ईमानदारी की हत्या और सियासत का गन्दा नाला !


आज नया इण्डिया में प्रकाशित श्री वेदप्रताप वैदिक जी का आलेख दिल को झकझोरने वाला है -

नई दिल्ली की म्युनिसिपल कौंसिल के कानून अधिकारी मोइन खान की हत्या महज इसलिए करवाई गई कि इसने रिश्वत में 3 करोड़ रु. लेने से मना कर दिया था। मोइन खान को कनाट प्लेस स्थित एक होटल का मालिक चाहता था कि मोइन खान तीन करोड़ रु. की घूस ले ले और डेढ़ सौ करोड़ के शुल्क को आया-गया कर दे। इस होटल के मालिक को 1981 में यह कीमती ज़मीन एक छात्रावास बनाने के लिए दी गई थी लेकिन पहले उसको एक टूरिस्ट लॉज बनाया गया और बाद में उसे चार-सितारा होटल में बदल दिया गया। 1995 में उसकी लीज़ रद्द हो गई लेकिन होटलवाले ने जमीन खाली नहीं की। अब अदालत ने उस पर पांच लाख जुर्माना किया और 142 करोड़ रु. का शुल्क भरने के आदेश दिए। इसी की वसूली के लिए कानून-अफसर को नियुक्त किया गया था।

मोइन खान जामिया नगर में रहते थे। उन्होंने राजनीतिशास्त्र में एम.ए. किया था और एलएलबी पास थे। वे अपनी कार से घर जा रहे थे। दो लोगों ने उनकी कार रोककर रास्ता पूछा। उन्होंने जैसे ही शीशा नीचे किया उन्हें गोली मार दी गई। दिल्ली की मुस्तैद पुलिस ने मोबाइल फोन और सीसीटीवी की मदद से हत्यारों को पकड़ लिया तो मालूम पड़ा कि उस होटल-मालिक ने इन हत्यारों को पांच लाख रु. दिए थे । जाहिर है कि हत्यारों को तो सजा मिलेगी ही लेकिन होटल मालिक तो छूट जाएगा। पैसे खाकर बड़े से बड़ा वकील उसे बचाने के लिए अदालत में खड़ा हो जाएगा और जजों का भी क्या भरोसा?

लेकिन स्वर्गीय मोइन खान के लिए दिल्ली शहर और देश क्या कर रहा है? उनकी पत्नी और तीनों बेटियां अब किसके सहारे रहेंगी? हमारे नौटंकीबाज नेताओं के सिर पर जूं भी नहीं रेंगी? ऐसे ईमानदार और सेवाभावी अफसर भारत मां के सच्चे सपूत हैं। मोइन खान की बहादुरी देश के सारे अफसरों, वकीलों और जजों के लिए अनुकरणीय है। स्वर्गीय भाई मोइन खान को मेरा सलाम !

नवीनतम घटना क्रम –

पुलिस ने कल होटल के मालिक रमेश कक्कड़ और पांच अन्य को हत्या के सिलसिले में गिरफ्तार किया, किन्तु मोहम्मद मोइन खान की हत्या के बाद राजनीति भी शुरू हो गई है ! आम आदमी पार्टी की दिल्ली शाखा के संयोजक दिलीप पांडे ने आरोप लगाया है कि एनडीएमसी के उपाध्यक्ष और बीजेपी नेता करण सिंह तंवर और कक्कड़ के बीच संबंध थे और तंवर ने उपराज्यपाल नजीब जंग को एक पत्र लिखकर खान के तबादले की मांग की थी.

पांडे ने कहा, ‘‘तंवर को तुरंत एनडीएमसी उपाध्यक्ष के पद से बख्रास्त कर देना चाहिए, गिरफ्तार किया जाना चाहिए और उनसे पूछताछ होनी चाहिए.’’ 

तंवर ने उपराज्यपाल को पत्र लिखने की बात मानी लेकिन कहा कि वह कक्कड़ को नहीं जानते. साथ ही उन्होंने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को ‘बेबुनियाद’ बताया है.

बेटी की समझदारी पूर्ण मांग

मोहम्मद मोईन खान की बेटी इकरा खान ने कहा है कि बीजेपी और आम आदमी पार्टी को मिलकर इस हत्याकांड के दोषियों को पकड़ने का काम करना चाहिए और इसपर सियासत नहीं होनी चाहिए. उनका कहना है कि सियासत से इंसाफ नहीं मिल पाएगा.

निष्कर्ष -

घटनाक्रम से स्पष्ट है कि रमेश कक्कड़ की आपाधापी 1981 से प्रारम्भ हो गई थी ! इतने लम्बे समय तक उसकी सल्तनत चलती रही ! सवाल उठता है कि किसकी दम पर ? उत्तर हम सब जानते हैं कि सियासत की दम पर ! छात्रावास के नाम पर कनाट प्लेस में लीज, अपने आप में सब सवालों का जबाब है ! न जाने कितने कक्कड़ जैसे समाज कंटक राजनीति के गंदे नाले में पनप रहे होंगे ! भागीरथी गंगा को निर्मल स्वच्छ करने की मुहीम के साथ साथ राजनीति के महानद को निर्मल करने पर भी विचार देर सबेर करना ही होगा ! जल्द ही यह सडांध महामारी का रूप लेने वाली है, इसका संकेत मोईन खान की हत्या से साफ़ तौर पर मिल रहा है ! यह तभी संभव है जब देश की चुनाव प्रक्रिया धनबल के प्रभाव से मुक्त हो ! आज तो धनपशु ही तंत्र को संचालित कर रहे हैं, जिनमें समाज हित की भावना न के बराबर है !

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