छत्तीसगढ़ के रामनामी समाज की अनोखी परंपरा, 100 वर्षों से पूरे शरीर पर लोग लिखवाते है राम नाम ! जानिये क्योँ ?

भारत अनोखा देश हैं विविध प्रकार की संस्कृति से भरे हुए देश में हमेशा कुछ ना कुछ नया मिल ही जाता है ! भारत में हर प्रकार के धर्म को पालने की शक्ति है ! आपको भारत में हमेशा नया देखने को मिल ही जायेगा और शायद इसलिए ही भारत सबसे महान देश है !

जमगाहन गांव के रामनामी समाज के बारे में कुछ लोग जानते होंगे ! खासकर छत्तीसगढ़ के लोग इस समाज और उसकी परंपराओं से अच्छी तरह परिचित होंगे ! इस समाज में यह अनोखी परंपरा 100 वर्षों से भी ज्यादा समय से चली आ रही है ! रामनामी समाज की खास बात ये है कि इस समाज के लोग पूरे शरीर पर राम नाम गुदवाते है , लेकिन ना तो ये कभी मूर्ति पूजा करते हैं और ना ही मंदिर जाते हैं ! दरअसल, ये समाज इसे भगवान की भक्ति के साथ ही सामाजिक बगावत के तौर पर भी देखता है !

क्या है शरीर पर राम नाम लिखवाने के पीछे की कहानी ?

100 वर्ष पूर्व हिंदू धर्म के मठाधीशों ने इस समाज के लोगों को मंदिर में जाने से रोक दिया ! तब अपने अपमान के विरोध में इन्होंने चेहरे सहित पूरे शरीर में राम नाम का गोदना गोदवा लिया ! इस समाज के लोगों का कहना है कि रमरमिहा को ही रामनामी समाज कहा जाता है ! छत्तीसगढ़ के सबसे गरीब और पिछड़े इलाके में रहने वाले महेतर राम टंडन पिछले 50 साल से इस परंपरा को निभा रहे हैं ! 76 साल के रामनामी टंडन का कहना हैं कि जिस दिन मैंने ये राम नाम का गोदना बनवाया, उस दिन मेरा नया जन्म हुआ ! 50 साल बाद उनके शरीर पर बने गोदना अब कुछ धुंधले से हो चुके हैं, लेकिन उनके विश्वास में कहीं कोई कमी नहीं आई है !

परंपरा को लेकर स्थानीय लोगों के विचार !

इस गांव के बहुत से लोग इस परंपरा को बहुत अच्छा मानते हुए हमेशा उसका बखान करते हैं और बहुत खुशी से बताते हैं ! जमगाहन गांव के अलावा नजदीकी गांव गोरबा में भी 75 साल की पुनई बाई इसी परंपरा को निभा रहीं हैं ! पुनई बाई के शरीर पर गुदवाये रामनाम को वह भगवान का किसी खास जाति का ना होकर सभी के होने की बात से जोड़ती हैं !

गोदना की परम्परा का पालन अनिवार्य

इस समाज के लोगों के लिए शरीर के कुछ हिस्सों में राम नाम गुदवाना जरूरी है ! खासकर 2 साल का होने से पहले छाती पर राम गोदवाना जरूरी होता है ! राम नाम गुदवाने वाले लोगों को शराब पीने की मनाही होती है ! साथ ही, रोजाना राम नाम बोलना भी जरूरी होता हैं ! ज्यादातर रामनामी लोगों के घरों की दीवारों पर राम-राम लिखा होता है ! इस समाज के लोगों में राम-राम लिखे कपड़े पहनने का भी चलन है, और ये लोग आपस में एक-दूसरे को राम-राम के नाम से ही पुकारते हैं !

नई पीढ़ी की दिलचस्पी कम है

रामनामी जाति के लोगों की आबादी तकरीबन एक लाख है और छत्तीसगढ़ के चार जिलों में इनकी संख्या ज्यादा है ! सभी में राम नाम गुदवाना एक आम बात है ! समय के साथ राम नाम गुदवाने का चलन कुछ कम हुआ है ! रामनामी जाति की नई पीढ़ी के लोगों को पढ़ाई और काम के सिलसिले में दूसरे शहरों में जाना पड़ता है जिस कारण से नई पीढ़ी पूरे शरीर पर रामनाम गुदवाना पसंद नहीं करती परन्तु ऐसा नहीं है कि उन्हें इस परम्परा पर विश्वास नहीं है ! पूरे शरीर में न सही, वह किसी भी हिस्से में राम-राम लिखवाकर अपनी संस्कृति को आगे बढ़ा रहे हैं ! इस समाज का मानना है कि वह अपनी संस्कृति को हमेशा जीवित रखना चाहते हैं इसलिए भले ही आधुनिकता के प्रभाव से कुछ चलन कम हुआ हो पर लोग आज भी आदर से राम नाम शरीर पर जरूर गुदवाते हैं !

समाज की दिलचस्प बातें

नखशिख राम-राम लिखवाने वाले सारसकेला के 70 वर्षीय रामभगत ने बताया कि रामनामियों की पहचान राम-राम का गुदना गुदवाने के तरीके के मुताबिक की जाती है ! शरीर के किसी भी हिस्से में राम-राम लिखवाने वाले रामनामी ! माथे पर राम नाम लिखवाने वाले को शिरोमणि ! और पूरे माथे पर राम नाम लिखवाने वाले को सर्वांग रामनामी और पूरे शरीर पर राम नाम लिखवाने वाले को नखशिख रामनामी कहा जाता है !

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