प्रधानमंत्री पद तो महज पड़ाव, मंजिल है जन नायक बनना !


जब कोई बात दिल से निकलती है, तो वह दिलों को छूती है ! 

कभी कलम न लिखती प्यारे, लिखती मन की व्यथा,
क्रोंच विलाप देख लिख जाती, रामायण की कथा !

आज रामायण करोड़ों दिलों को इसलिए छूती है, क्योंकि आदि रचनाकार वाल्मीकि ने करुणा विगलित होकर उसकी रचना की ! आज जबकि आम जन के मन में राजनेताओं के प्रति रत्ती भर भी सम्मान नहीं बचा है, ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आव्हान पर लाखों लोगों का गैस सब्सिडी छोड़ना, सचमुच हैरत में डालने वाला है ! आखिर क्या कारण रहा होगा इसके पीछे ?

इसका जबाब पिछले दिनों बलिया में मिला, जब मोदी जी ने गरीब परिवारों को रसोई गैस की टंकियां मुफ्त देने की घोषणा की ! साथ ही उन्होंने बचपन में देखे गए अपनी मां के कष्टों का वर्णन किया ! उन्होंने बताया कि वे जिस कमरे में अपनी मां के साथ रहते थे, उसमें खिड़कियां नहीं थीं। जब चूल्हा जलता था तो कमरे में इतना धुंआ भर जाता था कि मां का चेहरा भी नहीं दिखता था। अब देश के करोड़ों गरीब परिवारों का इस तरह के चूल्हों से पिंड छूटेगा।

तब समझ में आया कि मोदी ने जब गरीब परिवारों को रसोई गैस मुहैया कराने की खातिर सक्षम लोगों से गैस सब्सिडी छोड़ने का आग्रह किया, तो उनका दिल से निकला आग्रह दस लाख लोगों के दिलों तक भी पहुंचा और उन्होंने गैस सबसिडी छोड़ दी ! डॉ वेद प्रताप वैदिक जी ने भी बहुत समय बाद मोदी जी की तारीफ़ में दो शब्द लिखे –

आज देश में नेताओं की इज्जत पैंदे में बैठी हुई है। उनके कहने से कोई डेढ़ सौ रु. क्या, डेढ़-पैसे का भी त्याग नहीं करेगा लेकिन इतने लोगों ने मोदी की आवाज को क्यों सुना? इसीलिए कि वह शुद्ध सेवा, शुद्ध करुणा, शुद्ध परमार्थ की आवाज़ थी।

अगले पांच सालों में पांच करोड़ गरीब परिवारों को ये निशुल्क रसोई गैस टंकियां मिलेंगी ! मोदी बचपन में अपनी मां को तो धुएँ वाले चूल्हे से होने वाले कष्ट से मुक्ति नहीं दिला पाए, लेकिन अब करोड़ों माओं को जरूर इस तकलीफ से निजात दिलाने का पूण्य कार्य उन्होंने कर दिखाया है, जिसकी जितनी प्रशंसा की जाये कम है ! उनका यह कदम उन लोगों की बोलती भी बंद करने वाला है जो मोदी सरकार को पूंजीपतियों की सरकार बताकर बदनाम करने का प्रयत्न करते रहे हैं ! 

प्रधानमंत्री तो कई आए और गए। लेकिन ऐसा प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री के बाद अब आया है, जिसने गरीबी को जिया है ! इसीलिए उनके मन की बात लोगों के मन तक पहुँचती है ! प्रधानमंत्री का पद तो महज एक पड़ाव है, उनकी मंजिल है जन नायक बनना और मुझे लगता है वे बनते भी जा रहे हैं ।

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