इंसानी शव पार्क के पेड़ों से ऊपर तक देखे गए ।

यह हमला भले ही ईसाई अल्पसंख्यकों पर हुआ हो, किन्तु मरने और जख्मी होने वालों में मुसलमान भी बड़ी संख्या में हैं | क्योंकि लाहौर के इस गुलशन-ए-इकबाल पार्क में रविवार और ईस्टर की छुट्टी होने के कारण बड़ी संख्या में स्कूली बच्चे घूमने और खेलने के लिए आये हुए थे | घटना का सबसे दुखद पहलू यह है कि मरने वालों में ज्यादातर बच्चे और महिलायें ही हैं ।

इस शर्मनाक और अमानवीय बम विस्फोट की जिम्मेदारी एक तालिबानी गुट जमात-उल-अहरार ने ली है | यह तालिबानी गुट खुलकर आईएसआईएस का समर्थन करता है । जमात-उल-अहरार के एक प्रवक्ता अहसानुल्लाह अहसान ने जारी किये प्रेस बयान में बताया कि आत्मघाती हमलावर ने जानबूझ कर ईस्टर के मौके पर ईसाई समुदाय को निशाना बनाया। यह हमला आदिवासी क्षेत्रों में चलाये जा रहे पाकिस्तान के सैन्य अभियान के प्रति विरोध जताने को किया गया । इस समूह ने इसी तरह के हमलों को जारी रखने की भी घोषणा की है तथा पिछले साल लाहौर के एक ईसाई चर्च में हुए दोहरे बम विस्फोट की जिम्मेदारी भी ली है।

बैसे पाकिस्तान में बच्चों को मारने की यह कोई पहली घटना नहीं है | इसके पूर्व भी दिसंबर 2014 में कट्टरपंथी समूहों ने पेशावर शहर के एक सैन्य अकादमी में 130 से अधिक स्कूली बच्चों का नरसंहार किया था ।

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