एक रात एक व्यक्ति ने देखा एक स्वप्न
उसने देखा वह चल रहा है समुद्रतट पर परमात्मा के साथ !
क्षितिज पर चमक रहे थे उसके जीवन के द्रश्य !
हर द्रश्य के लिए थे रेत पर दो जोड़ी पदचिन्ह,
एक उसके और दूसरे परमात्मा के !
और जब आकाश पर चमका उसके जीवन का आखरी द्रश्य,
तो उसने गौर किया
कि जीवन के रेतीले पथ पर
कई बार दिखे सिर्फ एक ही जोड़ी पदचिन्ह !
तब तब नहीं थे दूसरी जोड़ी के पदचिन्ह,
जब जब वह डूबा था उदासी के समंदर में,
या दुःख के पहाड़ तले !
उद्विग्न हुआ उसका मन
और उसने परमात्मा से पूछ ही लिया -
" हे परमात्मा ! तुमने कहा था
कि अगर मैं निर्णय लूं तुम्हारे साथ का
तो तुम भी चलोगे सदा साथ मेरे !
पर गौर किया मैंने
कि मेरे जीवन के कष्टतम समय में
रेत पर छपे थे सिर्फ एक ही जोड़ी पदचिन्ह !
समझ नहीं पाया मैं
जब जब थी मुझे तुम्हारी सबसे ज्यादा जरूरत
तब तब क्यों छोड़ गए तुम मेरा साथ ----"?
परमात्मा ने जबाब दिया -
" मेरे प्रिय, मेरे अमूल्य बच्चे
मुझे तुमसे है अगाध स्नेह और प्रेम,
मैं कैसे तुम्हें छोड़ सकता हूँ अकेले,
संकट और दुःख के समय !
जब जब दिखाई दिए तुम्हें
सिर्फ एक ही जोड़ी पदचिन्ह
तब तब थे तुम मेरी गोदी में !
उठाया हुआ था मैंने तुम्हारा वजूद
सम्हाला हुआ था तुम्हारा अस्तित्व
अपने हाथो में !
आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं
एक टिप्पणी भेजें