अपने नेताओं को जानिये - श्री पी चिदंबरम


16 सितम्बर 1945 को जन्मे श्री पलानी अप्पन चिदंबरम 16 सितंबर को 71 साल के हो जाएंगे हालांकि इस आयु में वे जवानी से भरपूर है। वे किसी कामदेव से कम नहीं है। टाइम्स नाउ का तो उनकी इस प्रतिभा से सीधा साक्षात्कार हो चुका है। अरनब गोस्वामी से ज्यादा उनके इस गुण के बारे में और कौन जानता होगा। वे चेट्टियार हैं जो कि तमिलनाडू की काफी पैसे वाली साहूकार जाति है जो कि बैंक चलाने में माहिर होते हैं। उनके पिता राजा सर अन्नामलाई चेट्टियार थे जिन्होंने अन्नामलाई विश्वविद्यालय की स्थापना की। यूनाइटेड इंडिया इंश्यारेंस कंपनी उन्हीं की देन है। उनके चाचा रामास्वामी चेट्टियार ने इंडियन बैंक स्थापित किया।

उनका खानदान हमेशा सत्ता के बहुत करीब रहा। चिदंबरम के पिता अंग्रेजों के बहुत करीबी व विश्वासपात्र थे। ब्रिटिश सरकार ने उन्हें सर की उपाधि के साथ 90 गांव भी दिए थे। उनकी तमिलनाडू व कर्नाटक में काफी जमीन जायदाद व काफी के बागान है। पहले वे वामपंथी विचारधारा से प्रभावित थे व उन्होंने हिंदू के एनराम व मैथिली शिवरमन के साथ मिलकर रेडिकल रिव्यू नामक पत्रिका भी निकाली थी। बाद में वे कारपोरेट मामलों की वकालत करने लगे।

पी चिदंबरम पहली बार 1984 में तमिलनाडू के शिवगंगा चुनाव क्षेत्र से लोकसभा का चुनाव जीते। पिछले चुनाव में उन्होंने इस सीट से अपने बेटे को लड़वाया जो कि हार गया। वैसे वे यहां से सात बार जीत चुके हैं। वे पहली बार राजीव गांधी की सरकार में वाणिज्य उपमंत्री बने। फिर 1996 में कांग्रेस से अलग हो गए और उन्होंने जी के भूपनार के साथ मिलकर तमील मनीला कांग्रेस बनायी। फिर वे कांग्रेस में लौटे। 2004 में मुंबई में हुए आतंकी हमले के बाद उन्हें गृहमंत्री बनाया गया। हालांकि बाद में यूपीए सरकार में वित्तमंत्री बने।

चिदंबरम का कार्यकाल विवादों से भरा रहा है। इसमें 2जी स्पेक्ट्रम कौड़ियों के भाव बेच दिए जाने से लेकर एयरसैल मैक्सिस कंपनी में उनके बेटे की हिस्सेदारी सरीखे मामले शामिल है। इनसाइडर ट्रेडिंग की चर्चाएं भी हुई। लोकसभा चुनाव लड़ते समय उसने अपनी संपत्ति 60 करोड़ दिखाई थी। वे बताते हैं कि पैसा कमाना तो उन्होंने बेटे को सिखाया है जो कि उसके डीएनए में पहले से ही है। जब बेटा 8-9 साल का था तो चिदंबरम ने अपने घर का दफ्तर बंद करके पास ही में नया दफ्तर खोल लिया। उनके मुविक्कलों को नया दफ्तर ढूंढने में दिक्कत न हो इसके लिए उन्होंने कार्ति को हर व्यक्ति को दफ्तर का पता बताने व दिखाने के लिए एक रुपया देना शुरु कर दिया। देखते ही देखते कार्ति की मोटी कमाई होने लगी। बेटे कीर्ति चिदंबरम के अपने तमाम धंधे हैं और वह शेयर बाजार में भी रुचि लेता है। 

बेटे के दफ्तर पर कुछ समय पहले प्रवर्तन निदेशालय ने छापे मारे जबकि सीबीआई ने उनकी वकील पत्नी नलिनी को शारदा घोटाले में नामजद किया है। उनकी पत्नी नलिनी चिदंबरम भी जानी मानी वकील हैं। मालूम हो कि वे जेल में बंद मनोरंजना सिंह की वकील थी जिन्हें शारदा के मालिक सुदीप्तो सेन ने डेढ़ करोड़ रुपए की फीस अदा की थी। हवाला मामले में लबे अरसे तक जेल में बंद रहे हसन अली के पार्टनर काशीराम तापुड़िया ने 2009-10 के बीच 16 बार विमान के टिकट उपलब्ध करवाए। तब चिदंबरम वित्त मंत्री थे व उनके तहत आने वाला ईडी, इन दोनों के खिलाफ हवाला मामले की जांच कर रहा था।

सुब्रहमण्यम स्वामी और राम जेठमलानी दोनों उनके मुखर विरोधी में से है। राम जेठमलानी का कहना है कि चिदंबरम ऐसे जादूगर है जिन्होंने 1997 में वालंटरी डिसक्लोजर स्कीम लाकर 10 साल पहले से जमा किए गए काले धन को सफेद बना दिया। वे रंग बदलने में माहिर हैं। शायद सत्ता से बाहर होने के बाद जिस तरह से वे अब बयान दे रहे हैं वह उनकी यही आदत है।जब मुंबई में दोबारा बम विस्फोट हुए तो वे गृहमंत्री थे। उन्होंने बयान दिए कि इंटेलीजेंस सूचना न होना, इंटेलीजेस की असफलता नहीं मानी जा सकती है। तब जेठमलानी ने कहा था कि यह तो वैसा ही है जैसे कि किसी के बीमार होने पर यह कहा जाए कि यह उसके स्वास्थ्य की असफलता नहीं है या किसी के नामर्द होने पर यह दलील दी जाए कि यह उसकी मर्दानगी की असफलता नहीं है। 

साभार - नया इण्डिया 

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