भूले बिसरे हाशिमपुरा नरसंहार के जख्म कुरेदे सुब्रमण्यम स्वामी ने


भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी कब क्या कर गुजरेंगे, इसका पूर्वानुमान लगाना बहुत कठिन है ! हमेशा चर्चा में बने रहना उनका शगल है ! अब देखिये कि स्वामी जी ने 1987 में हुए हाशिमपुरा नरसंहार को पुनः चर्चा में ला दिया है ! गढ़े मुर्दे उखाड़ने से हुई लाभ हानि का आंकलन करते रहें लोग, उनकी बला से  !

स्मरणीय है कि फरवरी 1986 में जब केंद्र सरकार ने बाबरी मस्जिद के ताले खोलने का आदेश दिया, तो वेस्ट यूपी में माहौल गरमा गया था। इसके बाद 14 अप्रैल 1987 से मेरठ में धार्मिक उन्माद शुरू हुआ। कई लोगों की हत्या हुई, तो दुकानों और घरों को आग के हवाले कर दिया गया था। हत्या, आगजनी और लूट की वारदातें होने लगीं। इसके बाद भी मेरठ में दंगे की चिंगारी शांत नहीं हुई थी। मई का महीना आते आते कई बार शहर में कर्फ्यू लगाना पड़ा।

इसके बाद हुआ हाशिमपुरा का बहुचर्चित काण्ड ! बलवाइयों को काबू करने के लिए 19 और 20 मई को पुलिस, पीएसी तथा सेना के जवानों ने सर्च अभियान चलाया था। हाशिमपुरा के अलावा शाहपीर गेट, गोला कुआं, इम्लियान सहित अन्य मोहल्लों में पहुंचकर सेना ने मकानों की तलाशी लीं। इस दौरान भारी मात्रा में हथियार और विस्फोटक सामग्री मिली थीं।

22 मई 1987 को पीएसी के जवान एक ट्रक को दिन छिपते ही दिल्ली रोड पर मुरादनगर गंग नहर पर ले गए थे। उस ट्रक में करीब 50 लोग थे। वहां ट्रक से उतारकर लोगों को गोली मारने के बाद एक एक करके गंग नहर में फेंका गया। कुछ लोगों को ट्रक में ही गोलियां बरसाकर ट्रक को गाजियाबाद हिंडन नदी में फेंक दिया गया । इनमें से जुल्फिकार, बाबूदीन, मुजीबुर्रहमान, मोहम्मद उस्मान और नईम गोली लगने के बावजूद बच गए थे। बाबूदीन ने ही गाजियाबाद के लिंक रोड थाने पहुंचकर रिपोर्ट दर्ज कराई थी, जिसके बाद हाशिमपुरा कांड पूरे देश में चर्चा का विषय बना। 

इस नर संहार में 42 लोगों की जान गईं ! 19 जवानों पर मुक़दमा चलाया गया ! ट्रायल के दौरान ही 3 जवानों की मौत हो गई ! इसी दौरान सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यह मामला उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से दिल्‍ली की तीस हजारी कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया । आखिरकार 27 साल दस महीने बाद केस का फैसला आया और सभी आरोपी जवानों को बरी कर दिया गया ! 

इतने पुराने मामले को पुनः चालू करवाना चाहते हैं, श्री सुब्रमण्यम स्वामी ! उन्हें शंका है कि तत्कालीन गृह राज्य मंत्री पी चिदंबरम के इशारे पर सबूतों को नष्ट किया गया ।

न्यायमूर्ति जी एस सिस्तानी और संगीता ढींगरा सहगल की पीठ ने हालांकि कहा कि मामले को फिर खोले जाने के पूर्व उत्तर प्रदेश राज्य सरकार और अन्य दलों से भी उनका पक्ष पूछा जाएगा ।

अदालत ने इसके बाद आगे की जांच की मांग, उसमें चिदंबरम की कथित भूमिका का पता लगाने के लिए लगाई गई स्वामी की याचिका सूचीबद्ध करते हुए सुनवाई की अगली तारीख 4 अगस्त निश्चित की है ! राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) और पीड़ितों के परिजनों द्वारा लगाई गई याचिकाओं की सुनवाई भी इसके ही साथ की जायेगी ।

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