मालेगांव ब्लास्ट में झूठे फंसाए गए हिन्दुत्ववादी कार्यकर्ता - सेना की जांच रिपोर्ट !


न्यूज़ 18 चेनल ने आज एक रिपोर्ट प्रसारित की है, जिसमें 2008 के मालेगांव विस्फोटों को लेकर सेना द्वारा की गई जांच का उल्लेख है ! सेना द्वारा की गई जांच और तत्कालीन महाराष्ट्र एटीएस के निष्कर्षों में बड़े पैमाने पर विरोधाभाष है ! महाराष्ट्र एटीएस का मानना था कि मालेगांव विस्फोट के मुख्य आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित ने सेना के वरिष्ठ अधिकारियों को एक धर्मार्थ संगठन में शामिल होने के लिए फंसाया ! जबकि एटीएस ने यह स्पष्ट नहीं किया कि वह संस्था कौनसी थी ! अभिनव भारत या कोई और ?

यह भी ध्यान देने योग्य बात है कि एटीएस रिपोर्ट ने कर्नल पुरोहित को अभिनव भारत का एक सक्रिय नेता और ट्रस्टी बताया, किन्तु उसके ही द्वारा प्रस्तुत 60 गवाहों में से किसी ने भी कोर्ट के सम्मुख एटीएस द्वारा किए गए इस दावे की पुष्टि नहीं की ।

महाराष्ट्र एटीएस का दूसरा दावा भी विवादों के घेरे में है ! उसने दावा किया था कि पुरोहित ने जम्मू-कश्मीर से आरडीएक्स खरीदा था । एटीएस ने आरोप लगाया था कि कर्नल पुरोहित को आरडीएक्स सुधाकर चतुर्वेदी के माध्यम से प्राप्त हुआ ! एटीएस ने सुधाकर चतुर्वेदी के घर से आरडीएक्स की बरामदगी भी बताई थी तथा उन्हें कर्नल पुरोहित के साथ सह आरोपी भी बनाया था ! किन्तु एटीएस के इस दावे की हवा निकालते हुए सेना की जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि उनके अधिकारियों ने आरडीएक्स बरामदगी के पूर्व सुधाकर चतुर्वेदी के घर के बाहर एटीएस के एक अधिकारी को देखा था । अतः संभव है कि आरडीएक्स को उस घर में प्लांट कर बरामदगी दर्शाई गई हो ।

एटीएस ने मालेगांव विस्फोट मामले में 5 नवंबर, 2008 को लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित को गिरफ्तार किया था ! उनके साथ इस प्रकरण में प्रज्ञा सिंह ठाकुर, शिवनारायण कलसांगरा, श्याम साहू, रमेश उपाध्याय, समीर कुलकर्णी, अजय, राकेश धावाड़े, जगदीश म्हात्रे, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और प्रवीण ताकल्की को भी गिरफ्तार किया गया था।

पिछले दिनों इशरत जहां मामले में तत्कालीन गृहमंत्री चिदंबरम की विवादास्पद भूमिका स्पष्ट होने के बाद इस पूरे घटनाक्रम ने कई सवालों को जन्म दे दिया है ! अगर सेना यह मानती है कि कर्नल पुरोहित को भी झूठा फंसाया गया, तो शेष लोग भी झूठे ही फंसे होंगे ! 

दिग्विजय सिंह आजकल उज्जैन में कुभ स्नान कर रहे हैं, किन्तु अगर साध्वी प्रज्ञासिंह व अन्य को अगर सत्ता का दुरुपयोग कर उन्होंने झूठा फंसाया है, तो क्या यह पाप कुम्भ स्नान से पूण्य में परिवर्तित होगा ? निरपराधों को 9 वर्ष से अधिक समय तक जेल में यातना देने का दुष्कर्म कभी तो रंग लाएगा !

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