डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी - पी. चिदंबरम - अरुण जेटली - दो नहीं तीन विपरीत ध्रुव

डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी एक ऐसे तमिल ब्राह्मण हैं, जो चाणक्य के समान पैर में काँटा चुभने के बाद उसे जड़ से उखाड़ने और उसमें मट्ठा डालने का कार्य नहीं करते, वे तो काँटा देखते ही उसे नेस्तनाबूत करने में जुट जाते हैं |

अभी पिछले दिनों दिए गए उनके दो बयान सुर्ख़ियों में हैं | पहला तो विजय माल्या से सम्बंधित तो दूसरा पी चिदंबरम व उनके बेटे कीर्ति चिदंबरम को लेकर | सोनिया जी और उनके लाडले बेटे राहुल के खिलाफ स्वामी द्वारा शुरू करवाई गईं अदालती कार्यवाही से झल्लाई कांग्रेस ने सवाल उठाया था कि डॉ. स्वामी ने अपनी जनता पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष विजय माल्या को क्यों बनाया था ?

इस पर डॉ. स्वामी ने जो हकीकत बयान की, बैसी साफगोई केवल और केवल डॉ. स्वामी ही कर सकते हैं | डॉ. स्वामी का बयान भारतीय राजनीति के कलुष को रेखांकित करता है | कांग्रेस के आरोप पर डॉ. स्वामी ने कहा कि राजनीति में पार्टी चलाने के लिए हर राजनैतिक दल को धनपशुओं की जरूरत पड़ती है | हर पार्टी में ऐसे धन पशु होते हैं, जिनका दोहन कर पार्टीयाँ चलती हैं | अच्छा हो इस विषय पर उनका मुंह न खुलवाया जाए, अन्यथा अगर उन्होंने यह बताना शुरू कर दिया कि किस पार्टी ने माल्या का कितना दोहन किया, तो हमाम के सब नंगे सामने आ जायेंगे |

लेकिन जो दूसरा बयान उन्होंने चिदंबरम पिता पुत्र को लेकर दिया, वह तो पूरे देश की चूलें हिलाने वाला है | डॉ. स्वामी ने एक प्रकार से जाली पाकिस्तानी करेंसी का सूत्रधार ही पी. चिदंबरम व उनके बेटे कीर्ति को ठहरा दिया है | आने वाले दिनों में अगर यह आरोप सच साबित हुआ तो वह दिन दूर नहीं जब ये महानुभाव देश की जनता की नज़रों में देशद्रोही खलनायक बनते दिखाई देंगे | 

आईये देखते हैं कि क्या हैं डॉ. स्वामी के आरोप ? 

डॉ. स्वामी ने आरोप लगाया है कि चिदंबरम के वित्त मंत्री रहते देश के लिए नोट छापने की मशीनें उस ब्रिटिश कम्पनी से खरीदी गईं, जो पाकिस्तान को भी बैसी ही मशीनें सप्लाई करती है | डॉ. स्वामी का यह भी आरोप है कि इन मशीनों को खरीदने में पी चिदंबरम के बेटे कीर्ति चिदम्बरम की बहुत बड़ी भूमिका रही | डॉ. स्वामी के अनुसार जब यह सौदा किया जाने वाला था, उस समय देश की खुफिया एजेंसी ने आगाह भी किया था कि इस कम्पनी से मशीनें खरीदना उचित नहीं होगा, क्योंकि यह कम्पनी पाकिस्तान को भी ऐसी ही मशीनें बेच रही है | जिसके चलते पाकिस्तान जाली भारतीय करेंसी आसानी से छापकर भारत की अर्थ व्यवस्था को चौपट कर सकता है | लेकिन इस आपत्ति को नजर अंदाज कर यह सौदा किया गया | और आज भारत में आतंकी गतिविधियों के लिए आतंकवादियों को जो पैसा उपलब्ध कराया जाता है, उसके लिए 500 और 1000 रुपये के नोट पाकिस्तान में ही छापे जाते हैं | विशेष बात यह कि यह मामला अदालत में दाखिल किया जा चुका है | 

77 वर्ष की आयु में जब लोग अपने नाती पोतों के साथ अपना समय बिताते हैं, डॉ. स्वामी का एक ही शगल है – विरोधियों को निबटाना | इसमें वे अपने पराये का भेद नहीं करते | उनका घोष वाक्य है – जो मेरा नहीं, मैं उसका नहीं | यही कारण है कि आजकल फिजा में चर्चा गर्म है कि मंत्रिमंडल के सबसे ताकतवर मंत्री माने जाने वाले पंजाबी ब्राह्मण अरुण जेटली भी अब उनके अगले शिकार बनने वाले हैं |

साभार आधार - नया इण्डिया रिपोर्टर डायरी दिनांक 29 मार्च 2016 
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