जेटली भये सूचना प्रसारण मंत्री, तो क्यूं न हों बेख़ौफ़ फरेबी मीडिया घराने ? - सतीश चन्द्र मिश्र




देश में भ्रम और भय फ़ैलाने का षड्यंत्र रचने के लिए "आजतक" INDIA TODAY के मालिक सम्पादक पत्रकारों को कब गिरफ्तार करेगी सरकार.???

रॉबर्ट वाड्रा ने तब देश के लिए भले ही गलत कहा था लेकिन. आज देश की सरकार पर उसकी टिप्पणी शत प्रतिशत बिल्कुल सही सिद्ध हो रही है. उस समय वाड्रा ने देश को "बनाना रिपब्लिक" कहा था.

आज देश तो नहीं किन्तु देश की सरकार अवश्य एक "बनाना सरकार" नज़र आ रही है.

सरकार की इस नाकारा निकम्मी निर्लज्ज छवि के लिए गृहमंत्रालय, वित्त मंत्रालय, सूचना प्रसारण मंत्रालय का विशेष योगदान है.

यह सब अनायास नहीं हो रहा. इसके बजाय एक सुनियोजित षड्यंत्र के तहत यह देशघाती खेल खेला जा रहा है.

ज़रा दृष्टि दौड़ाइए इन दिनों घट रहे शर्मनाक घटनाक्रमों पर...

देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मायने क्या यह हैं कि, एक प्रमाणित हो चुके झूठ को लगातार सच बताकर पूरे देश में एक प्रदेश और देश की सरकार पर कीचड़ उछाला जाए.?

पिछले 3-4 दिनों से देश में यह हो रहा है लेकिन सम्भवतः देश का गृहमंत्री और सूचना प्रसारण मंत्री कुम्भकर्णी नींद में सो रहा है.

ज्ञात रहे कि पिछले 3-4 दिनों से न्यूजचैनल "आजतक" और उसका अंग्रेजी संस्करण "INDIA TODAY" एक हैकर लफंगे द्वारा दिए गए कागज़ को लगातार दिखा रहा है और दावा कर रहा है कि, महाराष्ट्र सरकार में नं. 2 की हैसियत रखने वाले कैबिनेट मंत्री एकनाथ खड़से अपने मोबाइल से पिछले एक-डेढ़ साल से कुख्यात अंतर्राष्ट्रीय आतंकी अपराधी दाऊद इब्राहीम से लगातार बातचीत कर रहे थे, उसके संपर्क में थे.

ज्ञात रहे कि, एक महीने पहले यह खबर गुजरात के एक अख़बार में छपी थी तब भी खड़से ने स्पष्टीकरण दे दिया था.

अतः अब जब एक महीने पुरानी खबर को ये न्यूजचैनल सनसनी बनकर पेश कर रहे हैं तो उन्हें नए तथ्यों साक्ष्यों के साथ आना चाहिए था. लेकिन ऐसा कुछ नहीं किया उन्होंने.

यह एक ऐसा आरोप था जिसकी पुष्टि करने में किसी सामान्य व्यक्ति को भी केवल कुछ घंटों का समय लगता. अपने पत्रकारीय जीवन में कुछ अवसरों पर कुछ मोबाइल नं. की कॉल डिटेल्स निकलवाने की प्रक्रिया से गुजर चुका हूँ.

अतः एक कैबिनेट मंत्री के पाकिस्तान में बैठे अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी से संबंध होने सरीखे अत्यन्त गम्भीर आरोप के बाद देश की ख़ुफ़िया एजेंसियों और मुंबई पुलिस को स्वतः ही सक्रिय हो जाना चाहिए था. हालांकि खड़से प्रकरण में इसकी भी आवश्यकता नहीं थी

क्योंकि खड़से के जिस मो.नं. का जिक्र न्यूजचैनल कर रहा है वो नं आइडिया सेल्युलर कम्पनी का है और आइडिया ने २ दिन पहले ही साफ़ कर दिया है कि उसके कम्प्यूटरों में दर्ज़ रिकॉर्डो के अनुसार खड़से के जिस नं. को न्यूजचैनल दिखा रहा है उस नं. से ना तो कोई अंतर्राष्ट्रीय कॉल (ISD) की गयी. विदेश से कोई अंतर्राष्ट्रीय कॉल भी उस नं. पर कभी नहीं आई.

मुंबई पुलिस के कमिश्नर ने भी दो दिन पहले ही यह स्पष्ट कर दिया है लेकिन इसके बावजूद दोनों न्यूजचैनल अब भी अगर-मगर लगाकर खड़से और खड़से की आड़ में देश की सरकार के मुंह पर कालिख पोतने में जुटे हुए हैं.

क्या इतने संवेदनशील मुद्दे पर देश की ख़ुफ़िया एजेंसियों को दोनों न्यूजचैनल के मालिक , संपादक और एंकरों को हिरासत में लेकर यह नहीं पूछना चाहिए कि, एक हैकर लफंगे के सरासर फ़र्ज़ी कागज़ से बने झूठे दावे की पुष्टि किये बिना उन्होंने देश की सरकार के मुंह पर कालिख पोतने, देश में भ्रम और भय फ़ैलाने का षड्यंत्र किसके इशारे पर रचा और अंजाम दिया.

सूचना प्रसारण मंत्रालय को इन न्यूजचैनलों के खिलाफ दण्डात्मक कार्रवाई प्रारम्भ करके इनके लाइसेंस तबतक के लिए निलम्बित कर देना चाहिए जबतक ये अपने आरोप की पुष्टि नहीं कर दें.

लेकिन. ना ऐसा कुछ हुआ है ना होगा, क्योंकि ये "बनाना सरकार" जो है.

उपरोक्त उदाहरण एकमात्र उदाहरण नहीं है.

पूरी दुनिया जब देश की आर्थिक स्थिति की सराहना कर रही है तब देश के रिजर्व बैंक गवर्नर रोजाना नियमित रूप से देश की आर्थिक स्थिति और सरकार को जमकर कोसने में कोेेई कोताही नहीं बरत रहा है. इसपर हद यह है कि, दिल्ली में यह खबरें गरम हैं कि, वित्तमंत्री अरुण जेटली एंडी-चोटी का जोर लगाएँ हैं कि, उसी रघुराम राजन को पुनः रिजर्व बैंक का गवर्नर बना दिया जाए जो आजकल देश की सरकार को रोजाना गरियाना कोसना नहीं भूलता.

अपने अबतक के जीवनकाल में मैं यह शर्मनाक नज़ारा पहली बार देख रहा हूँ जहां देश के रिजर्व बैंक का गवर्नर ही देश की सरकार के खिलाफ बेख़ौफ़ तांडव कर रहा है.

ध्यान रहे कि, अरुण जेटली देश के वित्तमंत्री ही नहीं सूचना प्रसारण मंत्री भी हैं.

और यह सब षड्यंत्र तब रचे जा रहे हैं जब देश की सरकार अपने 2 वर्ष के कार्यकाल की अनेक उल्लेखनीय उपलब्धियों को लेकर जनता के बीच जाने की तैयारी कर रही हैं.

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